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नविता की कलम से... - उपन्यास
navita
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
नविता की कलम से... ✍️ ?Navita ? ✍️? Dedicated to ?My lovely family Specially my mother- in -lawMy friends- Garry ,Sonam & me ..Thanks to - Wr.Messi ?? Also Dedicated to :? All world's Wonderful reader's ?Cover page - Wr. Messi ? ? Book summary ?नमस्कार मेरा नाम नविता जिंदल है और मैं मूल रूप से पंजाब के पटियाला शहर की रहने वाली हूँ। फिर चंडीगढ़ में शादी की और भारत के विभिन्न हिस्सों में घूमने का मौका मिला मुझे । इस यात्रा के माध्यम से मैंने कई लोगों और जीवन की कई घटनाओं से बहुत प्यार
नविता की कलम से... ✍️ ?Navita ? ✍️? Dedicated to ?My lovely family Specially my mother- in -lawMy friends- Garry ,Sonam & me ..Thanks to - Wr.Messi ?? Also ...और पढ़ेto :? All world's Wonderful reader's ?Cover page - Wr. Messi ? ? Book summary ?नमस्कार मेरा नाम नविता जिंदल है और मैं मूल रूप से पंजाब के पटियाला शहर की रहने वाली हूँ। फिर चंडीगढ़ में शादी की और भारत के विभिन्न हिस्सों में घूमने का मौका मिला मुझे । इस यात्रा के माध्यम से मैंने कई लोगों और जीवन की कई घटनाओं से बहुत प्यार
?बचपन की यादों की क़िताब का पन्ना ?सबसे सुनहरा पल है बचपनबीते कल का सुकून है बचपन।बैर, द्वेष से कोसो दूरकोई चिंता की न थी होड़केवल खेल-खिलोने थे भाते,दोस्तो संग खुब समय थे बिताते।वो बचपन के खेल खूब याद ...और पढ़ेके वो दिन , जब ना था मोबाइल फ़ोन, ना होता था कलर टी.वी. l कितना अच्छा था वो बचपन , जिसको याद कर वो बचपन फिर से जीने का मन करता है l" बेटा मोबाइल मत देखो , आँखें ख़राब हो जायेगी ." कहा सुनते है ये बच्चे l. हर समय टी. वी. ,मोबाइल और विडिओ गेम्स l कैसा
? प्यार भरी रोटी ?रोटी भी क्या चीज़ बनाई हैं ,?रोटी खुद गोल है , ?इंसान को भी गोल गोल घुमाती है ख़ुद आग पे जलती है ??और दूसरों की भूख मिटाती है l रोटी ...और पढ़ेके लिए सब घरो से बाहर दौडते है। घर से बाहर ,हम सब रोटी के लिए बाहर जा कर मेहनत करते है , पर फिर पैसे कमाने के चकर मे रोटी खाना ही भूलने लग जाते है। हर रोज हम घर मे , बाहर
?प्यार का इज़हार ??ख्वाहिश थी मेरी ,खुद को पाने की हवा के साथ लहराने की ,ख्वाहिश थी मेरी, परिंदो जैसे खुले आसमान मे घूम पाने की ,सपनो को पंख लगाने की lख्वाहिश थी मेरी , किसी को अपना बनाने ...और पढ़ेपर किस्मत का था, अलग ही विचार कर ना पाये , हम अपने प्यार का इज़हार फिर भी दिखता था हमे एक दूसरे के लिए प्यार ख्वाहिश थी मेरी, करे हम अपने प्यार का इजहार करते थे जो हम एक दूसरे को प्यार पर करना पाये फिर भी , एक दूसरे को अपने प्यार का इजहारएक दिन था ऐसा आया ,उसने ख़त था मुझे पकड़ाया ,मन मे ख़ुशी का
✍️?✍️?✍️मैं -: "प्रीत क्या बात है आज तो बहुत ख़ुश है ☺️☺️ प्रीत-: हा आज में बहुत खुश हूँ l कल मुझे सोनू का फ़ोन आया था " मैं -: ...और पढ़ेतो वो तो हर रोज करता है , आज क्या हुआ " . प्रीत-: आज सोनू ने मुझे अपने प्यार का इजहार किया☺️मैं -: अच्छा है ये तो , फिर क्या कहा तुमने ..प्रीत-: अभी कुछ नहीं कहा मैंने , समझ नहीं आ रहा क्या कहूँ ..मैं -