Manju Mahima लिखित उपन्यास गुजराती-हिंदी भाषाई नोंक-झोंक

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गुजराती-हिंदी भाषाई नोंक-झोंक द्वारा  Manju Mahima in Hindi Novels
सन १९८०-८१ में हम जयपुर राजस्थान से अहमदाबाद गुजरात में आए। मेरे पति होटल लाइन में थे और उनका जयपुर रामबाग़ पेलेस होटे...
गुजराती-हिंदी भाषाई नोंक-झोंक द्वारा  Manju Mahima in Hindi Novels
गुजराती -हिन्दी की भाषाई नोंक झोंक संस्मरण-2 हमारे भारत की भाषाओं की यह बड़ी विशेषता है कि वे अलग अलग होते...
गुजराती-हिंदी भाषाई नोंक-झोंक द्वारा  Manju Mahima in Hindi Novels
गुजराती हिन्दी की भाषाई नोंक झोंक संस्मरण-4 ढाबा गुजरात में रहकर गुजराती के नए शब्दों को जानने में बडा़ मज़ा...
गुजराती-हिंदी भाषाई नोंक-झोंक द्वारा  Manju Mahima in Hindi Novels
गुजराती हिन्दी की भाषाई नोंक झोंक संस्मरण-3 -लैंगा एक प्रसिद्ध कहावत है, ' कोस कोस पर पानी बदले, 3 कोस पर बानी.'...