Corona kaal ki kahaniyan book and story is written by Prabodh Kumar Govil in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Corona kaal ki kahaniyan is also popular in प्रेरक कथा in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
कोरोना काल की कहानियां - उपन्यास
Prabodh Kumar Govil
द्वारा
हिंदी प्रेरक कथा
आंसू रुक नहीं रहे थे। कभी कॉलेज के दिनों में पढ़ा था कि पुरुष रोते नहीं हैं। बस, इसी बात का आसरा था कि ये रोना भी कोई रोना है। जब प्याज़ अच्छी तरह पिस गई, तो मैंने सिल पर कतरे हुए अदरक के टुकड़े डाले और सिल बट्टा फ़िर से चलने लगा। अदरक थोड़ा नरम हो जाए ये सोच कर मैंने कटे लाल टमाटर, हरी मिर्च और लहसुन के कुछ टुकड़े भी डाल लिए। दस मिनट बाद मैं एक बड़े बाउल में धनिए की चटनी में नीबू निचोड़ कर चम्मच से मसालों को मिला रहा था। मुझे वैसे भी
आंसू रुक नहीं रहे थे। कभी कॉलेज के दिनों में पढ़ा था कि पुरुष रोते नहीं हैं। बस, इसी बात का आसरा था कि ये रोना भी कोई रोना है। जब प्याज़ अच्छी तरह पिस गई, तो मैंने सिल ...और पढ़ेकतरे हुए अदरक के टुकड़े डाले और सिल बट्टा फ़िर से चलने लगा। अदरक थोड़ा नरम हो जाए ये सोच कर मैंने कटे लाल टमाटर, हरी मिर्च और लहसुन के कुछ टुकड़े भी डाल लिए। दस मिनट बाद मैं एक बड़े बाउल में धनिए की चटनी में नीबू निचोड़ कर चम्मच से मसालों को मिला रहा था। मुझे वैसे भी
"सपनों की सेल" पिछले एक घंटे में उसने सातवीं बार मोबाइल में समय देखा था। गाड़ी आने में अब भी लगभग सवा घंटे का समय बाक़ी था। निधि को अपनी चिंता नहीं थी। उसके तो रात - दिन मेहनत ...और पढ़ेऔर जागने के दिन थे ही। फ़िक्र तो पापा की थी जो इतना लंबा सफ़र करके परसों ही तो अपने देश लौटे हैं और बिना विश्राम किए फ़िर उसे लेकर सफ़र पर निकल पड़े। वो भी क्या करे? बच्चे साल भर तक पढ़ाई करके परीक्षा में जो अंक लाते हैं उनसे थोड़े ही पूरा पड़ता है? अच्छे संस्थान तो प्रवेश
"विषैला वायरस" - प्रबोध कुमार गोविल वो रो रहे थे। शायद इसीलिए दरवाज़ा खोलने में देर लगी। घंटी भी मुझे दो- तीन बार बजानी पड़ी। एकबार तो मुझे भी लगने लगा था कि बार - बार घंटी बजाने से ...और पढ़ेपास -पड़ोस वाले न इकट्ठे हो जाएं। मैं रुक गया। पर मेरी बेचैनी बरक़रार थी। घर में अकेला कोई बुज़ुर्ग रहता हो और बार- बार घंटी बजने पर भी दरवाज़ा न खुले तो फ़िक्र हो ही जाती है। दिमाग़ इन बातों पर जा ही नहीं पाता कि इंसान को अकेले होते हुए भी घर में दस काम होते ही हैं।
बन्नो तेरा कजरा लाख का ! आर्यन बहुत ख़ुश था। उसके पिता आज की शानदार पार्टी के साथ होने वाली मीटिंग में उसे कंपनी के निदेशक मंडल में शामिल करने वाले थे। पापा ने कई महीनों के बाद अपनी ...और पढ़ेकार लेकर उसे शहर के सबसे शानदार होटल में अकेले जाने की अनुमति दे दी थी। कोरोना संक्रमण के कारण महीनों के लॉकडाउन के चलते उसे घर से बाहर कोई नहीं जाने देता था। आज भी उसे अनुमति केवल इसलिए मिल गई कि कंपनी के बोर्ड की मीटिंग यहां होनी थी और पहली बार इसमें अा रही मार्था शैरोल की
मेरे पास पूरा एक घंटा था।स्पोर्ट्स क्लब में टेनिस की कोचिंग के लिए अपने पोते को छोड़ने के लिए मैं रोज़ छह बजे यहां आता था।फ़िर एक घंटे तक जब तक उसकी कोचिंग चलती, मैं भी इसी कैंपस में ...और पढ़ेअपना शाम का टहलना पूरा कर लेता था। भीतर के लॉन और सड़कों पर किनारे - किनारे घूमता हुआ मैं इस समय बिल्कुल फ़्री महसूस करता हुआ अपनी दिन भर की थकान को भूल जाता था।एक घंटे बाद जब वह अपना रैकेट उठाए बाहर निकलता तो हम बातें करते हुए घर चले आते।वो मुझे बताता कि आज उसने किसे हराया,