truth of truth book and story is written by Akshay jain in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. truth of truth is also popular in मनोविज्ञान in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
हकीकत की हकीकत - उपन्यास
Akshay jain
द्वारा
हिंदी मनोविज्ञान
हकीकत इस शब्द से महज सभी लोग पीछा छुड़ाते हैं। कोई नहीं जानना चाहता हकीकत को। सभी लोग आंखों को बंद करके जीना चाहते हैं और जीते भी हैं। पूरा जीवन उस बिल्ली कि तरह जीते हैं जो दूध पीते वक्त आंख बंद कर लेती है और समझती है कि उसे कोई नहीं देख रहा। ये उसका भ्रम होता है न कि हकीकत! लोग अपने स्वार्थ के लिए किसी भ्रम को ही हकीकत मान लेते हैं और उसी के सहारे जीवन गुजार देते हैं। क्षमा कीजिए आप लोग सोच रहे होंगे कि ऐसा कौन सा हकीकत
हकीकत इस शब्द से महज सभी लोग पीछा छुड़ाते हैं। कोई नहीं जानना चाहता हकीकत को। सभी लोग आंखों को बंद करके जीना चाहते हैं और जीते भी हैं। पूरा जीवन उस बिल्ली कि तरह जीते हैं जो दूध ...और पढ़ेवक्त आंख बंद कर लेती है और समझती है कि उसे कोई नहीं देख रहा। ये उसका भ्रम होता है न कि हकीकत! लोग अपने स्वार्थ के लिए किसी भ्रम को ही हकीकत मान लेते हैं और उसी के सहारे जीवन गुजार देते हैं। क्षमा कीजिए आप लोग सोच रहे होंगे कि ऐसा कौन सा हकीकत
जीवन में “हकीकत" शब्द बहुत मायने रखता है। क्योंकि यदि आप अपने जीवन में हकीकत अथवा वास्तविकता को स्थान देते हैं तो आप कभी दुखी या भयभीत नहीं रह सकते। क्योंकि बहुत लड़ाइयां हकीकत को छुपाने की वजह से ...और पढ़ेहैं और बहुत सी अनबन हकीकत ना जानने की वजह से होती है। क्योंकि अधिकांश होता कुछ और है और हम मान कुछ और लेते हैं। और लोग वास्तविकता तभी छिपाते हैं जब उसमें उन्होंने ही कोई गलत काम किया हो। और उस छिपाने के
कहा जाता है! कि इंसान गलतियों का पुतला होता है। और यदि कोई गलती नहीं करेगा तो सभी भगवान नहीं बन जायेगें। अतः हर किसी से गलती होना तो स्वाभाविक है। हर कोई जीवन में गलतियां करता है। क्योंकि ...और पढ़ेसे ही इंसान कुछ सीखता है। मगर जो इंसान गलतियों से सीख लेने के बजाय उन्हें छिपाने लग जाए फिर वो जीवन में कुछ सीखने लायक नहीं रह जाता। वह हमेशा भयभीत बना रहता है। उस सदा यही डर रहता है कि