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एक लेखक की ‘एनेटमी‘ - उपन्यास
Priyamvad
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
यह काल की असीम निरन्तरता से दुत्कारे और तोड़ कर फेंके गए समय का एक निरर्थक टुकड़ा था।
समय के कुछ टुकड़े अक्सर निरर्थक होते हैं। यह इस लिए निरर्थक था कि इसमें फिर से कुछ नए देवता जन्म ले रहे थे। इन देवताओं के नए उपासक बन रहे थे। इनके लिए नए अनुष्ठान, नए ग्रंथ, नए पुरोहित और नयी उपासना पद्धतियाँ तय हो रहीं थीं। इनकी भाषा में एक बर्बर निर्लिप्तता और आत्ममुग्ध क्रूरता थी, जो पुरानी किताबों के शालीन और उदार नीति वचनों से अपनी नाभि नाल काट चुकी थी। समय के इस टुकडे़ में मनुष्य के जीवन का सबसे उद्देश्यपूर्ण और गरिमामय उपयोग उसकी बलि देने में था।
एक लेखक की ‘एनेटमी‘ प्रियंवद (1) यह काल की असीम निरन्तरता से दुत्कारे और तोड़ कर फेंके गए समय का एक निरर्थक टुकड़ा था। समय के कुछ टुकड़े अक्सर निरर्थक होते हैं। यह इस लिए निरर्थक था कि इसमें ...और पढ़ेसे कुछ नए देवता जन्म ले रहे थे। इन देवताओं के नए उपासक बन रहे थ
एक लेखक की ‘एनेटमी‘ प्रियंवद (2) इन उलझे और आपस में लड़ते चीखते विचारों के पार उसके अंदर मृत्यु की गहरी तड़प थी। यह तड़प पहली बार एक तिलचट्टे की हत्या करने के बाद पैदा हुयी थी। उस रात, ...और पढ़ेचाँद बेमन से आसमानी चौखट के बाहर निकल रहा था, और उल्लू अपनी चोंच में भरा हुआ चूहा ला कर अपने बच्चों को खिला रहा था, और दीए की रोशनी में नितम्बों की मांसलता का वैभव अंहकार में एेंठ रहा था, और दुर्भाग्य से बचाने के लिए कोई पहना हुआ तावीज टूट कर फर्श पर पड़ा था, बलूत की चौखट
एक लेखक की ‘एनेटमी‘ प्रियंवद (3) स्टूल पर बैठे आदमी ने, जो प्रेमियों के लिए जलते चिराग की तरह दिखते घर से कुद देर पहले आया था, एक झटके में गिलास की शराब खत्म कर दी। उसने अपने लिए ...और पढ़ेगिलास बनाया। स्टूल से उठ कर हरे मटर एक कप में रखे। उन्हें लेकर वापस स्टूल पर बैठ गया और फिर सुनने लगा। ‘‘नहीं, मैं जामुन का जैम नहीं खाता‘‘ एक दूसरे गुट से किसी रोमन सेनेटर की तरह तेज, दमदार आवाज सुनायी दी। ‘‘क्यों‘‘? किसी ने पूछा ‘‘क्योंकि ईसा का मुकुट इसके काँटों से बना था‘‘ लोगों ने तालियाँ