Jindagi Mere Ghar aana book and story is written by Rashmi Ravija in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Jindagi Mere Ghar aana is also popular in सामाजिक कहानियां in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
जिंदगी मेरे घर आना - उपन्यास
Rashmi Ravija
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
दो दिनों की लगातार बारिश के बाद चैंधियाती धूप निखरी थी. सफेद कमीज और लाल स्कर्ट में सजी बच्चियों की चहचहाहट से मैंदान गूंज रहा था। नेहा को अपने केबिन में बैठे इन सबकी प्यारी-प्यारी उछलकूद देखना बड़ा ही भला गल रहा था। इनमें ही खो सी गई थी कि प्यून ने आकर किसी का विजिटींग कार्ड थमाया... ‘कर्नल एस. के. मेहरोत्रा‘. यूं ही सरसरी निगाह डाल मशीनी ढंग से कह डाला -‘भेज दो।‘
दो दिनों की लगातार बारिश के बाद चैंधियाती धूप निखरी थी. सफेद कमीज और लाल स्कर्ट में सजी बच्चियों की चहचहाहट से मैंदान गूंज रहा था। नेहा को अपने केबिन में बैठे इन सबकी प्यारी-प्यारी उछलकूद देखना बड़ा ही ...और पढ़ेगल रहा था। इनमें ही खो सी गई थी कि प
जिंदगी मेरे घर आना भाग २ और इस सारे बदलाव का श्रेय नेहा नवीना यानी उसे दिया जाता है जबकि यह सब तो अनजाने में हो गया किसी योजना के तहत उसने कुछ नहीं किया। किसी भी चीज को ...और पढ़ेसे लेना तो उसके स्वभाव में शामिल ही नहीं। भले ही माली काका और उनकी पत्नी या रघु और मंगल के बीच झगड़े सुलझाती वह बड़ी धीर गंभीर नजर आए। लेकिन गंभीरता से उसका कोसों दूर का नाता नहीं। सावित्री काकी के अंदर जाते ही बिल्कुल नन्हीं नेहा बन ठुनकने लगती -‘माली दादा, तुम्हें तो अब इलायची अदरक डाली बढ़िया
जिंदगी मेरे घर आना भाग – ३ सुबह उठी तब भी ये भारीपन दिलो-दिमाग पर तारी था। कल वाली घटना भुलाए नहीं भूल रही थी। इसलिए मन बदलने की खातिर लाॅन में चलीं आई। सुनहरी धूप, हरी दूब, ...और पढ़ेझिलमिलाते ओसकण... सब मिलकर एक अलग ही छटा प्रस्तुत कर रहे थे कि... शरद को प्रवेश करते देख उसका शरारती दिमाग पैंतरे लेने लगा। ०० रस्ते के दोनों ओर झूलते डहेलियां औरों की तरह शरद को भी मोह रहे थे। और वह रूक-रूक कर कुछ झुकते हुए बड़े गौर से उन्हें देखते हुए आगे बढ़ रहा था। धीरे से पीछे
जिंदगी मेरे घर आना भाग – ४ जब मम्मी ने शरद से चाय के लिए पूछा और शरद ने हाँ कहा तो नेहा को बड़ी ख़ुशी हुई. उसने जोर से सर हिलाया, ‘अब आएगा मजा..” रघु बाजार गया है ...और पढ़ेसावित्री काकी गेहूँ धो रही हैं। चाय तो नेहा को ही बनानी होगी। ऐसी चाय पिलाएगी, बच्चू जीवन भर याद रखोगे। ठीक ही सोचा था, मम्मी थोड़े देर में आईं और चाय का आदेश दे चली गईं। आश्चर्य चकित भी हुईं कि बिना ना-नुकुर किए इतनी सहजता से कैसे तैयार हो गई वह। पूरे मनोयोग से चाय बनायी नेहा ने।
जिंदगी मेरे घर आना भाग – ५ कार स्टार्ट होने की आवाज आई तो नेहा झपटकर ड्राइंगरूम में आ गई। ऐसी चाय, भला चुपचाप पीने का मजा क्या ? जल्दी से ढूढ़-ढ़ाँढ़ कर एक शास्त्रीय संगीत का सी.डी.लगा दिया ...और पढ़ेअसली मजा तो अब आएगा जब वेस्टर्न म्युजिक पर थिरकने वाले को यह संगीत भी गटकना पड़ेगा। मुस्कराहट दबाते, एक पत्रिका में मुँह छुपाकर बैठ गई। कप रख, खड़े हो, शरद ने एक जोरदार अँगड़ाई ली (मानो, इस चाय ने सारी थकान दूर कर दी हो) और एक अदद मुस्कराहट के साथ पूछा -‘कब से शुरू किया है, ये शास्त्रीय