Priyamvad लिखित उपन्यास अंदर खुलने वाली खिड़की | हिंदी बेस्ट उपन्यास पढ़ें और पीडीएफ डाऊनलोड करें होम उपन्यास हिंदी उपन्यास अंदर खुलने वाली खिड़की - उपन्यास उपन्यास अंदर खुलने वाली खिड़की - उपन्यास Priyamvad द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 492 1.5k 2 बरिश न भी होती तो भी, वे दोनों नीले रंग की दो अलग अलग, लम्बी, पतली खिड़कियों से सर निकाल कर बाहर देखा करते। वे हमेशा, इसी तरह, बाहर देखते हुए, बाहर से देखने पर अलग अलग तरह से ...और पढ़ेबाहर से खिड़कियों को देखने पर बूढ़ा पूरा दिखता, क्योंकि वह खिड़की की चौखट पर एक पैर मोड़ कर बैठता था। बुढ़िया आधी दिखती, क्योंकि वह खिड़की की चौखट पर दोनों हथेलियाँ रख कर झुकी हुयी होती। बूढ़े का चेहरा जबड़े की हडि्डयों पर उभरा हुआ था। नाक नुकीली थी। कान लम्बे और बालों से भरे थे। आँखें स्लेटी थीं जिसके किनारों पर सफेद कीचड़ भरा रहता था। पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें पूर्ण उपन्यास अंदर खुलने वाली खिड़की - 1 246 606 अंदर खुलने वाली खिड़की (1) बारिश हो रही थी। दोनों बारिश देख रहे थे। बरिश न भी होती तो भी, वे दोनों नीले रंग की दो अलग अलग, लम्बी, पतली खिड़कियों से सर निकाल कर बाहर देखा करते। वे ...और पढ़ेइसी तरह, बाहर देखते हुए, बाहर से देखने पर अलग अलग तरह से दिखते। बाहर से खिड़कियों को देखने पर बूढ़ा पूरा दिखता, क्योंकि वह खिड़की की चौखट पर एक पैर मोड़ कर बैठता था। बुढ़िया आधी दिखती, क्योंकि वह खिड़की की चौखट पर दोनों हथेलियाँ रख कर झुकी हुयी होती। बूढ़े का चेहरा जबड़े की हडि्डयों पर उभरा हुआ सुनो अभी पढ़ो अंदर खुलने वाली खिड़की - 2 144 453 अंदर खुलने वाली खिड़की (2) इसके अलावा, बुढ़िया की कुछ आदतें विचित्र और पुरानी थीं। उसे थूकने की आदत थी। खिड़की से सर निकाले हुए वह थोड़ी थोड़ी देर में थूकती रहती थी। हालांकि थूकने से पहले वह देख ...और पढ़ेथी कि नीचे सड़क पर कोई खड़ा न हो, पर कई बार ऐसा होता कि उसके द सुनो अभी पढ़ो अंदर खुलने वाली खिड़की - 3 - अंतिम भाग 102 423 अंदर खुलने वाली खिड़की (3) बीमारियों के मौसम में अक्सर बहुत लोग एक साथ मर जाते थे। इतने अधिक, कि श्मशान घाट की जमीन पर घंटो मुर्दे अपनी अपनी अर्थियों में पड़े रहते, खासतौर से गरीब मुर्दे। एक चिता ...और पढ़ेछूती हुयी दूसरी चिता जलती। अक्सर एक चिता की लपटें दूसरी चिता की लपटों में मिल जाती। देर से आने वाले अक्सर गलत चिता में शामिल होकर गमगीन चेहरे से मुर्दे के अच्छे दिन, उसके मन की बात और उसके कामों के बारे में आपस में फुसफुसाते हुए बात करते। मुर्दे इतने अधिक होते कि डोम, महापात्र घाट पर घूमते सुनो अभी पढ़ो अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Priyamvad फॉलो