शेष रही यादे - उपन्यास
किशनलाल शर्मा
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
"राकेश नहीं रहा।""क्या?"राकेश की मौत का समाचार काजोल को अपने पिता से मिला था।इस समाचार को सुनकर वह हतप्रद रह गईं।उसे सहसा इस बात पर विश्वास नही हुआ था।इसलिए उसने अपने पापा से पूछा था,"पापा, आप सही कह रहे ...और पढ़ेझूठ क्यो बोलूंगा,"रमेश चन्द्र बोले,"पहले पति और अब सरला का इकलौता बेटा एक्सीडेंट में मारा गया।"राकेश की मौत के समाचार ने कजोल को व्यथित कर दिया।उसने अगर राकेश का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया होता,तो शायद यह हादसा न होता।काजोल को एक एक करके सब बातें याद आने लगी।"बेटी इसे जानती हो?"एक दिन रमेश चन्द्र घर आये तब एक युवक भी
"राकेश नहीं रहा।""क्या?"राकेश की मौत का समाचार काजोल को अपने पिता से मिला था।इस समाचार को सुनकर वह हतप्रद रह गईं।उसे सहसा इस बात पर विश्वास नही हुआ था।इसलिए उसने अपने पापा से पूछा था,"पापा, आप सही कह रहे ...और पढ़ेझूठ क्यो बोलूंगा,"रमेश चन्द्र बोले,"पहले पति और अब सरला का इकलौता बेटा एक्सीडेंट में मारा गया।"राकेश की मौत के समाचार ने कजोल को व्यथित कर दिया।उसने अगर राकेश का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया होता,तो शायद यह हादसा न होता।काजोल को एक एक करके सब बातें याद आने लगी।"बेटी इसे जानती हो?"एक दिन रमेश चन्द्र घर आये तब एक युवक भी
"वंहा का इंजीनियर छुट्टी पर गया है।इसलिए मुझे तीन महीने के लिए वहाँ भेजा जा रहा है।"और राकेश मुम्बई चला गया।वह काजोल से दूर ज़रूर आ गया था,लेकिन भुला नही था।वह रोज कई बार काजोल से फोन पर बाते ...और पढ़ेदिन सरकते रहे।दो महीने बाद अचानक एक दिन राकेश, काजोल के ऑफिस जा पहुँचा था।"अरे तुम?फोन पर तुमने नही बताया था।वापस आ रहे हो?"राकेश को अचानक आया देखकर काजोल चौकी थी।"वापस नही आया।सिर्फ तुमसे बात करने के लिए कुछ घण्टे के लिए आया हूँ"राकेश बोला तुमसे जरूरी बात करनी है।कुछ देर के लिए बाहर चलो।"काजोल,राकेश के साथ ऑफीस के बाहर