शेष रही यादें(अंतिम भाग) Kishanlal Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

शेष रही यादें(अंतिम भाग)

"वंहा का इंजीनियर छुट्टी पर गया है।इसलिए मुझे तीन महीने के लिए वहाँ भेजा जा रहा है।"
और राकेश मुम्बई चला गया।वह काजोल से दूर ज़रूर आ गया था,लेकिन भुला नही था।वह रोज कई बार काजोल से फोन पर बाते करता।और दिन सरकते रहे।दो महीने बाद अचानक एक दिन राकेश, काजोल के ऑफिस जा पहुँचा था।
"अरे तुम?फोन पर तुमने नही बताया था।वापस आ रहे हो?"राकेश को अचानक आया देखकर काजोल चौकी थी।
"वापस नही आया।सिर्फ तुमसे बात करने के लिए कुछ घण्टे के लिए आया हूँ"राकेश बोला तुमसे जरूरी बात करनी है।कुछ देर के लिए बाहर चलो।"
काजोल,राकेश के साथ ऑफीस के बाहर पार्क मे आ गई थी।
"अब कहो क्या कहना चाहते हो"?काजोल ने पूछा था
"मुझे अमेरिका में नौकरी मिल गई है।"
"अच्छा?"काजोल खुश होते हुए बोली,"वहाँ तो यहाँ से ज्यादा सैलरी मिलेगी?"
"हॉ।"
"कब जा रहे हो अमेरिका?"
"अगले महीने",राकेश बोला,"जाने से पहले मेरी एक इच्छा है।"
"कैसी इच्छा?"
"वैसे तो अंकल से बात करनी चाहिए लेकिन उससे पहले तुमसे बात करनी ज़रूरी है।"
"मैं समझी नही कहना क्या चाहते हो?"काजोल को राकेश की बात का आशय समझ मे नही आया था।
"मैं चाहता हूँ,तुम भी मेरे साथ चलो।"
"नौकरी तुम्हे मिली है।मुझे नहीं।"
"नौकरी मुझे मिली है फिर भी मैं तुम्हे अपने साथ ले जाना चाहता हूँ।"
"कैसे?"काजोल बोली थी।
"अपनी बनाकर,"राकेश बोला,"मेरी जिंदगी मे आनेवाली तुम पहली औरत हो।मैं तुम्हे चाहता हूँ।प्यार करता हूँऔर तुम्हे अपनी जीवन संगनी बनाकर अपने साथ ले जाना चाहता हूं।"
राकेश ने अचानक शादी का प्रस्ताव रखा,तो काजोल सोच मे पड़ गई।शादी एक सामाजिक रीत है और हर मर्द औरत की एक दिन शादी होती है।राकेश उसका दोस्त था।लेकिन उससे शादी का ख्याल काजोल के मन में अभी तक नही आया था।इसलिए राकेश ने शादी का प्रस्ताव रखा,तो वह निर्णय नही कर पाई और बोली थी,"क्या हम दोस्त ही नही रह सकते।"
काजोल की बात सुनकर राकेश बोला,"मतलब तुम मुझसे शादी करना नही चाहती?"
"मेरे दिल मे कभी भी तुमसे शादी का विचार नही आया।आज तुमने कहा है,तो विचार करूंगी।"
राकेश यह सोचकर आया था कि काजोल उसके प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार कर लेगी।विदेश जाने की बात सुनकर उसकी खुशी का ठिकाना नही रहेगा।वह तुरंत उसके प्रस्ताव को स्वीकार कर लेगी।लेकिन जैसा राकेश सोचकर आया था,वैसा नही हुआ था।उसके प्रस्ताव पर काजोल ने कोई उत्साह नही दिखाया तब राकेश बोला,"क्या तुम्हारा शादी का इरादा नही है।"
"शादी का मतलब है,आजीवन के लिए किसी मर्द के साथ बंध जाना।पुरी जिंदगी का फैसला में जल्दबाजी में नही करना चाहतो।"
"मैं तुम्हे चाहता हूँ।प्यार करता हूँ और तुम्हे अपनी बनाना चाहता हूँ।लेकिन तुम मुझसे प्यार नही करती।तो यह हमारी अंतिम मुलाकात है।"राकेश नाराज होकर उठ खड़ा हुआ।
"राकेश मेरी बात तो सुनो।तुम बैठो तो।"काजोल ने राकेश को रोकने की बहुत कोशिश की थी।लेकिन राकेश नाराज होकर चला गया था।
काजोल ने सोचा था।जब उसका गुस्सा उतर जाएगा तब वह उससे बात जरूर करेगा।लेकिन ऐसा नही हुआ।उसका फोन नही आया।तब उसने कई बार राकेश को फोन किया।लेकिन राकेश ने उसका फोन नही उठाया था।
काजोल के पास से लौटकर वह उखड़ा उखड़ा रहने लगा।काजोल की ना ने उसे व्यथित कर दिया।उसका दिल तोड़ दिया।इसी का नतीजा था उसकी बाइक का ट्रक से एक्सीडेंट
राकेश की मौत के समाचार ने उसे झकझोर दिया।वह सोच रही थी।अगर उसने राकेश का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया होता,तो शायद राकेश इस दुनिया मे ही होता।
राकेश नही रहा था।
शेष रह गयी थी,उसकी यादे