"राकेश नहीं रहा।"
"क्या?"
राकेश की मौत का समाचार काजोल को अपने पिता से मिला था।इस समाचार को सुनकर वह हतप्रद रह गईं।उसे सहसा इस बात पर विश्वास नही हुआ था।इसलिए उसने अपने पापा से पूछा था,"पापा, आप सही कह रहे है?"
"तुमसे झूठ क्यो बोलूंगा,"रमेश चन्द्र बोले,"पहले पति और अब सरला का इकलौता बेटा एक्सीडेंट में मारा गया।"
राकेश की मौत के समाचार ने कजोल को व्यथित कर दिया।उसने अगर राकेश का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया होता,तो शायद यह हादसा न होता।काजोल को एक एक करके सब बातें याद आने लगी।
"बेटी इसे जानती हो?"एक दिन रमेश चन्द्र घर आये तब एक युवक भी उनके साथ आया था।उस युवक की तरफ इशारा करते हुए रमेश चन्द्र ने अपनी बेटी से पूछा था।
"नही पापा,"काजोल उस युवक की तरफ देखते हुए बोली,"मैने पहले कभी इन्हें नहीं देखा।"
"बिल्कुल गलत,"रमेश चन्द्र बोले ,"तुमने इसे देखा भी है और तुम इसके साथ खेली और पढ़ी भी हो।"
"कब?"काजोल ने पूछा था।
"तुम्हे सरला आंटी की याद है?"
पिता के कहने पर काजोल ने दिमाग पर जोर डाला तो उसे बचपन कु याद आ गई,"जो हमारे सामने वाले क्वार्टर मे रहती थी।"
"सही कहा,"रमेश चन्द्र बोले,"याद है सरला का बेटा तुम्हारे साथ पढता था।"
"राकेश।"पिता की बात सुनकर काजोल उछलते हुए बोली थी।
"हॉ।यह वो ही राकेश है"
"तुम राकेश हो?"काजोल आश्चर्य से बोली थी,",तुम इतने बड़े हो गए हो।"
"मैं बड़ा हो गया हूँ और तुम अभी बच्ची ही हो,"राकेश बोला,"अंकल साथ न होते तो मैं भी तुम्हें न पहचान पाता।"
रमेश चन्द्र मंडल कार्यालय में अधीक्षक थे।उनके सामने वाले क्वार्टर मे राम लाल रहता था।राम लाल ड्राइवर था।उसकी पत्नी का नाम सरला था।उनके एक बेटा था,जिसका नाम राकेश था।राकेश,काजोल का हम उम्र था।वे दोनों स्कूल में साथ साथ पढ़ते थे।राकेश और काजोल ने तीसरी कलस तक साथ साथ पढ़ाई की थी।फिर रामलाल का ट्रांसफर बीकानेर हो गया था।वह अपने परिवार के साथ बीकानेर चला गया था।
उन लोगो के चले जाने के बाद काजोल कई दिनों तक सरला आंटी और राकेश को याद करती रही थी।धीरे धीरे समय गुज़रने के साथ यादों पर वक़्त की धूल जमती चली गई।और वे उन्हें भूल गई।काफी दिनों बाद एक दिन फिर उनका जिक्र आ गया।रामलाल की अचानक ह्र्दयगति रूकने से मौत हो गई थी।काजोल के मम्मी और पापा शौक प्रकट करने के लिए बीकानेर गए थे।
पति की मृत्यु के बाद सरला को रेलवे मे नौकरी मिल गई थी।सरला और राकेश के बारे में कई दिनों तक उनके घर मे चर्चा होती रही थी।
और आज वर्षो बाद,वह राकेश,जिसके साथ उसने बचपन के कई साल गुज़ारे थे।युवक के रूप में उसके सामने खड़ा था।
"तुम दोनों बातें करो।"रमेश चन्द्र अंदर चले गए थे।पिता के जाने के बाद काजोल ने पूछा था,"आज अचानक कैसे?"
"मेरी एक कम्पनी में सॉफ्टवेर इंजीनियर की नौकरी लग गई है,"अपने बारे में बताते हुए राकेश बोला,"तुम आजकल क्या कर रही हो?"
"मैं भी एक कम्पनी में जॉब कर रही हूँ।"
उस दिन वे लोग देर रात तक बाते करते रहे थे।
उस दिन के बाद राकेश और काजोल की मुलाकात होने लगी।कम्पनी से छुट्टी होने के बाद उनका काफी समय साथ गुज़रता।वे साथ घूमते,खाते पीते,पिक्चर देखते।और न जाने कब साल गुजर गया।एक दिन राकेश आते ही उससे बोला,मैं मुम्बई जा रहा हूँ।"
"क्यो?"काजोल उसकी बात सुनकर बोली।