Safed rang book and story is written by Namita Verma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Safed rang is also popular in लघुकथा in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
सफेद रंग - उपन्यास
Namita Verma
द्वारा
हिंदी लघुकथा
माँ बाजार से आते वक्त मेरे लिए रंग बिरंगी चूड़ियां ले आना ना -मुन्नी ने मां से विनती करते हुए कहा । कितनी चूड़ियां इकट्ठी करेगी तू मुन्नी -मां ने उसे प्यार से डांटते हुए कहा... देख ले मां मैं ब्याह हो कर चली जाऊंगी ना फिर तू तरसेगी मुझे चूड़ियां पहनाने को,ऐसा क्यों रे मुन्नी ,अरे मां ,बाबा मुझे दूर ब्याहेगे ना तो,अच्छा ठीक है ले आऊंगी ज्यादा मक्खन ना लगा ....रसोई घर में तरकारी रखी है वो काट लियो और अंदर से दरवाजा भेड लियो... हाँ माँ ठीक है,मां की जाते ही मुन्नी ने अपना खजाना निकाला आहाहह चूड़ियों का, संसार
माँ बाजार से आते वक्त मेरे लिए रंग बिरंगी चूड़ियां ले आना ना -मुन्नी ने मां से विनती करते हुए कहा । कितनी चूड़ियां इकट्ठी करेगी तू मुन्नी -मां ने उसे प्यार से डांटते हुए कहा... देख ले मां ...और पढ़ेब्याह हो कर चली जाऊंगी ना फिर तू तरसेगी मुझे चूड़ियां पहनाने को,ऐसा क्यों रे मुन्नी ,अरे मां ,बाबा मुझे दूर ब्याहेगे ना तो,अच्छा ठीक है ले आऊंगी ज्यादा मक्खन ना लगा ....रसोई घर में तरकारी रखी है वो काट लियो और अंदर से दरवाजा भेड लियो... हाँ माँ ठीक है,मां की जाते ही मुन्नी ने अपना खजाना निकाला आहाहह चूड़ियों का, संसार
मुन्नी जैसे तैसे होश को संभालते हुए घर पहुँची एक अदना सी उम्मीद लिए,कि शायद उसके बाबा उसके साथ ऐसा नहीं करेंगे, उसकी ये सारी शंकाऐ तो अब सिर्फ बाबा ही दूर कर सकते थे,(उम्मीदों को लगाना कभी से ...और पढ़ेना हुआ ना ही कभी होगा,मगर बुरा है तो उन उम्मीदों का टूट जाना ) खासकर ऐसे इंसानों से लगाई गई उम्मीदें जिन्होंने हमें बचपन से ही उम्मीद लगाना सिखाया हो,मुन्नी का गला अब सूख चुका था मुन्नी ने अपना बस्ता पटकते हुए अपने कमरे का दरवाजा मूंद लिया,रे मुन्नी क्या हुआ -मुन्नी की मां ने आवाज लगाई, क्या हुआ
बाबा आए तो मुझे आवाज लगा दियो, अच्छा ठीक है ,इतना कहकर मुन्नी की माँ ने चुप रहना बेहतर समझा। इंतजार करते-करते अब मुन्नी सो चुकी थी,उधर मुन्नी की मां बड़बड़ा रही थी कि किधर रह गए समय का ...और पढ़ेभी ख्याल नहीं है इनको ,तभी दरवाज़े से आवाज आई कि वो गिरधर की वजह से लेट हो गया मैं, उसने लड़के वालों के यहां फोन मिला दिया था, इतना सुनते ही मुन्नी की मां बरस पड़ी,इतनी जल्दी काहे कर रहे हो हमारी मुन्नी कहीं भागी थोड़ी जा रही है,अरे मुन्नी कि मां तुमको नहीं समझ आएगा ई रिश्ता हाथ