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शोर... एक प्रेमकहानी - उपन्यास
अर्चना यादव
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
शोरएक कैफे कराओके क्लब जहाँ सैकड़ों भीड़ जमा हैं हर किसी के चहरे पर मुस्कान हैं और कुछ देर बाद चहरे के भाव बदल जा रहे हैं कभी हँस रहे तो कभी थोडा शांत हो जा रहे हैं साथ ही ताली भी बजा रहे हैं. सामने एक पचीस छब्बीस साल का नवयुवक नरेन्द्र अपनी कविताएँ बड़े मज़े से सुना रहा है. नरेन्द्र एक कवि है उसका एक यूट्यूब चैनल भी है – “द वाईस ऑफ़ हार्ट”. वो एक ओपन माइक इवेंट का ओनर है जो महीने में दो बार ओपन माइक इन्वेंट करवाता है महीने में दो बार इवेंट होते
शोरएक कैफे कराओके क्लब जहाँ सैकड़ों भीड़ जमा हैं हर किसी के चहरे पर मुस्कान हैं और कुछ देर बाद चहरे के भाव बदल जा रहे हैं कभी हँस रहे तो कभी थोडा शांत हो जा रहे हैं साथ ...और पढ़ेताली भी बजा रहे हैं. सामने एक पचीस छब्बीस साल का नवयुवक नरेन्द्र अपनी कविताएँ बड़े मज़े से सुना रहा है. नरेन्द्र एक कवि है उसका एक यूट्यूब चैनल भी है – “द वाईस ऑफ़ हार्ट”. वो एक ओपन माइक इवेंट का ओनर है जो महीने में दो बार ओपन माइक इन्वेंट करवाता है महीने में दो बार इवेंट होते
मेंंज़ उस इलाके का जाना माना गुण्डा है जिससे आम इन्सान तो क्या वहाँ की पुलिस भी डरती है सलामी ठोकती है. वहाँ सारे इंलीगल काम का करता धरता तेज ही है और अपने काम की वजह से ...और पढ़ेभाई के नाम से विख्यात है. और साथ ही श्यामली का भाई भी है. श्यामली अपने रूम में बैठी मोबाईल देख रही है की उसकी माँ आवाज देती हैं –श्यामली पानी लेकर आओ तुम्हारा भाई आ गया. श्यामली पानी लेकर बाहर जाती है तो भाई और माँ बात कर रहे हैं. उसे पिछले महीने एक परिवार देखकर गया था शादी के लिए
पुलिस ने बचाव किया तेज़ का लेकिन उनकी बातों से लग रहा था की कितनी फ़िक्र है. कोई सवाल ना उठे और तेज बच भी जाय. नरेन्द्र कम नहीं था वो भी जिद पर अड़ गया नहीं मैं रिपोर्ट ...और पढ़ेलिखवा के ही जाऊंगा. लेकिन वहाँ से धक्के मार कर भगा दिया गया. दुःख तो हुआ लेकिन हार नहीं मानना है निश्चय किया. पुलिस वाले भी कम नहीं थे. खाते थे तो इमानदार भी थे हाँ सरकार के प्रति इमानदारी कहाँ मायने रखती है. नरेन्द्र के जाते ही तेज़ के पास खबर पहुंच गयी और साथ ही सलाह भी दे दी
पुलिस ने अच्छे से समझाया उनके इस तरह समझाने से ऐसा लग रहा है की वो सुलह की आड़ में ये चाहते हैं की नरेन्द्र भी अब केस ना करे जो मम्मी के एक्सीडेंट के बाद से वो सोच ...और पढ़ेहै करने के लिए. नरेन्द्र भी समझ गया था की ये सब उसी के लिए जाल बुना गया है. वो भी बस हां हां करता रहा क्यों की दूसरा रास्ता अब नहीं बचा है.खबर मिलते ही उसके दोस्त भी पुलिस स्टेशन पहुंच गये. वहाँ से निकलने के बाद वो काफी देर तक उनके साथ ही रहा. उस दिन उसने शराब
समय बड़ा बलवान होता है बड़े से बड़ा घाव भर देता है. सब कुछ नार्मल है महीने में दो बार नरेन्द्र का इवेंट होता है उसकी वीडियो पर भर भर के विव आते हैं. तेज श्यामली के लिए फिर ...और पढ़ेरिश्ता देखता है बात चीत चल रही है की उसके मामा की तबियत अचानक खराब हो जाती है इसलिए माँ को लेकर जाना पड़ता है मामा को देखने. एक रात के लिए श्यामली घर में अकेली रहती है उस दिन दोनों कॉल पर ही लगे रहे या तो मैसेज पर. रात के बारह बजे के बाद तक नरेन्द्र गली में