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शोर एक प्रेम कहानी - 2

मेंंज़ उस इलाके का जाना माना गुण्डा है जिससे आम इन्सान तो क्या वहाँ की पुलिस भी डरती है सलामी ठोकती है. वहाँ सारे इंलीगल काम का करता धरता तेज ही है और अपने काम की वजह से तेजा भाई के नाम से विख्यात है. और साथ ही श्यामली का भाई भी है.
श्यामली अपने रूम में बैठी मोबाईल देख रही है की उसकी माँ आवाज देती हैं –श्यामली पानी लेकर आओ तुम्हारा भाई आ गया. श्यामली पानी लेकर बाहर जाती है तो भाई और माँ बात कर रहे हैं. उसे पिछले महीने एक परिवार देखकर गया था शादी के लिए लेकिन तेज़ की डर की वजह से इतने दिनों से मना नही कर पा रहा था आज साफ साफ कह दिया की अब और लटकाना नही चाहते आप भी झूठ में ही उम्मीद पाल लेंगे लड़का अभी शादी के लिए तैयार नहीं है तो हम क्या करे वर्ना आप की बहन है तो कर लेते शादी.
ये कोई पहला रिश्ता नहीं था जिसने तेज़ के खौफ के बाद भी रिश्ते से माना किया था. ये संख्या अनगिनत है. हाँ वही लोग किये जिनके पास या तो कुछ नहीं था या तो कोई कमी थी. तेज़ की अपनी भी नाक थी वो ऐसे ही किसी घर में कैसे कर देता. माँ सुनी तो बेटी की किस्मत को कोसने लगीं की पता नहीं क्या लिखा है इसकी किस्मत में कहाँ अटकी है किस्मत भगवान एक ही बिटिया है न जाने क्या लिखा है करम में. तेज भी बहुत गुस्सा हो रहा था उसका बस चलता तो किसी ऐसे अपनी बहन से सुंदर अच्छा लड़का किडनैप करके शादी करवा देता लेकिन माँ ने रोक रखा था की श्यामली को खुश नहीं रखेगा बंदूक की नोक पर शादी करवा दोगे बाद में कुछ कर दिया तो हम क्या कर लेंगे. श्यामली यह सब सुन कर बहुत दुखी होती है हमेशा होती है. गोर होने का महत्व कितना है. लोग बाहरी सुन्दरता को इतना बड़ा बना दिए हैं की मन की सुन्दरता चालचलन बात व्यवहार सब गौड़ हो गया है. जब भी रिजेक्ट होती खुद को घंटों शीशे में देखती सवाल बस एक ही होता क्या मैं इतनी बदसूरत हूँ? उस दिन रोते रोते आँखें लाल हो जाती इसलिए नहीं की मैं किसी को पसंद नहीं आ रही बल्कि इसलिए की मेरे चेहरे का रंग मेरी पूरी सख्शियत पर भारी पड़ रहा है.
रात को पार्टी करके नरेन्द्र घर पहुंचता है तो देखता है की मम्मी दर्द से कराह रही हैं. पूछता है – क्या हुआ... किसने किया... कैसे हुआ... कब हुआ... मम्मी आपने मुझे क्यों नहीं बताया... ये क्या हो गया.... मम्मी शांत करवाती हैं – ज्यादा चोट नहीं लगी है मैं ठीक हूँ. लेकिन कैसे हुआ...? नरेन्द्र पूछता है. मैं सब्जी लेने गयी थी सोचा पता नहीं तुम कब तक आओगे इसलिए लेने गयी थी वापस आते समय तेज ने धक्का मार दिया और सॉरी फील करने के बजाय मुझे थप्पड़ मारा भी. कहते कहते रोने लगती हैं. क्या उसकी ये हिम्मत...? नरेन्द्र बौखलाया हुआ उसे मरने के लिए जाता है- उसकी गुंडागिरी अब मोहल्ले में भी शुरू हो गयी.
मम्मी रोक लेती हैं – गुण्डा है उसके मुंह ना लगो, मैं तो बस किनारे से आ रही थी तो बोला बीच सड़क पर चल रही हो इसलिए धक्का मारा उसका खौफ लोगो में इतना है की उसे देखते ही सब चुप हो जाते हैं. तुम अकेले क्या कर लोगे. मैं बताऊंगा की सब नहीं डरते उससे वो होगा गुण्डा लेकिन हम भी उसके गुलाम नहीं हैं सबक सिखा दूंगा उसे. जाता है तो उसकी मम्मी रोक लेती हैं – मत जाओ तुम्हारे पापा के जाने के बाद मेरा और कोई नहीं है उससे दुश्मनी मोल लेना ठीक नहीं है.
मम्मी आप कितना डरती हो ... नरेन्द्र रुक जाता है – लेकिन मम्मी ऐसे ही उसका मन बढ़ जायेगा किसी को तो आवाज़ उठानी पड़ेगी और मैं ऐसे कैसे छोड़ दूँ. क्यों न डरूं मेरा एक ही बेटा है और वो गुण्डा मवाली कुछ कर देगा तो हम क्या कर लेंगे. नरेन्द्र मन ही मन सोचता है – मैं ऐसे नहीं छोड़ सकता उसने आप को चोट दी है इसका हिसाब तो देना पड़ेगा.
डों के हाथ की कठपुतली होते हैं. सिरे से इंकार कर दिया की छोटे मोटे झगड़ों के लिए रिपोर्ट नहीं लिखवाओ जाओ खुद सुलझाओ. सर छोटा मोटा झगड़ा नहीं है उसने एक्सीडेंट किया है मेरी मम्मी का और सॉरी बोलने के बजाय उन्हें मारा भी. पुलिस वाले सब हंसने लगते हैं- आज कल के लोग सॉरी ना बोलने को इतनी अहमियत देते हैं सॉरी नहीं बोला तो थाने में चले आये रिपोर्ट लिखवाने. इनकी नजर में सॉरी इतना बड़ा है की किसी का सिर काट दो फिर सॉरी बोल दो. देखो ज्यादा होशियार न बनो जाओ अपनी माँ का इलाज करवाओ सॉरी फोरी में कुछ नहीं रखा है.... अगर हमने रिपोर्ट लिख ली तो फंस जाओगे कोर्ट कचहरी के चक्कर में।

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