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रहस्यमयी टापू - उपन्यास
Saroj Verma
द्वारा
हिंदी रोमांचक कहानियाँ
काला घना अंधेरा, समुद्र का किनारा, लहरों का शोर रात के सन्नाटे में कलेजा चीर कर रख देता है, तभी एक छोटी कस्ती किनारे पर आकर रूकती है, उसमें से एक सख्स फटेहाल, बदहवास सा नीचे उतरता है, समुद्र गीली रेत में उसके पैर धसे जा रहे हैं,उसके पैरों में जूते भी नहीं है, लड़खड़ाते से कदम,उसकी हालत देखकर लगता है कि शायद कई दिनों से उसने कुछ भी नहीं खाया है, उसके कपड़े भी कई जगह से बहुत ही जर्जर हालत में हैं।।
रहस्यमयी टापू.!!--भाग(१) काला घना अंधेरा, समुद्र का किनारा, लहरों का शोर रात के सन्नाटे में कलेजा चीर कर रख देता है, तभी एक छोटी कस्ती किनारे पर आकर रूकती है, उसमें से एक सख्स फटेहाल, बदहवास सा नीचे उतरता ...और पढ़ेसमुद्र गीली रेत में उसके पैर धसे जा रहे हैं,उसके पैरों में जूते भी नहीं है, लड़खड़ाते से कदम,उसकी हालत देखकर लगता है कि शायद कई दिनों से उसने कुछ भी नहीं खाया है, उसके कपड़े भी कई जगह से बहुत ही जर्जर हालत में हैं।। उसे दूर से ही एक रोशनी दिखाई देती है और आशा भी बंध
रहस्यमयी टापू---भाग(२) मानिक ने चित्रलेखा से पूछा, आखिर ऐसा क्या राज है ?और वो लोग कौन थे,?कोई भटकती रूहें या कोई अंजानी ताकतें,जो इंसानों को देखकर इस क़दर वार करती है,कौन सी सच्चाई छुपी है इस जगह में जो ...और पढ़ेमुझसे छुपाने की कोशिश कर रही हैं।। चित्रलेखा बोली, रहने दो, बहुत लम्बी कहानी है,सुनोगे तो तुम्हारा दिल दहल जाएगा,राज जब तक राज रहे तो अच्छा है।। अभी तुम सो जाओ,रात का तीसरा पहर खत्म होने वाला है और सुबह होते ही तुम अपनी कस्ती को देखो, अपनी जगह हैं कि नहीं और वापस लौट जाओ, बाक़ी बातें
रहस्यमयी टापू...!!--भाग(३) मानिक चंद को लग रहा था कि वो कौन सी अजीब जगह आकर फंस गया,जो है नहीं वो दिखता है और जो दिखता है वो है नहीं, समुद्र के किनारे वो यहीं बैठा सोच रहा था।। ...और पढ़े फिर उसने सोचा ऐसे बैठने से काम चलने वाला नहीं है चलो कुछ करता हूं,तभी यहां से निकल पाऊंगा, तभी उसे दूर पत्थरों के पीछे एक बड़ी सी नाव दिखी, उसने पास जाकर देखा तो अभी नाव की हालत इतनी खराब नहीं थी कुछ ना कुछ मरम्मत करके उसे ठीक किया जा सकता था।। तभी उसे लगा कि दूर चट्टान
रहस्यमयी टापू-भाग(४) उस जादूगरनी ने बहुत से पुरुषों के साथ ऐसा किया था,सब कहते थे कि उसने अपनी आत्मा को कहीं और कैद कर रखा था,शायद किसी गिरगिट में,उसे ऐसे तहखाने में कैद कर रखा था जहां के दरवाज़े ...और पढ़ेकई बड़े सांप उसकी रक्षा करते थे ।। इस तरह से पुरूषों के गायब होने की ख़बर से लोग परेशान होने लगे थे लेकिन किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि बात क्या है? नीलगिरी राज्य के लोगों का इस क़दर गायब होना, वहां के राजा को कुछ अजीब लग रहा था, उन्होंने इस विषय में
रहस्यमयी टापू--भाग (५) नीलाम्बरा, शुद्धोधन से बिना बात किए आ तो गई लेकिन अब उसे अफ़सोस हो रहा था कि अगर थोड़ी देर ठहर कर शुद्धोधन से बात कर भी लेती तो क्या बिगड़ जाता,बेचारा कितनी आश लिए बैठा ...और पढ़े सारे काम धाम निपटा कर बिस्तर पर गई लेकिन आंखों में नींद कहां थी, आंखें तो बस शुद्धोधन को ही देखना चाहती थी फिर वो चाहे खुली हो या बंद,शायद शुद्धोधन के प्रेम जाल में क़ैद हो चुकी थी नीलाम्बरा।। उधर शुद्धोधन का भी वही हाल था,हर घड़ी आंखें बस नीलाम्बरा को ही देखना चाहतीं थीं,दिल में बस