Pratap Narayan Singh लिखित उपन्यास सीता: एक नारी

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सीता: एक नारी द्वारा  Pratap Narayan Singh in Hindi Novels
सीता: एक नारी ॥ प्रथम सर्ग ॥ गाथा पुरानी है बहुत, सब लोग इसको जानते वाल्मीकि ऋषि की लेखनी के तेज को सब मानते है विदित सब...
सीता: एक नारी द्वारा  Pratap Narayan Singh in Hindi Novels
सीता: एक नारी ॥द्वितीय सर्ग॥ मेरे लिए जो था प्रतीक्षित वह समय भी आ गयारण बीच रावण बन्धु-बांधव के सहित मारा गया कम्पित दि...
सीता: एक नारी द्वारा  Pratap Narayan Singh in Hindi Novels
सीता: एक नारी ॥तृतीय सर्ग॥ स्वीकार करती बंध जब, सम्मान नारी का तभीहोती प्रशंसित मात्र तब, संतुष्ट जब परिजन सभी भ्राता, प...
सीता: एक नारी द्वारा  Pratap Narayan Singh in Hindi Novels
सीता: एक नारी ॥चतुर्थ सर्ग॥ सहकर थपेड़े अंधड़ों के अनगिनत रहता खड़ा खंडित न होता काल से, बल प्रेम में होता बड़ा पहले मिलन पर...
सीता: एक नारी द्वारा  Pratap Narayan Singh in Hindi Novels
सीता: एक नारी ॥पंचम सर्ग॥ संतप्त मन, हिय दाह पूरित, नीर लोचन में लिएमुझको विपिन में छोड़कर लक्ष्मण बिलखते चल दिए निर्लिप्...