आत्मा की आवाज - उपन्यास
Kishanlal Sharma
द्वारा
हिंदी प्रेरक कथा
गणेश को बचपन से ही चोरी की आदत पड़ गई थी।बड़ा होकर वह शातिर चोर बन गया।छोटा था तो छोटी चोरी करता था।बड़ा हुआ तो बड़ी चोरी करने लगा।रात को जब लोग अपने अपने घरों में सो रहे होते।तब ...और पढ़ेसेंध लगाकर किसी घर मे घुसता।घर के लोग गहरी नींद में सो रहे होते और वह नगदी,गहने चुराकर रफूचक्कर हो जाता।वह बडी होशियारी, चालाकी से चोरी करता था।इसलिए कभी नही पकड़ा गया था।जिस घर मे चोरी करता।उसमे रहनेवालो को भी सुबह ही घर मे चोरी होने का पता चलता।चोरी की घटना होने पर जनता हल्ला मचाती। अखबार में समाचार प्रमुखता
गणेश को बचपन से ही चोरी की आदत पड़ गई थी।बड़ा होकर वह शातिर चोर बन गया।छोटा था तो छोटी चोरी करता था।बड़ा हुआ तो बड़ी चोरी करने लगा।रात को जब लोग अपने अपने घरों में सो रहे होते।तब ...और पढ़ेसेंध लगाकर किसी घर मे घुसता।घर के लोग गहरी नींद में सो रहे होते और वह नगदी,गहने चुराकर रफूचक्कर हो जाता।वह बडी होशियारी, चालाकी से चोरी करता था।इसलिए कभी नही पकड़ा गया था।जिस घर मे चोरी करता।उसमे रहनेवालो को भी सुबह ही घर मे चोरी होने का पता चलता।चोरी की घटना होने पर जनता हल्ला मचाती। अखबार में समाचार प्रमुखता
गणेश अजीब अंतर्द्वंद में फंस गया।एक तरफ उसके मन में बैठा चोर था।दूसरी तरफ उसकी आत्मा।मन मे बैठा चोर उसे भागने की सलाह दे रहा था।जबकि उसकी आत्मा उसकी मदद करना चाहती थी।गणेश अजीब उलझन मे फस गया था।उसकी ...और पढ़ेमे नही आ रहा था।मन मे बैठे चोर की माने या आत्मा की बात?"पानी। पानीकिसी के करहाने कीआवाज फिर आयी।उस आवाज में दर्द था। छटपटाहट थी।बेबसी थी।उस आवाज ने गणेश को अंतर्द्वंद से मुक्ति दिला दी।मन मे बैठे चोर और आत्मा के संघर्ष में जीत आत्मा की हुई थी।गणेश आवाज की दिशा मे चल पड़ा।गणेश अंधेरे को पार करके एक