Prem do dilo ka book and story is written by VANDANA VANI SINGH in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Prem do dilo ka is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
प्रेम दो दिलो का - उपन्यास
VANDANA VANI SINGH
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
इस कहानी की सुरुवात इक गाव से होती है। जो सहर से थोड़ा दूर है,जहा दो दिलो मे एक प्रेम उत्पन्न हो रहा था। प्रेमी और प्रेमिका एक दुसरे के दिल मे अपना घर बना रहे थे जिसकी उन दोनो को भी भनक ना थी की उनके साथ क्या होने लगा है। हम इस कहनी के पहले पन्नो के नामों का दर्सन करेंगे।प्रेमी-निर्मल प्रेमिका-नीरू प्रेमी के माता पिता - रामा और कुंवर प्रेमिका के माता पिता - रूमा और विजयआगे के पात्रो का हम दर्सन आगे करेंगे । निर्मल लम्बा कद , घुंघराले बाल , बड़ी दो आँखें गुलाब की पंखुडि की तरह
इस कहानी की सुरुवात इक गाव से होती है। जो सहर से थोड़ा दूर है,जहा दो दिलो मे एक प्रेम उत्पन्न हो रहा था। प्रेमी और प्रेमिका एक दुसरे के दिल मे अपना घर बना रहे थे जिसकी ...और पढ़ेदोनो को भी भनक ना थी की उनके साथ क्या होने लगा है। हम इस कहनी के पहले पन्नो के नामों का दर्सन करेंगे।प्रेमी-निर्मल प्रेमिका-नीरू प्रेमी के माता पिता - रामा और कुंवर प्रेमिका के माता पिता - रूमा और विजयआगे के पात्रो का हम दर्सन आगे करेंगे । निर्मल लम्बा कद , घुंघराले बाल , बड़ी दो आँखें गुलाब की पंखुडि की तरह
जो भी अब कर सकता था अब निर्मल ही था निर्मल ने रुचि की मदत से नीरू के पूरे बदन पे पट्टि रखता है। जब उसके पिता जी सहर से वापस आते है तो उनके साथ सहर जाकर ...और पढ़ेको डॉक्टर से दिखाता है । बुखार की वजह से नीरू कमजोर हो गयी थी । वह जब घर वापस आए तो अस्पताल मे रात मे रुकना निर्मल के लिये आसान था । लेकिन निर्मल अब नीरू को छोड़ना नही चाहता है। वह चाहता है की वह नीरू के पास बैठ कर पुरा समय उसको देखता रहे , लेकिन यह सम्भव
वह देखता है कि नीरू अपने कमरे में अपने बिस्तर पर लेती है और उसके बाल उसके गालों से होते हुए उसके पूरे बदन पे फैले है । ऐसा लग रहा था जैसे कोई परी रूठ गई हो ...और पढ़ेगुस्से से उसके चेहरे लाली देखने वाली थी निर्मल को समझ ना आ रहा था कि वह नीरू से क्या कहे वह थोड़ी तेज आवाज में कहता है कि क्या हुआ क्यों इतने गुस्से में लेती है बाहर से आवाज़ आती है स्कूल जाने से मना किया गया है इस वजह से रूठी हुई है निर्मल अच्छा तो ये बात है
निर्मल को उस दिन नीरू को देखना ऐसा लगा जैसे निर्मल ने उसे अपनी आँखो से छु लीया हो। पूरा दिन नीरू यह सोचती रही की वो क्या था जो निर्मल की आँखो मे देखा वो क्या था । ...और पढ़ेबात वह निर्मल से पूछेगी की वो इस तरह से क्यो देखता है । ये बात अब नीरू को भी लगने लगा की क्या निर्मल उससे प्यार करता है या सिर्फ उसे देख लेता है ।अब दोनो की हालत एक जैसी है सोचने वाली बात ये है कि तब नीरू कहती क्यो नही है निर्मल से की वह भी वही
रमा के परो को जैसे उड़ान मिल गयी हो और वह उडने लगी हो जैसे वह उसकी बात कर रहा है । निर्मल दुबारा पूछता है कि नीरू मेरे बारे मे कोई बात ना करती है । रमा ने ...और पढ़ेकहा की करती तो है पर ये बात तुम क्यो पुछ रहे हो । निर्मल हिचकिचते हुए कहा बस ऐसे ही पुछ नही सकता ।रमा बोली गुस्से से कह रही थी कि निर्मल ने उसकी बहुत देख भाल की और तुम उसे पढ़ाने भी जाते हो । निर्मल हस्ते हुए बोला हाँ जाता हूँ । रमा उसकी तरफ क्या पढाते हो