प्रेम दो दिलो का - 10 VANDANA VANI SINGH द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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प्रेम दो दिलो का - 10

सालो बीत गए थे उन्हें प्यार करते हुए लेकिन आज उन्हें ये लग रहा था ये बात उन्होंने पहले क्यों नहीं सोची उसे क्यों समझ नहीं आया कि वो इक दूसरे के नहीं हो सकते नीरू मेरी जान तुम अभी चलो हम दोनो कहीं बाहर चले जाएंगे इस दुनिया से दूर कहीं दूसरी दुनिया बसाएंगे नीरू उसके गले लग गई कहने लगी निर्मल मुझे माफ़ कर दो मै तेरी ये बात नहीं कैसे करू मैं नहीं चल सकती मजबूर हूं मै , निर्मल गुस्सा होकर चला जाता है दिनों के दिन रात रो रो कट रहे थे । नीरू का ब्याह की तयारी होने लगी , नीरू ने सोच लिया कि अब वह निर्मल से जितना दूर रहे अच्छा है उन दोनों की जिंदगी के लिए विजय बार बार निर्मल काम के लिए बुला लता नीरू को ये बात बिल्कुल अच्छी नहीं लग रही थी । वो चाहती थी कि निर्मल उस को ना देखे क्यों की उसकी सारी कोशिश बरबाद हो जाती जब एक नजर निर्मल को देख लेती । अब वो भी दिन आ गया जब सादी की रस्में भी होने लगी सब हो रहा था जैसे इक बुरा आ गया उनके प्यार जैसे दोनो की भावनाएं बदल गई हो जैसे नीरू इतना कैसे बदल गई । ये बात निर्मल को भी समझ नहीं आ रही थी नीरू निर्मल दोनो अपने अपने वादों से कैसे मुकर जाए । अब ये लगने लगा है नीरू को अब निर्मल से कोई मतलब ना हो आखिर सादी कि रात आने बस एक दिन बचा है सभी अपने अपने काम कर रहे मेहंदी लग रही है अचानक से किसी काम के लिए निर्मल नीरू के कमरे में आकर वापस चला जाता है , नीरू पुकारती है निर्मल आओ मेरे पास बात कर लो कल हम चले जाएंगे यहां से रमा खूब तेज से रोने लगती है निर्मल अपने आंसू छिपाते हुए पास जाकर नीरू से कहता है कि कुछ खाने को ले आता हूं उतने में कमरे से बाहर जाकर कुछ लड्डू ले अता नीरू को अपने हाथ से खिलात है, रमा कमरे से बाहर जाकर कमरे को बाहर से बन्द कर लेती है और बाहर पहरे पे खड़ी है जो भी पूछता नीरू कहा ,कहती वो आराम कर रही है निर्मल नीरू दोनो इक साथ थे आज इसमें पूरी योजना रमा की थी वो आज भी यही चाहती थी कि ये पंछी यहां से उड़ जाए , उस रात नीरू ने निर्मल से कुछ वादे किए और करवाएं , उसने ये भी बताया कि समाज के डर से उसने एसा किया है , लेकिन उसे और कोई गिला नहीं है ना निर्मल से ना विजय से उसने ये भी वादा लिया कि निर्मल अपना ब्याह कर लेगा ।।
सब कुछ नीरू के मुताबिक हुआ सब उनके प्रेम की बाते भूल गए और वो दोनों के दिल आज भी धड़क रहे है।।
सबकुछ अच्छा सा हो गया हो जैसे निर्मल ने भी ब्याह कर लिया ,नीरू के ससुराल लेने जाता उसके पिता के साथ तब भी नीरू यहां मत आया करो।नीरू को इक लड़की हुई नीरू के पाती भी अच्छे थे सुंदर दिखने में काम धंधा भी अच्छा था लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था राजा (नीरू के पाती)को किसी ने बता दिया कि नीरू निर्मल पुरानी प्रेम कथा , राजा को जैसे भूत सवार हो गया उसने अपना सारा कम छोड़ कर नीरू को बस दिन रात गालियां देता मारता और खर्चे के लिऐ कहता की निर्मल से मांगे।।
ये सारी बातो से निर्मल अनजान था ।।
क्या नीरू निर्मल को बतेयेगी आगे पड़ते है।।।।