Saankal book and story is written by Zakia Zubairi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Saankal is also popular in सामाजिक कहानियां in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
सांकल - उपन्यास
Zakia Zubairi
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
सांकल ज़किया ज़ुबैरी (1) क्या उसने अपने गिरने की कोई सीमा तय नहीं कर रखी? सीमा के आंसुओं ने भी बहने की सीमा तोड़ दी है...। इंकार कर दिया रुकने से....। आंसू बेतहाशा बहे जा रहे हैं....। वह चाह रही है कि समीर कमरे में आए और एक बार फिर अपने नन्हें मुन्ने हाथों से सूखा धनिया मुंह में रखने को कहे, ताकि उसके आंसू रुक सकें I बचपन में ऐसा ही हुआ करता था कि समीर माँ की आँखों से बहते हुए आंसू देखकर बेचैन हो उठता और लपक कर मसालों की अलमारी के पास पहुंच जाता, उचक उचक कर मसाले की बोतलें खींचने लगता; पंजों के बल खड़े खड़े जब थक जाता तो कुर्सी
सांकल ज़किया ज़ुबैरी (1) क्या उसने अपने गिरने की कोई सीमा तय नहीं कर रखी? सीमा के आंसुओं ने भी बहने की सीमा तोड़ दी है...। इंकार कर दिया रुकने से....। आंसू बेतहाशा बहे जा रहे हैं....। वह चाह ...और पढ़ेहै कि समीर कमरे में आए और एक बार फिर अपने नन्हें मुन्ने हाथों से सूखा धनिया मुंह में रखने को कहे, ताकि उसके आंसू रुक सकें I बचपन में ऐसा ही हुआ करता था कि समीर माँ की आँखों से बहते हुए आंसू देखकर बेचैन हो उठता और लपक कर मसालों की अलमारी के पास पहुंच जाता, उचक उचक कर मसाले की बोतलें खींचने लगता; पंजों के बल खड़े खड़े जब थक जाता तो कुर्सी
सांकल ज़किया ज़ुबैरी (2) नख़रे तो सभी उठवाते थे क्योंकी उसका कुसूर था पति का कहना मानना और हर तेहरवें महीने एक नया सा प्यारा सा मॉडल पैदा कर देना। बेटे की बारी में भी सीमा को मेनेजर के ...और पढ़ेही भेजा था, पहले चैक-अप के लिए। उसको कितनी शर्म आ रही थी की डॉक्टर समझेगी की मेनेजर ही आने वाले बच्चे का बाप है। हुआ वही जिसका डर था... अपने पति को भी अन्दर बुला लो। डॉक्टर ने कहा था। हालाँकि मैनेजर उसके पति से अधिक जवान और ख़ुशमिजाज़ था पर सीमा को ये रिमार्क अच्छा नहीं लगा। वो उसी समय बहुत कुछ सोचने पर मजबूर सी
सांकल ज़किया ज़ुबैरी (3) “माँ, मैं उसको दो फ़्लैट्स, आपके दिए तमाम जेवर और पांच हज़ार पाउण्ड कैश भी दे रहा हूँ। ज़ेवर देने में आपको समस्या तो नहीं होगी क्योंकी आप औरतों को जेवर से बहुत प्यार होता ...और पढ़ेकितना कड़वा बोलता है, ये मेरा बेटा तो लगता ही नहीं, जैसे बाप कहीं और से ले आया हो...! 'मेरा तो जी चाह रहा है मैं उसको अपने ज़ेवर ही नहीं बल्कि अपने हिस्से की जो कुछ भी खुशियां रह गयी हैं वो भी दे दूं। ''क्यों ऐसा जी क्यों चाह रहा है। मुझ से रक्तसंबंध है या उससे?'' खून का रिश्ता क्या होता है। उसका क्या महत्व होता है, उसकी क्या अहमियत होती है और दिलों के रिश्ते की क्या, ये बातें तुम नहीं समझोगे। समीर दफ्तर ही में