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ख़ुशी - उपन्यास
Anil Sainger
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
‘मैं मुंबई से गोवा जा रहा था | दूसरी श्रेणी के वातानुकूलित डिब्बे में खिड़की के साथ वाली बर्थ पर मैं अभी आराम से बैठा ही था कि एक लड़की मेरे पास आ कर बैठ गई | कौतूहलवश मैंने उससे पूछा ‘मैडम आप.....’ | वह मेरी बात पूरी होने से पहले ही बोल उठी ‘मेरी रिजर्वेशन कन्फर्म नहीं हो पाई है लेकिन टिकट निरीक्षक ने कहा है कि आप कहीं भी बैठ जाएँ मैं देखता हूँ, अगर आपको कोई परेशानी हो तो मैं कहीं और बैठ जाती हूँ’ | ‘नहीं, नहीं ऐसी कोई बात नहीं, आपको जब तक सीट नहीं
‘मैं मुंबई से गोवा जा रहा था | दूसरी श्रेणी के वातानुकूलित डिब्बे में खिड़की के साथ वाली बर्थ पर मैं अभी आराम से बैठा ही था कि एक लड़की मेरे पास आ कर बैठ गई | कौतूहलवश मैंने ...और पढ़ेपूछा ‘मैडम आप.....’ | वह मेरी बात पूरी होने से पहले ही बोल उठी ‘मेरी रिजर्वेशन कन्फर्म नहीं हो पाई है लेकिन टिकट निरीक्षक ने कहा है कि आप कहीं भी बैठ जाएँ मैं देखता हूँ, अगर आपको कोई परेशानी हो तो मैं कहीं और बैठ जाती हूँ’ | ‘नहीं, नहीं ऐसी कोई बात नहीं, आपको जब तक सीट नहीं
हार्दिक दरवाजे के पास पहुँच कर धीमी आवाज में बोला ‘मैडम ऐसा ही कुछ मेरे एक दोस्त आयुष के साथ भी हुआ था’| यह सुनते ही सोनाली धम्म से वहीं बिस्तर पर बैठ जाती है | उसके चेहरे से ...और पढ़ेरहा था कि वह ये नाम सुनकर अंदर-ही-अंदर पूरी तरह अंदर से हिल गई है | वह चाह कर भी कुछ बोल नहीं पा रही थी लेकिन उसकी आँखों से बहते आंसू सब कुछ बयाँ कर रहे थे | वह कुछ देर हैरानी से हार्दिक को देखती रहती है फिर अपने पर काबू पाते हुए धीरे से कपकपाती आवाज में