सदगति - उपन्यास
Kishanlal Sharma
द्वारा
हिंदी रोमांचक कहानियाँ
अग्नि का स्पर्श होते ही चिता ने आग पकड़ ली।चिता के चारों ओर लोग खड़े थे।गीतिका चिता से दूर खड़ी थी।शमशान मे नीरवता छायी थी।वातावरण में अजीब सी खामोशी थी।चिता में जलती लकड़ियों के चटखने कीआवाज वातावरण की ...और पढ़े भंग कर रही थी।"न जाने कौन था बेचारा?"चिता के पास खड़े लोगो मे से एक बोला था,"सुरेश की नज़र न पड़ती तो लाश की न जाने क्या दुर्गति होती।""इस कलयुग में भी सुरेश जैसे लोग मौजूद है।"दूसरा कोई बोला था।"आजकल अपनो का क्रियाकर्म करना लोगो को भारी लगता है।सुरेश महान है, जो एक लावारिस लाश का क्रियाकर्म पूर्ण सम्मान से कर
अग्नि का स्पर्श होते ही चिता ने आग पकड़ ली।चिता के चारों ओर लोग खड़े थे।गीतिका चिता से दूर खड़ी थी।शमशान मे नीरवता छायी थी।वातावरण में अजीब सी खामोशी थी।चिता में जलती लकड़ियों के चटखने कीआवाज वातावरण की ...और पढ़े भंग कर रही थी।"न जाने कौन था बेचारा?"चिता के पास खड़े लोगो मे से एक बोला था,"सुरेश की नज़र न पड़ती तो लाश की न जाने क्या दुर्गति होती।""इस कलयुग में भी सुरेश जैसे लोग मौजूद है।"दूसरा कोई बोला था।"आजकल अपनो का क्रियाकर्म करना लोगो को भारी लगता है।सुरेश महान है, जो एक लावारिस लाश का क्रियाकर्म पूर्ण सम्मान से कर
गीतिका उससे खुशी का कारण पूछना चाहती थी।लेकिन वह कंही नाराज न हो जाये,इस डर से उसने नही पूछा था देवेन के कहने पर वह तैयार हो गसी।देवेन उसे अपने साथ एक शानदार कोठी में ले गया ...और पढ़ेगीतिका"।देवेंन ने कोठी के मालिक से गीतििका का परिचय कराया था।"बैैठो"।गीीतिका.को भव्य कक्ष मेंं बैठाकर देेवेन और कोठी.काा.मालिक बाहर चले गये थे।कुछ देर बाद कोठी का मालिक अकेला लौटा था।वह आते ही बोला,"चलो"।"कहाँँ?"गीीतिका ने पूछा था।"बेेडरूम में"।"बेेडरुम,"गीतिकाा आश्चर्य से बोली,"बेडरूम मेे कयों?"बेेडरुम में क्यो जाते है।पता चल जायेगा।"कोठी का माालिक उसका हाथ पकडते हुए बोला," जानती नही बेड रूम में पति पत्नी
"दुख औरत मर्द के बीच भेदभाव नही करता।दुखो से घबराकर भागना कायरता है।,"वह बोला,"हिम्मत से काम लो सब ठीक हो जायेगा।""उपदेश देना बहुत आसान है।।,"वह रोने लगी।वह उसे समझाने लगा।जब उसका रोना थम गया,तब उसने पूछा था,"तुम्हे क्या दुख ...और पढ़ेआत्महत्या क्यो करना चाहती हो?"कई बार पूछने पर गीतिका ने अपनी आप बीती सुरेश को सुना दी।उसकी व्यथा सुनकर वह उसे अपने साथ लखनऊ ले गया।सुरेश लेखक था।गीतिका उसके साथ रहने लगी।सुरेश ने गीतिका की आपबीती को आधार बनाकर एक उपन्यास की रचना की।ये उपन्यास इतना लोकप्रिय हुआ कि सुरेश की गिनती देश के नामी लेखकों में होने लगी।गीतिका,सुरेश की