Prabodh Kumar Govil लिखित उपन्यास सेज गगन में चांद की

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सेज गगन में चांद की द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
सेज गगन में चाँद की [ 1 ] "धरा ... ओ धरा... बेटी धरा...." माँ ने गले की तलहटी से जैसे पूरा ज़ोर लगा कर बेटी को आवाज़ लगाई...
सेज गगन में चांद की द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
सेज गगन में चाँद की [ 2 ] लड़का उड़ती सी नज़र वहां फैले-बिखरे सामान पर डाल कर मन ही मन कुछ तौल ही रहा था कि धरा के सुरों का...
सेज गगन में चांद की द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
सेज गगन में चाँद की [ 3 ] माँ भी अजीब है। हर समय यही सोचती रहती है कि धरा कोई बच्ची है। अरे, अकेली तो गयी नहीं थी, साथ...