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ततइया - उपन्यास
Nasira Sharma
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
ततइया (1) शन्नो बारिन कमर के नीचे चाँदी की चौड़ी करधनी कसे अलता लगे पैरों में पड़ी पायल की मधुर लय के संग जब बाल्टी उठाए गुजरिया बनी म्यूनिस्पैलिटी के नल पर पहुँचती तो घूँघट में छिपे उसके मुख और हाथों में पड़ी लाल-हरी चूड़ियाँ देख बुजुर्ग औरतों को अपने दिन याद आ जाते। घर के सामने बैठी दोना बनाती यु)वीर बारी की माँ एकटक उसी को निहारती हो ऐसा नहीं था, मगर हरे-हरे पत्तों की अंजुली में तिनका खोंसकरजब वह उन्हें सामने डालती तो अपने आप नज़रें पल-भर के लिए बहू पर जा टिकतीं। आँखों में संतोष-भरी खुशी का
ततइया (1) शन्नो बारिन कमर के नीचे चाँदी की चौड़ी करधनी कसे अलता लगे पैरों में पड़ी पायल की मधुर लय के संग जब बाल्टी उठाए गुजरिया बनी म्यूनिस्पैलिटी के नल पर पहुँचती तो घूँघट में छिपे उसके मुख ...और पढ़ेहाथों में पड़ी लाल-हरी चूड़ियाँ देख बुजुर्ग औरतों को अपने दिन याद आ जाते। घर के सामने बैठी दोना बनाती यु)वीर बारी की माँ एकटक उसी को निहारती हो ऐसा नहीं था, मगर हरे-हरे पत्तों की अंजुली में तिनका खोंसकरजब वह उन्हें सामने डालती तो अपने आप नज़रें पल-भर के लिए बहू पर जा टिकतीं। आँखों में संतोष-भरी खुशी का
ततइया (2) ‘शन्नो भाग गई, आखिर क्यों | कुछ दिन पहले ही तो पता चला था कि---माँखुशी से भरकर कोई पुरानी तावीज़ संदूक से निकाल लाई थी। उसको शन्नो के बाजू पर बाँधते हुए उसने दशहरे बाद उत्सव मनाने ...और पढ़ेकार्यक्रम बनाया था। फि़र एकाएक यह भूकंप |’सायकिल पर सवार यु)वीर
ततइया (3) ”नहा-धोकर भोर में ही तैयार हो जाया कर, सारा दिन लोग आते-जाते हैं, अच्छा नहीं लगता बहू !“शन्नो उल्टे पैर कोठरी में वापस चली गई। बारिन का चेहरा पीला चड़ गया। सिल्लो ने गटागट पानी पीया फि़र ...और पढ़ेरी सहजो, तुझसे अच्छा वकील कोई नहीं हमारा---तू हराएगी उस ससुरे गिध को जो बात-बेबात बखेड़ा खड़ा कर रहा है।“”चलती हूँ,“ भरी आवाज़ में बारिन बोली। उसके तेवर तो टूटकर गिर चुके थे। मन में प्रश्न उठ रहा था कि वह तो बूढ़ा खूसट गिध है और तू क्या है सहजो---डायन, ततइया मंथरा या फि़र---किस मुँह से जाएगी तू किसी