Mahatvakansha book and story is written by Shashi Ranjan in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Mahatvakansha is also popular in सामाजिक कहानियां in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. महत्वाकांक्षा - उपन्यास Shashi Ranjan द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां 32 7.1k Downloads 22.6k Views 4 Likes Writen by Shashi Ranjan पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें उपन्यास विवरण साक्षात्कार के बाद कोलकाता से खुशी खुशी मैं वापस लौट रहा था । राजधानी एक्सप्रेस के प्रथम श्रेणी के जिस केबिन में मैं चढा, उसमें पहले से एक और आदमी मौजूद था । जल्दी ही पता चला कि वह मेरी सीट पर बैठा है। मैने उसे कहा भाई साहब आप अपनी सीट पर नहीं हैं । यह मेरी सीट है । उसने मेरी ओर देखा और शायद क्षमाप्रार्थी होते हुए दूसरी सीट पर चला गया । गाड़ी चल पड़ी । तबतक मैने अपना सामान भी सेट कर लिया था। मेरे मन में एक अजीब प्रकार की प्रसन्नता थी । मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं नौकरी लेकर आ रहा हूं। More Interesting Options लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी Load More Best Novels of 2025 Best Novels of 2025 Best Novels of January 2025 Best Novels of 2024 Best Novels of 2024 Best Novels of January 2024 Best Novels of February 2024 Best Novels of March 2024 Best Novels of April 2024 Best Novels of May 2024 Best Novels of June 2024 Best Novels of July 2024 Best Novels of August 2024 Best Novels of September 2024 Best Novels of October 2024 Best Novels of November 2024 Best Novels of December 2024 //= $best_novels_two_yr_ago_links; ?> पूर्ण उपन्यास Episodes Novels महत्वाकांक्षा - 1 New महत्वाकांक्षा टी शाशिरंजन (1) साक्षात्कार के बाद कोलकाता से खुशी खुशी मैं वापस लौट रहा था । राजधानी एक्सप्रेस के प्रथम श... Read Free Novels महत्वाकांक्षा - 2 New महत्वाकांक्षा टी शशिरंजन (2) इस बीच हमारी मुलाकात रोज होने लगी । हम दोनों के मुलाकात के लिए इंडिया गेट सबसे अच्छा स्थान... Read Free Novels महत्वाकांक्षा - 3 New महत्वाकांक्षा टी शशिरंजन (3) मैने कहा जरूरी नहीं कि हर वो आदमी जो तुम्हारे कहने के अनुसार काम करता है वह तुम्हें प्यार भ... Read Free Novels महत्वाकांक्षा - 4 - अंतिम भाग New महत्वाकांक्षा टी शशिरंजन (4) तभी प्रियंका ने अचानक अपने चेहरे का भाव बदलते हुए कहा - जिंदगी के मजे ऐसे नहीं होते हैं पंक... Read Free //= $best_novels_links; ?> //= $best_novels_prev_links; ?> //= $best_novels_two_yr_ago_links; ?>