Dalit ek soch book and story is written by ADARSH PRATAP SINGH in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Dalit ek soch is also popular in सामाजिक कहानियां in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
दलित एक सोच - उपन्यास
ADARSH PRATAP SINGH
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
इस पुस्तक में उपयोग सभी किरदार सिर्फ शब्दो को बया करने के लिए उपयोग किये गए है उपयोगी किरदार का तालुख किन्ही मतभेदों को उत्पन्न करने के लिए नही किया गया है उपयोगी जानकारी काल्पनिक है जो मनुष्यो की सोच में प्रभाव उत्पन्न करने का प्रयत्न है जिससे दलितों के प्रति उनका स्वभाव परिवर्तन हो। पारंपरिक, पौराणिक मान्यताओं वाला एक कुँआ है। जिसमे कई वर्गों के लोग प्रवास करते हैं। इन सभी को देखने के लिए नजरिया भी निर्धारित किये गये है। छत्रिय, ब्राह्मण, दलित,..!इस कुएं में सिर्फ उच्च वर्ग वाले लोग को ही पानी मे उतारने का ही
इस पुस्तक में उपयोग सभी किरदार सिर्फ शब्दो को बया करने के लिए उपयोग किये गए है उपयोगी किरदार का तालुख किन्ही मतभेदों को उत्पन्न करने के लिए नही किया गया है उपयोगी जानकारी काल्पनिक है जो मनुष्यो की ...और पढ़ेमें प्रभाव उत्पन्न करने का प्रयत्न है जिससे दलितों के प्रति उनका स्वभाव परिवर्तन हो। पारंपरिक, पौराणिक मान्यताओं वाला एक कुँआ है। जिसमे कई वर्गों के लोग प्रवास करते हैं। इन सभी को देखने के लिए नजरिया भी निर्धारित किये गये है। छत्रिय, ब्राह्मण, दलित,..!इस कुएं में सिर्फ उच्च वर्ग वाले लोग को ही पानी मे उतारने का ही
जिससे राजा जी संदेह मे पड गए कि एक दलित के बेटे को कैसे मैं सम्मान दे सकता हु ,इस बात से राजा जी काफी देर तक विचार करते रहे उस दौरान राजा जी ने अपने एक चालाक मंत्री ...और पढ़ेबुलाया, और उसे इस बात से अवगत कराया।मंत्री ने भी विचार किया और एक चतुर समाधान निकाला ,जिससे “साँप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे”,इनाम वितरण का समय भी पास आ गया था और राजा जी रामकुमार को भी उसके दलित होने का एक क्रूर प्रदर्शनी से अवगत कराने वाले थे। कार्यक्रम अपने अंतिम चरण में था परुस्कार