Kamvasna se prem Tak book and story is written by सीमा कपूर in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Kamvasna se prem Tak is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
कामवासना से प्रेम तक - उपन्यास
सीमा कपूर
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
एक सभ्य समाज में पुरुष और महिला के बीच सुंदरता से भरे संबंधों के बारे में यदि कहां जाए तो ----उसे कामसूत्र कहते हैं (क्या है ,कामवासना )और (क्या है, प्रेम), कामसूत्र से संबंधित कई किताबें बनी कई लोगों ने पड़ी और कई बुद्धिजीवियों ने इसे पर्दे पर भी उतारा और यदि दूसरी तरफ देखा जाए तो इसे गंदी किताबों का दर्जा और गंदी फिल्मों का दर्जा दिया गया। ऐसी किताबों को पढ़ने में कई लोगों को शर्म भी आती है मनुस्मृति के अनुसार आदमी का कर्तव्य है कि वह अपनी पत्नी के साथ तभी सेक्स करें जब गर्भधारण की स्थिति
एक सभ्य समाज में पुरुष और महिला के बीच सुंदरता से भरे संबंधों के बारे में यदि कहां जाए तो ----उसे कामसूत्र कहते हैं (क्या है ,कामवासना )और (क्या है, प्रेम), कामसूत्र से संबंधित कई किताबें बनी कई लोगों ...और पढ़ेपड़ी और कई बुद्धिजीवियों ने इसे पर्दे पर भी उतारा और यदि दूसरी तरफ देखा जाए तो इसे गंदी किताबों का दर्जा और गंदी फिल्मों का दर्जा दिया गया। ऐसी किताबों को पढ़ने में कई लोगों को शर्म भी आती है मनुस्मृति के अनुसार आदमी का कर्तव्य है कि वह अपनी पत्नी के साथ तभी सेक्स करें जब गर्भधारण की स्थिति
लेकिन दूसरी ओर विवाहेतर संबंधों के बारे में कई बुद्धिजीवी अपनी ही बात काटते हैं और इससे नुकसान निकलते हैंऔर दूसरी और दूसरों की पत्नी की रक्षा करने की सलाह देते हैं_कामवासना का केंद्र सूर्य होताा हैैंइसलिए कामवासना स्त्री ...और पढ़ेपुरुष मेंं उत्तेजित होती है काम क्रीड़ा एक सहज प्रेमहैं यदि कोई व्यक्ति अपने भीतर के सूर्य कोजान लेता हैं/ तो वह व्यक्ति कामवासना की प्रेम अनुभूति कोोसमझ जाता हैंजैसे सूर्य और चांद से जीवन हैैं वैसेे ही कामवासना से जीवन हैंं।(^‿^)जैसे जैसे दिन से शाम होनेेे लगी सूर्य केसाथ सा
प्रेम भले छोटा शब्द हो परंतु अर्थ गहरा होता है, हर कोई इसे अपनी अलग भाषा मे व्यक्त करता है, अच्छा और बुरा परिणाम चाहे जो भी हो/ कई बार प्रेम प्रताडित भी करता है/प्रेम समझने के लिए वर्षो ...और पढ़ेजाते है, मधूर संबध मे कड़वाह का आना लाज़मी है यदि प्रेम मे शारीरिक प्रताड़ना हो, सभ्य समाज मे स्त्री पुरूष की बनावट ही शायद शारीरिक कष्ट का कारण हो, परंतु सत्य क्या है,
कहां है,
कौन कितना जानता है,
प्रेम को परिभाषा है क्या?
पुरुष को वासना स्त्री को ह्दय प्रेम है
अंतर पर कितना.?
पर सोच वही और उतनी है.