कामवासना से प्रेम तक - भाग - 4 सीमा कपूर द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

कामवासना से प्रेम तक - भाग - 4

जब अजय अपने दफ़्तर आता है, देर हो जाने की वजह से उसका बॉस मुकेश उसे डांटने लगता है और कहता है।

मुकेश :- अजय मैं जानता हूं तुम्हारी अभी नई-नई शादी
हुई है, पर तुम्हें इस बात का भी ख़्याल रखना
होगा कि तुम्हारी अपने काम के प्रति भी
जिम्मेदारियां हैं।

अजय:- सॉरी सर मैं आइंदा से ध्यान रखूंगा और
जल्दी आने की कोशिश करूंगा पहले की तरह।

मुकेश:- अजय मुझे ग़लत मत समझना मैं समझ सकता
हूं तुम्हारी नई-नई शादी हुई है, बहुत कुछ एडजस्ट
करना पड़ रहा होगा।

अजय:- सर यह तो है ,पर सर शेफाली बहुत अच्छी है,
और वैसे भी हम दोनों के लिए ही यह
एडजस्टमेंट जैसा ही है।

मुकेश:- अरे हां तुम्हारी पत्नी से याद आया शादी पर मैं
आया पर तुम्हारी पत्नी से मिल ना सका जल्दी
चला जो गया था।

अजय:- पर देखना ज़रूर चाहूंगा तुम्हारी पत्नी मेरा मतलब तुम दोनों की जोड़ी कैसी है।


"अजय मुस्कुराते हुए "

अजय:- सर वो शेफाली की तस्वीर मेरे पर्स में ही है
दिखाता हूं मैं आपको।

मुकेश:- हां हां क्यों नहीं ज़रुर देखना चाहूंगा।

"अजय अपने पर्स में से शेफाली की तस्वीर निकाल कर अपने बॉस को दिखाता है, जिसे देखकर उसका बॉस मुकेश कुछ सोचने लगता है। और तभी वह अजय से कहता है"


मुकेश:- बहुत ही खूबसूरत है, क्या नाम बताया तुमने
इसका।

अजय:- सर शेफाली।

मुकेश:- जैसा खूबसूरत नाम वैसे ही खूबसूरत है तुम्हारी
पत्नी बहुत खुशकिस्मत हो तुम।

अजय:- जी सर वो तो है, (सकुचाते हुए) सर मैं चलूं।

मुकेश :- यस यस व्हाई नॉट।

"अजय मुकेश के केबिन से निकल जाता है और अपनी चेयर पर जाकर अपना काम करने लगता है उधर अजय का बॉस मुकेश गहरी सोच में डूबा जाता है, तभी थोड़ी देर बाद अजय को वह अपने केबिन में बुलाता है"
"जब अजय अपने बॉस मुकेश के केबिन में आता है, तब मुकेश कहता है"


मुकेश:- अजय तुमने इस ऑफिस में बहुत अच्छा अपना
काम किया है,तो मैं सोच रहा हूं कि मैं तुम्हारी
प्रमोशन कर दूं।

"यह सुन मानो अजय को पर लग गए हो
वह मन ही मन बेहद खुश हो रहा था, "और यह सोच भी रहा था यकायक मेरे बॉस को यह हो क्या गया, अभी कुछ ही देर पहले देरी से आने पर डांट रहे थे"

मुकेश:- क्या हुआ क्या सोच रहे हो क्या तुम खुश नहीं
हो।

अजय:- नहीं सर ऐसा नहीं है, खुश हूं सर , थैंकयू सो मच
सर थैंकयू सो मच।

मुकेश:- अरे भाई थैंकयू मुझे क्यों कह रहे हो ,थैंकयू
उसको को जिसकी वजह से तुम्हारा प्रमोशन हो
रहा है, शायद।

अजय :- शायद मैं समझा नहीं सर।

मुकेश:- प्रमोशन तो तभी करूंगा ना तुम्हारी जब वो
चाहे तो, और जब तुम चाहो तो।

अजय:- सर मैं अभी भी नहीं समझा आप कहना क्या चाहते हैं।

मुकेश:- चलो बता दूंगा वो भी मैं तुम्हें /पर पहले अपने घर तो बुलओ ,अपनी ब्यूटीफुल वाइफ के हाथों से
खाना तो खिलाओ /वही तुम्हारे घर पर ही बात करेंगे
फ़िर।

अजय:- जी सर मोस्ट वेलकम, सर वो घर भी ही का ही है
आप जब चहे।

क्रमशः