Manzilon ka 'DALDAL' book and story is written by Deepak Bundela AryMoulik in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Manzilon ka 'DALDAL' is also popular in क्लासिक कहानियां in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मंज़िलों का 'दलदल' - उपन्यास
Deepak Bundela AryMoulik
द्वारा
हिंदी क्लासिक कहानियां
इस क़ामयाबी के दलदल से कैसे निकलोगे जब मंज़िले -ए- ज़माना ही दलदल हो.... !****************************************गुंजन.... गुंजन.... अरे उठोगी या यू ही सारा दिन सोती रहोगी.... देखो ग्यारह बजने को हैं... और मां सीला ने गुंजन का चादर उसके मुँह से हटा दिया... गुंजन दूसरी तरफ करबट लेकर लेटी रहीं... ओफ्हो गुंजन जब से तुम कॉलेज में क्या पढ़ने लगी हो तुम्हारी आदते भी खराब हो गयी हैं... ये कोई सोने का समय हैं आधा दिन होने बाला हैं और तुम हो कि उठने का नाम नहीं लें रहीं हो... अब बस भी करो मम्मी कितना बोलोगी... हां... हां... मेरा बोलना ही बेकार हैं... जब तुम्हारा
इस क़ामयाबी के दलदल से कैसे निकलोगे जब मंज़िले -ए- ज़माना ही दलदल हो.... !****************************************गुंजन.... गुंजन.... अरे उठोगी या यू ही सारा दिन सोती रहोगी.... देखो ग्यारह बजने को हैं... और मां सीला ने गुंजन का चादर उसके मुँह ...और पढ़ेहटा दिया... गुंजन दूसरी तरफ करबट लेकर लेटी रहीं... ओफ्हो गुंजन जब से तुम कॉलेज में क्या पढ़ने लगी हो तुम्हारी आदते भी खराब हो गयी हैं... ये कोई सोने का समय हैं आधा दिन होने बाला हैं और तुम हो कि उठने का नाम नहीं लें रहीं हो... अब बस भी करो मम्मी कितना बोलोगी... हां... हां... मेरा बोलना ही बेकार हैं... जब तुम्हारा
गुंजन का रुदन तेज़ होते जा रहा था शायद उसे अपने किये पर पश्चाताप हो रहा था... शायद वो ये सोच रही थी इन आसुओं से उसका किया गया गुनाह धुल जाएगा.... तभी सीला ने गुस्से में गुंजन को ...और पढ़ेजड़ दिये... बिलकुल चुप अब अगर थोड़ी सी भी आवाज़ निकाली तो समझ लेना... तुम बाप बेटी ने तो मुझे गवार समझ रखा हैं... और भी तो लड़कियां हैं जो शहर में पढ़ाई कर रही हैं..... जभी मै सोचू कि तेरे पास इतने पैसे आ कहा से रहे हैं... तूने तो यही कहा था ना.... वो कुछ टाइम के लिए नौकरी