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मेरे किरदार - उपन्यास
Dhruvin Mavani
द्वारा
हिंदी लघुकथा
मुझे नही पता कि मै ये सब क्यूँ लिख रहा हूँ ! लेकिन दिल कह रहा है बस आखिरी बार ...बस एक बार । शायद इसीलिए मरना छोड़कर लिखने बैठ गया ।जी हाँ , मरना ! मै मरने जा रहा हूँ । पंखे से रस्सी भी बांध रखी है , रूम याद से लॉक कर लिया है और घर पे भी कोई नही है , यूँ कहूँ तो सारी तैयारी हो चुकी है । लेकिन देखो न कमबख्त दिल को पता नही इस वक्त भी न जाने क्यों औऱ किसके लिए लिखने कह रहा है ।तो चलिए
मुझे जिंदगी की इतनी खूबसूरत कहानी और मेरी पहली किताब देने के लिए उन सभी का शुक्रिया जो मेरी जिंदगी में आये , प्रियल , भौतिक , एनपी , बद्री , निल , प्रशांत यहाँ सभी के नाम तो ...और पढ़ेनही ले सकता लेकिन वो सभी जिसने मेरी इस जिंदगी को बनाया है , इसमे बेशक कुछ टीचर्स का भी बहोत बड़ा हाथ रहा है सो उन का भी शुक्रिया , खास कर प्रियल जो मेरी इस कहानी का पहला रीडर है जिसने मेरी हमेशा मदद की है ,आखिर में राधिका जो कि मेरी सबसे अच्छी दोस्त है और शायद जिंदगी के सबसे मुश्किल वक्त में वो हमेशा मेरे साथ खड़ी रही है
तब मैं नही जानता था और ये कह भी नही सकता था कि ये साल मेरी जिंदगी बदलने वाला होगा । इस साल में ऐसा कुछ होगा जो मेरी आगे की पूरी जिंदगी बदल देगा । धीरे धीरे वक्त ...और पढ़ेरहा था । सुबह ट्यूशन जाना ये हमारी हररोज की दिनचर्या हो गई थी । धीरे धीरे मैं क्लास के बाकी लोगो को जानने लगा था । जैसे कि निल , प्रशांत , चिराग (चिरकुट) और आखिर में प्रियल । आप सोच रहे है कि लड़की मगर नही प्रियल एक लड़का है जिसे हम सब स्वामी कहकर बुलाते है क्योंकि वो