Godaan book and story is written by Munshi Premchand in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Godaan is also popular in लघुकथा in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
गोदान - उपन्यास
Munshi Premchand
द्वारा
हिंदी लघुकथा
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब समाप्त हो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
गोदान को किसान जीवन की समस्याओं , दुखों और त्रासदियों पर लिखा गया महाकाव्य माना जाता है । इस महाकाव्य की कथा में गांव और शहर के आपसी द्वंद्व ,भारतीय ग्रामीण जीवन के दुख , गांवों के बदलने टूटने बिखरने के यथार्थ और जमींदारी के जंजाल से आतंकित किसानों की पीड़ा का मार्मिकचित्रण है । यह उपन्यास होरी के नायकत्व के चारों ओर बुना गया है ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
गोदान को किसान जीवन की समस्याओं , दुखों और त्रासदियों पर लिखा गया महाकाव्य माना जाता है । इस महाकाव्य की कथा में गांव और शहर के आपसी द्वंद्व ,भारतीय ग्रामीण जीवन के दुख , गांवों के बदलने टूटने बिखरने के यथार्थ और जमींदारी के जंजाल से आतंकित किसानों की पीड़ा का मार्मिकचित्रण है । यह उपन्यास होरी के नायकत्व के चारों ओर बुना गया है ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
होरी कोई धीरोद्दात नायक नहीं न ही उसके चरित्र में महानता और चमत्कार ही है । वह एक अतिसाधारण मनुष्य है और अतिसाधरण भारतीय किसान का प्रतिनिधित्व करने वाला पात्र है ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
धूप और संघर्षों से सांवली और सूखी पड़ गई उसकी त्वचा ,पिचका हुआ मुंह , धंसी हुई निस्तेज आंखें और कम उम्र में ही संघर्षों की मार से बुढ़ाया हुआ मुख – होरी के इस बिंब से किसी भी भारतीय किसान का चेहरा बरबस सामने आ जाता है । होरी और उसके जैसे असंख्य किसानों की जीवन दुर्दशा का चित्र पेश करते हुए प्रेमचंद...
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
घर का एक हिस्सा गिरने को हो गया । द्वार पर केवल एक बैल बंधा हुआ था , वह भी नीमाजान- अब इस घर के संभलने की क्या आशा है- सारे गांव पर यही विपत्त्ति थी ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
ऎसा एक भी आदमी नहीं थाजिसकी रोनी सूरत न हो। चलते फिरते थे , काम करते थे , पिसते थे, घुटते थे ,इसलिए कि पिसना और घुटना उनकी तकदीर में लिखा था ।