गोदान - उपन्यास
Munshi Premchand
द्वारा
हिंदी लघुकथा
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
गोदान को किसान जीवन की समस्याओं , दुखों और त्रासदियों पर लिखा गया महाकाव्य माना जाता है । इस महाकाव्य की कथा में गांव और शहर के आपसी द्वंद्व ,भारतीय ग्रामीण जीवन के दुख , गांवों के बदलने टूटने बिखरने के यथार्थ और जमींदारी के जंजाल से आतंकित किसानों की पीड़ा का मार्मिकचित्रण है । यह उपन्यास होरी के नायकत्व के चारों ओर बुना गया है ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
गोदान को किसान जीवन की समस्याओं , दुखों और त्रासदियों पर लिखा गया महाकाव्य माना जाता है । इस महाकाव्य की कथा में गांव और शहर के आपसी द्वंद्व ,भारतीय ग्रामीण जीवन के दुख , गांवों के बदलने टूटने बिखरने के यथार्थ और जमींदारी के जंजाल से आतंकित किसानों की पीड़ा का मार्मिकचित्रण है । यह उपन्यास होरी के नायकत्व के चारों ओर बुना गया है ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
होरी कोई धीरोद्दात नायक नहीं न ही उसके चरित्र में महानता और चमत्कार ही है । वह एक अतिसाधारण मनुष्य है और अतिसाधरण भारतीय किसान का प्रतिनिधित्व करने वाला पात्र है ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
धूप और संघर्षों से सांवली और सूखी पड़ गई उसकी त्वचा ,पिचका हुआ मुंह , धंसी हुई निस्तेज आंखें और कम उम्र में ही संघर्षों की मार से बुढ़ाया हुआ मुख – होरी के इस बिंब से किसी भी भारतीय किसान का चेहरा बरबस सामने आ जाता है । होरी और उसके जैसे असंख्य किसानों की जीवन दुर्दशा का चित्र पेश करते हुए प्रेमचंद...
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
घर का एक हिस्सा गिरने को हो गया । द्वार पर केवल एक बैल बंधा हुआ था , वह भी नीमाजान- अब इस घर के संभलने की क्या आशा है- सारे गांव पर यही विपत्त्ति थी ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
ऎसा एक भी आदमी नहीं थाजिसकी रोनी सूरत न हो। चलते फिरते थे , काम करते थे , पिसते थे, घुटते थे ,इसलिए कि पिसना और घुटना उनकी तकदीर में लिखा था ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
जीवन में न कोई आशा और न कोई उमंग, जैसे उनके जीवन के सोते सूख गए हों और सारी हरियाली मुरझा गई हो , भविष्य अंधकार की भांति उनके सामने है ” ।
सम्पूर्ण गोदान में किसानों का खून चूसने वाली महाजनी सभ्यता का क्रूर शोषण चक्र दिखाई देता है ।
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इस चक्र में फंसा हुआ होरी और उस जैसे असंख्य गुमनाम किसान साधन विहीन हैं ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
व्यवस्था के शोषण के शिकार ये किसान अपमान और पीड़ा से भरी जिंदगी को मर मरकर जीते हैं ।
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शोषण और संत्रास को चुपचाप सहते जाने की इस लंबी परम्परा को होरी न उलटता है और न पलटता है केवल बर्दाश्त करता है ।
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वह मानता है कि जिन तलवों के नीचे गर्दन दबी हो उनको सहलाने में ही कुशल है ।
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महाजनी सभ्यता के क्रूर पंजों में फंसे होरी की कहानी किसी भी गरीब और शोषित भारतीय किसान की भांति ही है जो गरीबी की मार, बंटवारे का दर्द् , कर्ज की मार ,बैलों की जोड़ी के बिक जाने या मर जाने का सदमा, आधा खेत साझे की खेती का अपमान और अपने खेतों की नीलामी का दंश सहता हुआ आखिरकार् मजदूरी करने को बाध्य हो जाता है ।
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होरी के चरित्र में विद्रोह और क्रांति की इच्छा न दिखाकर प्रेमचंद ने होरी को एक आम किसान का प्रतिनिधि बनाए रखा । यह लेखक का यथार्थवादीनजरिया है जिसके चलते होरी को महान क्रांतिकारी नायक न दिखाकर या शोषण करने वालों का हृदय परिवर्तन न दिखाकर कथा को दुखांत रूप दिया है ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
इस उपन्यास में होरी ही एकमात्र ऐसा पात्र है जो युग के साथ बदलता नहीं है। यही न बदलना होरी की शख्सियत का अहम पक्ष है । सामंतवाद से पूंजीवाद की ओर बदलते युग में होरी का बेटा गोबर किसान से मजदूर बन जाता है ।
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गोबर का शोषण बरकरार रहता है लेकिन वो बच जाता है और उसमें प्रतिरोध का स्वर बना रहता है। यहॉं तक कि धनिया भी विद्रोहिणी है , वह गॉंव भर के सामने सबसे लोहा लेती है ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
किंतु केवल होरी ही है जो संक्रमण को समझ नहीं पाता वह सामंतवाद के मूल्यों को ही ढोता रहता है , न मरजाद को छोड़ पाता है न गॉंवको , न जमीन को और न किसानी को ही । अंतत: वो मरता भी है गॉंव को शहर से जोड़ने वाली सड़क को बनाते हुए, वही सड़क जो अंतत: गॉंव पर शहर के अधिपत्य की घोषणा है ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
यह सड़क सामंतवाद के पतन की और पूंजीवाद की जीत की निशानी है । वह अपना जीवन मर्यादा केपरम्परागत मिथ को पाने के लिए झोंक देता है और अपनी मृत्यु के समय भी गाय के दान जैसे काम को न कर पाने के दुख से भरा हुआ है, ये तो विद्रोहिणी धनिया ही है जो मजदूरी के सिक्के को मृत होरी के हाथ में दबा घोषणा करती है कि यही होरी का गोदान है।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
होरी कितने भी कष्ट सहकर मरजाद का मोह नहीं छोड़ पाता है । उसका जीवन मरजाद के मिथ से घिरा हुआ है । उस पर धर्म , संस्कारों , नैतिकता और आदर्शों का दबाव गहरा है ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
एकाध स्थान पर जब वह अपनी नैतिकता से डगमगाता भी है तब भी वह द्वंद्व और दर्द का अनुभव करता है । होरी जैसे मामूली से किसान को भी लेखक ने मध्यवर्गीय नैतिकता का शिकार दिखाया है ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
इस द्वंद्व के कारण न तो वह नैतिकता का पूरी तरह से पालन कर पाता है और न अपने स्वार्थों की पूर्ति कर पाता है । यह व्यवहार एक आम आदमी की अपरिभाषित और ओढी हुई नैतिकता की देन है जो इंसान को भीरू बनाए रखती है ।
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गोदान के होरी की जिंदगी की यही नैतिकताजन्य नियति आज भी आम भारतीय किसानों की नियति है । गरीबी और शोषण के बावजूद मर्यादा से जीवन जीने की तमन्ना और जिद में पिसता हुआ होरी ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
सारे गांव के सामने अपनी पत्नी को पीटने में उसकी इज्जत नहीं जाती किंतु पुलिस द्वारा घर की तलाशी से जाती है । ठाकुर जी की आरती के लिए वह इसलिए नहीं उठता क्योंकि उसके पास चढ़ावे के लिए तांबे का पैसा नहीं है और ऎसे में वह सबकी आंखों के सामने हेठा बन जाएगा ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
इस मर्यादा के चलते ही विपन्नावस्था में भी कुश कन्या नहीं देना चाहता है । अपनी जान पर खेलकर कुल मर्यादा की रक्षा करने वाला होरी परम्पराओं ,रुढियों और धार्मिक कुरीतियों का निरीह शिकार दिखाई देता है ।
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शोभा द्वारा पूछे गए सवाल कि इन महाजनों से कभी पीछा छूटेगा या नहीं ” के उत्तर में होरी कहता है – इस जनम में तो आशा नहीं है भाई । हम राज नहीं चाहते , भोग विलास नहीं चाहते , खाली मोटा झोटा खाना और मरजाद के साथ रहना चाहते हैं।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
होरी का मनाना है कि जिसके पास जमीन नहीं वह गृह्स्थ नहीं ” अपने भाइयों से और फिर अपने बेटे गोबर से अलगोझे का आघात भी उस जैसे मरजाद पालक के लिए बहुत बड़ा आघात है ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
होरी के शोषण के ऎतिहासिक कारण हैं । रामविलास शर्मा के अनुसार – गोदान में किसानों के शोषण का रूप ही दूसरा है ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
रायसाहब के कारिंदे सीधे होरी का घर लूटने नहीं जाते , मगर होरी लुट जाता है कचहरी कानून के सीधे हस्तक्षेप के अभाव में भी उसकी जमीन छिन जाती है “।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
होरी जैसा किसान शोषण के औपनिवेशिक तंत्र के सामने अकेला और निरीह है ।
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होरी कहता है ” गांव में इतने आदमी तो हैं , किसपर बेदखली नहीं आई , किस पर कुड़की नहीं आई ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
धनिया के पारिवारिक जीवन का अनुभव यह है कि कितनी भी कतर ब्योंत करो , लगान बेबाक होना मुश्किल है ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
इसी मुश्किल और असंभवता को प्रेमचंद ने गोदान का सार बना डाला है । गोदान अंतत: दो सभ्यताओं का संघर्ष है एक ओर किसानी सभ्यता है जिसका प्रतिनिधित्व होरी करता है जबकि दूसरी ओर महाजनी सभ्यता है ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
इसी मुश्किल और असंभवता को प्रेमचंद ने गोदान का सार बना डाला है । गोदान अंतत: दो सभ्यताओं का संघर्ष है एक ओर किसानी सभ्यता है जिसका प्रतिनिधित्व होरी करता है जबकि दूसरी ओर महाजनी सभ्यता है ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
इसी मुश्किल और असंभवता को प्रेमचंद ने गोदान का सार बना डाला है । गोदान अंतत: दो सभ्यताओं का संघर्ष है एक ओर किसानी सभ्यता है जिसका प्रतिनिधित्व होरी करता है जबकि दूसरी ओर महाजनी सभ्यता है ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
यह स्वाभाविक है कि सामंती सभ्यता से महाजनी सभ्यता के इस बदलाव में आखिरकार होरी पराजित होता है ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
मरजाद की जिद के साथ होरी का मरना गोदान के अंत को एक त्रासद बिंदु बना देता है । इस यथार्थवादी उपन्यास के नायक होरी का यह त्रासद अंत पाठक को देर तक और दूर तक अपनी जद में लिए रहता है ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
मरजाद की जिद के साथ होरी का मरना गोदान के अंत को एक त्रासद बिंदु बना देता है । इस यथार्थवादी उपन्यास के नायक होरी का यह त्रासद अंत पाठक को देर तक और दूर तक अपनी जद में लिए रहता है ।
गोदान हिंदी के उपन्यास-साहित्य के विकास का उज्वलतम प्रकाशस्तंभ है। गोदान के नायक और नायिका होरी और धनिया के परिवार के रूप में हम भारत की एक विशेष संस्कृति को सजीव और साकार पाते हैं, ऐसी संस्कृति जो अब ...और पढ़ेहो रही है या हो जाने को है, फिर भी जिसमें भारत की मिट्टी की सोंधी सुबास भरी है। प्रेमचंद ने इसे अमर बना दिया है।
मरजाद की जिद के साथ होरी का मरना गोदान के अंत को एक त्रासद बिंदु बना देता है । इस यथार्थवादी उपन्यास के नायक होरी का यह त्रासद अंत पाठक को देर तक और दूर तक अपनी जद में लिए रहता है ।