Chudel ka intkaam book and story is written by Devendra Prasad in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Chudel ka intkaam is also popular in डरावनी कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
चुडैल का इंतकाम - उपन्यास
Devendra Prasad
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
आज की दुनियां में किसी समझदार व्यक्ति से किसी भूत-प्रेत, चुड़ैल, डायन के विषय मे बात करो तो वह सामने वाले शख्स को सनकी या अंधविश्वासी करार दे देता है।वहीं दूसरी तरफ किसी ऐसे शख्स से पूछिए जो ऐसे वाक्ये से गुजर चुका हो तो वो आपको अपने और उस खौफ़नाक घटना के अनुभव को बड़ी ही बेबाकी से आपको सुनाते है बशर्ते सामने वाले को उसकी बातों पर विश्वास करना ही पड़ेगा।लेकिन यकीन मानिए आज भी इन आत्माओं का वर्चस्व कायम है, बस अंतर इतना रह गया है कि यह अब शहर से दूरस्थ इलाके,जहां आवाजाही कम हो, बाग-बगीचे,
आज की दुनियां में किसी समझदार व्यक्ति से किसी भूत-प्रेत, चुड़ैल, डायन के विषय मे बात करो तो वह सामने वाले शख्स को सनकी या अंधविश्वासी करार दे देता है।वहीं दूसरी तरफ किसी ऐसे शख्स से पूछिए जो ऐसे ...और पढ़ेसे गुजर चुका हो तो वो आपको अपने और उस खौफ़नाक घटना के अनुभव को बड़ी ही बेबाकी से आपको सुनाते है बशर्ते सामने वाले को उसकी बातों पर विश्वास करना ही पड़ेगा।लेकिन यकीन मानिए आज भी इन आत्माओं का वर्चस्व कायम है, बस अंतर इतना रह गया है कि यह अब शहर से दूरस्थ इलाके,जहां आवाजाही कम हो, बाग-बगीचे,
वह जैसे जैसे आगे बढ़ रही थी एक विशेष किस्म की तीव्र खुश्बू भी बढ़ती जा रही थीं अगले चन्द सेकण्ड्स में अब वह उसके सामने थी। उसकी मौजूदगी का एहसास वह मनमोहक मादकता भरी सुगंध करवा रही थी। ...और पढ़ेसे पहले इतनी अच्छी खुश्बू उसने अपनी ज़िंदगी मे कभी नहीं सूंघी थी। इस खुश्बू को जैसे जैसे वह सूंघता जा रहा था खुद पर से नियंत्रण खोता चला जा रहा था।मानो जैसे यह खुश्बू उस पर कोई जादू कर रही हो। अगले पल जयन्त की नजर उस काले साये पर पड़ी तो वह यह देखकर प्रफुल्लित हो जाता है
उसने आव देखा न ताव मोटरसाइकिल को फेरारी की इंजन की तरह भगाता हुआ हनुमान चालीसा पढ़ने लगा। "जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजगर।राम दूत अतुलित बलधामा, अंजनी पुत्र पवन सुतनामा।।" अब वह उस अजनबी ...और पढ़ेके गांव से काफी आगे आ चुका था।उसके मन मे अभी भी ख्याल आया रहे थे कि-"आखिर वह औरत कौन थी? अचानक उसे ऐसा क्या जो गया जो मुझे पीछे पलटकर देखने को मजबूर कर रही थी? क्या वह सच मे चुड़ैल या कोई बुरा साया था जैसा कि एक दफे दादा जी का भी सामना हुआ था? जिस तरह
उसने अपने मुंह से चुडैल शब्द निकाले ही थे कि उसने देखा कि सड़क के किनारे पीपल का पेड़ था, वहां उसे कोई आकृति दिखाई दी। "ओह्ह मैं तो खामखां ही डर गया था। शायद उस औरत को शौच ...और पढ़ेहो इस वजह से उधर जा रही हो। बेचारी शर्म के मारे मुझ से कुछ कह न पाई हो और दुपट्टे के गिरने का बहाना बनाया ताकि मैं बाइक रोक सकूँ।" यह कहने के साथ उसने अपनी खोपड़ी को हल्के से अपने हथेली से मेरी और उसके वापिस आने का इंतजार करने लग गया।जब काफी देर तक वह महिला लौट
यह खबर पढ़ते के साथ जयन्त वहां से सीधे भागता हुआ अपने कमरे में आ जाता है और अंदर से कुंडी लगाकर उसने अपने आपको घर के अंदर ही कैद कर लिया। 3-4 दिन बीत गए लेकिन अभी तक ...और पढ़ेदिमाग में सिर्फ एक ही सवाल आ रहा था कि.... वह उस दिन बारात में क्यो गया?चलती हुई बाइक से वह चुडैल कैसे गायब हुई? वह चाहता तो राजीव की जान बचा सकता था। मगर....! लेकिन यह सपना एक रात का नहीं था बल्कि यह कहानी अब हर रोज और हर रात की बन चुकी थी हर रात को यहीं