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उधड़े ज़ख़्म - उपन्यास
Junaid Chaudhary
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
ये कहानी दो लेखकों की मोहब्बत पर आधारित है, जिसे लगभग 7 पार्ट में प्रकाशित किया जाएगा, लगातार अपडेट रहने के लिए फॉलो करें और अपने प्यार और दुआओं से नवाज़े, तो आइए शुरू करते हैं,हैलो सर"फेसबुक पर उसका मैसेज रिक्वेस्ट पड़ा हुआ था। मैने भी हाय में जवाब दिया और पूछा आप कौन ? उसने कहा, मैं आपकी मातृभार्ती फॉलोवर हुँ। मैं आपको एक साल से तलाश कर रही हूँ।आपकी चारो कहानियां मैने पढ़ रखी है।और आप बहुत अच्छा लिखते हैं। लेकिन मुझे आपसे कुछ पूछना था। किसी नए लेखक के लिए तारीफ अमृत समान होती है। दिल मे बहुत खुशी हुई।लेकिन
ये कहानी दो लेखकों की मोहब्बत पर आधारित है, जिसे लगभग 7 पार्ट में प्रकाशित किया जाएगा, लगातार अपडेट रहने के लिए फॉलो करें और अपने प्यार और दुआओं से नवाज़े, तो आइए शुरू करते हैं,हैलो सर"फेसबुक पर उसका ...और पढ़ेरिक्वेस्ट पड़ा हुआ था। मैने भी हाय में जवाब दिया और पूछा आप कौन ? उसने कहा, मैं आपकी मातृभार्ती फॉलोवर हुँ। मैं आपको एक साल से तलाश कर रही हूँ।आपकी चारो कहानियां मैने पढ़ रखी है।और आप बहुत अच्छा लिखते हैं। लेकिन मुझे आपसे कुछ पूछना था। किसी नए लेखक के लिए तारीफ अमृत समान होती है। दिल मे बहुत खुशी हुई।लेकिन
अगले दिन सुबह मेसेंजर परसुम्मी- असस्लामु अलैकुम लेखक साहब।मैं- व अलैकुम अस सलाम,खेरयत हैं शायरा मोहतरमा ?सुम्मी- जी अल्लाह का शुक्र,आप बताएं ?मैं- जी मे भी बेहतर,वैसे आप किस सिटी से हैं ? सुम्मी- हम आप के शहर मुरादाबाद ...और पढ़ेही हैं। मैं- अरे वाह,कमाल की बात है,एक शहर में रहते हैं और मुलाक़ात मातृभारती के ज़रिए हुई।सुम्मी- जी उसका क्रेडिट भी हमें दीजिये मातृभारती को नही,हम मेसेज नही करते तो कैसे मिलते?मैं- हाहाहा जी जी आप भी सही हैं,हम शायरों से बहस नही करते। सुम्मी- क्यों? मैं- चुभते हुए तीरों से अल्फाज़ो को फूलों में लपेट कर मारते हैं शायर,इसलिए हम शायरों से
अब्बा ने आगे कहा ये सब फ़ैसले ख़ुदा के हैं, हमें और आपको ये चाहिए कि हम भी इसे मानें,और बच्चों की ख़ुशी में खुश रहै।अब्बा के तफसील से बोतल में उतारने के बाद भला क्या सूरत बचती थी ...और पढ़ेसुम्मी के वालिद अब्बा की बात न मानते,अल्लाह अल्लाह कर के बमुश्किल हम दोनों का रिश्ता तय हो गया।ये खुशी की खबर सो खुशियों की खबर से बढ़ कर थी, कुछ दिनों बाद हमारी वालिदा मोहतरमा जाकर सुम्मी को अपना आयी,और उनकी वालिदा मोहतरमा ने भी हमें अपना लिया, क्योंकि हमसे बड़े हमारे दो बहन भाई और भी थे,जिस वजह
वंडर लैंड की तरफ जाते हुए रास्ते में मेने अपनी बाइक के कानो को मरोड़ना शुरू कर दिया,जिसकी वजह से वो चल कम रही थी और आवाज़ ज़्यादा करने लगी।उन्होंने पूछा क्या हुआ अचानक से बाइक इतनी आवाज़ क्यों ...और पढ़ेरही है, मेंने कहा इस बाइक की बड़ी तमन्ना थी कि इसके ऊपर इसके मालिक के साथ साथ एक खूबसूरत लड़की भी बैठे,अब जब तुम बैठ गयी हो तो ये जशन मना रही है,उन्होंने कहा बस बस लेखक साहब इतनी बाते न बनाया करो,आप क्या हमें टोस्ट समझते हो? बटरिंग कि भी हद होती है।मैंने कहा में कहा लेखक हूं
पापा ने हॉल को बहुत शानदार तरीके से सजवाया था,क्योंकि मंगनी मेरी थी तो मेरा लेट पहुँचना लाज़मी था,जब में पहुँचा तो पहुँचते ही मेरी सबको सलाम करने की ड्यूटी लग गयी।इतने में हमारी सुसराल से मेहमान भी आने ...और पढ़ेहो गए,सबसे आगे ससुर साहब थे, उनको बड़े अदब से सलाम करने के बाद में उनसे इधर उधर की बातें करने लगा,मंगनी में सुम्मी नही आयी थी,क्योंकि उनके घर का ये रिवाज था कि मंगनी में लड़की लड़का आमने सामने नही आते,सिर्फ अंगूठियों का अदल बदल हो गया था।इस मंगनी में पापा की पूरी टीम भी आई हुई थी,पापा अपनी