बद्रीनाथ सिन्हा के घर के बाहर ढोल वाले खड़े थे। बद्रीनाथ के छोटे बेटे पुष्कर की बारात बहू को विदा कराकर आने वाली थी। बहुत सालों बाद बद्रीनाथ के परिवार में यह शुभ घड़ी आई थी। इसलिए बहू का स्वागत ढोल बजाकर किया जाना था। ढोल वाले तय किए गए समय पर आ गए थे। लेकिन अभी तक बारात लौटकर नहीं आई थी। राजू ने बीड़ी का आखिरी कश लिया। बीड़ी जमीन पर फेंककर पैर से बुझाते हुए बोला, "मुन्ना ज़रा अंदर पता करो अभी कितनी देर है। घंटा भर से ऊपर तो हमको आए हुए हो गया होगा। अभी तक तो बरात आई नहीं। सहालकों का बखत है। दूसरी जगह भी तो जाना है।" मुन्ना बैठे हुए ऊब गया था। वह अपने फोन पर कुछ देख रहा था। उसे टस से मस ना होते देखकर राजू चिल्लाया, "जबसे यह नया फोन ले लिया है जब देखो उसमें ही जुटा रहता है। कहा ना कि अंदर पता करो।" मुन्ना ने मोबाइल से नज़रें हटाए बिना कहा, "दादा हमसे किटकिट मत‌ करो। अभी कुछ देर पहले भी तो भेजे थे अंदर। वो बूढ़ी अम्मा चिल्लाने लगीं कि सर ना खाओ। आती होगी बरात। तब पैसों के साथ ईनाम भी मिलेगा।"

Full Novel

1

वो माया है.... - 1

(1)बद्रीनाथ सिन्हा के घर के बाहर ढोल वाले खड़े थे। बद्रीनाथ के छोटे बेटे पुष्कर की बारात बहू को कराकर आने वाली थी। बहुत सालों बाद बद्रीनाथ के परिवार में यह शुभ घड़ी आई थी। इसलिए बहू का स्वागत ढोल बजाकर किया जाना था। ढोल वाले तय किए गए समय पर आ गए थे। लेकिन अभी तक बारात लौटकर नहीं आई थी। राजू ने बीड़ी का आखिरी कश लिया। बीड़ी जमीन पर फेंककर पैर से बुझाते हुए बोला, मुन्ना ज़रा अंदर पता करो अभी कितनी देर है। घंटा भर से ऊपर तो हमको आए हुए हो गया होगा। अभी तक ...और पढ़े

2

वो माया है.... - 2

(2)दोपहर को खाने के बाद आंगन में नई बहू की मुंह दिखाई की रस्म हुई। मोहल्ले पड़ोस और रिश्तेदारी औरतें दिशा का चेहरा देखकर उसे कुछ ना कुछ भेंट दे रही थीं। वह सभी भेंट दिशा के हाथ से सीधा किशोरी के हाथ में जा रही थीं। वह मिली हुई हर भेंट का हिसाब एक डायरी में लिख रही थीं। दिशा की मम्मी ने उसे ऐसी रस्म के बारे में बताया था। फिर भी उसे कुछ अजीब लग रहा था। वह चाह रही थी कि जल्द से जल्द यह सब खत्म हो तो वह आराम कर सके। जब सारी ...और पढ़े

3

वो माया है.... - 3

(3)पुष्कर जब कमरे में गया तो दिशा उसकी राह देख रही थी। पुष्कर उसके पास जाकर बैठ गया। वह था कि इस नए माहौल में उसके बिना दिशा बहुत अकेलापन महसूस कर रही होगी। वह उसे भरोसा दिलाना चाहता था कि भले ही वह पूरा दिन उससे दूर रहा पर उसके बारे में सोच रहा था। बिना कुछ बोले वह दिशा का सर अपनी गोद में लेकर सहलाने लगा। उसका ऐसा करना दिशा को अच्छा लगा। वह चुपचाप उसकी गोद में सर रखे लेटी रही। दोनों चुपचाप थे पर एक दूसरे के भाव को समझ रहे थे। दिशा का ...और पढ़े

4

वो माया है.... - 4

(4)दिशा की आँख खुली। कुछ देर तक वह बिस्तर पर बैठी रही। अपनी ससुराल में यह उसकी पहली सुबह वह खुश थी। उसने पास में सोए हुए पुष्कर को देखा। उसके बाद बिस्तर से उठी और दरवाज़ा खोलकर छत पर आ गई। ताज़ा हवा का झोंका उसे सुखद लगा। हालांकि थोड़ी ठंड थी‌‌। वह मुंडेर के पास आई। उजाले में सामने एक मैदान सा दिखाई पड़ा। उसके बाद घर बने थे। मैदान में कुछ बच्चे खेल रहे थे। वह कुछ देर उन्हें देखती रही। उसके बाद अंदर गई और ब्रश किया।उसे सुबह उठकर चाय पीने की आदत थी। पुष्कर ...और पढ़े

5

वो माया है.... - 5

(5)आंगन में कई लोग थे पर एकदम शांति थी। उमा को अपनी बेबसी में जब कुछ समझ नहीं आया रोने लगीं। उनके रोने से चिढ़कर बद्रीनाथ चिल्लाए,"अब क्यों रो रही हो ? जब जिज्जी ने मना किया था तब तुम हमारे पीछे पड़ गई थीं। कह रही थीं कि बड़ी मुश्किल से घर में खुशियां आ रही हैं। अगर हम नहीं माने तो वह भी चली जाएंगी। देख लिया क्या खुशियां आई हैं इस घर में।"पुष्कर ने कहा,"पापा इसमें मम्मी की कोई गलती नहीं है‌। कितने सालों से देख रहा हूँ कि एक वहम को पकड़ कर रखा है ...और पढ़े

6

वो माया है.... - 6

(6)बैठक में पुष्कर परेशान सा तखत पर लेटा था। उसको इस बात का बुरा लग रहा था कि कल वह दिशा को विदा कराकर लाया और आज घरवालों ने यह झगड़ा शुरू कर दिया। वह सोच रहा था कि इस माहौल में दिशा बचे हुए दिन यहाँ कैसे बिताएगी। विशाल बैठक में आया। पुष्कर को तखत में लेटा हुआ देखकर उसके पास जाकर बैठ गया। उसने कहा,"सुबह सुबह यह क्या तमाशा शुरू हो गया। मौसा मौसी और रविप्रकाश जीजा नाराज़ होकर चले गए। कुछ खाया पिया भी नहीं। बायन और भेंट भी नहीं ले गए।"पुष्कर ने कहा,"नहीं ले गए ...और पढ़े

7

वो माया है.... - 7

(7)किशोरी के खाना खा लेने के बाद बद्रीनाथ और उमा ने भी अपना व्रत तोड़ा। इससे तनाव कुछ कम विशाल पुष्कर को बुलाकर लाया। उससे कहा कि वह अपना और दिशा का खाना ले जाए। पुष्कर दोनों थालियां लेकर ऊपर चला गया। विशाल ने खाना खाया और तालाब तक टहलने चला गया।नीलम खाना खाकर आराम करने लगीं‌। सुनंदा के जाने के बाद से उनका मन यहाँ बिल्कुल नहीं लग रहा था। उन्होंने अपने घर फोन करके कह दिया था कि जितनी जल्दी हो सके आकर ले जाएं।बद्रीनाथ, उमा और किशोरी बैठक में बातें कर रहे थे। किशोरी बोलीं,"भाई हमने ...और पढ़े

8

वो माया है.... - 8

(8)छत पर ठंड थी लेकिन दिशा पूरे दिन अपने कमरे में बंद ऊब गई थी। इसलिए कमरे के बाहर पर कुर्सी डालकर बैठ गई थी। पुष्कर ने उसे समझाने की कोशिश की थी कि नवंबर का आखिरी चल रहा है। शाम ढलने के बाद ठंड हो जाती है। वह बीमार पड़ जाएगी। पर वह मानी नहीं। पुष्कर ने उसे एक शॉल ओढ़ाया। खुद भी एक शॉल ओढ़कर उसके पास बैठ गया। दोनों चुप थे। दिशा ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा,"सुबह होते ही इतना कुछ हो गया। उसकी वजह से सरदर्द हो गया था। विशाल भइया ने दवा लाकर दी। ...और पढ़े

9

वो माया है.... - 9

(9)दिशा ने ध्यान से सुना तो उसे लगा कि नीचे कोई पूजा चल रही है। उसे आश्चर्य हुआ कि रात गए कौन सी पूजा हो रही है। पुष्कर का ध्यान भी आती हुई आवाज़ों की तरफ था। उसने ध्यान से सुना। कुछ चीज़ें उसकी समझ में आईं। उसके बचपन में पापा हर मंगलवार की शाम को सुंदरकाण्ड का पाठ करते थे। तब उसे और विशाल को भी पास बैठा लेते थे। वह सोच रहा था कि अपने डर के कारण सब लोग पाठ कर रहे हैं। आखिर कब तक यह लोग इस तरह बेवजह का डर पाल कर रखेंगे। ...और पढ़े

10

वो माया है.... - 10

(10)कमरे में शांति थी। सिर्फ नीचे से पाठ की आवाज़ें आ रही थीं। पुष्कर जैसे अभी भी अतीत में के साथ था। दिशा आगे की कहानी जानना चाहती थी। पर पुष्कर को उसकी यादों से बाहर लाने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी। कुछ क्षणों में पुष्कर ने दिशा की तरफ देखा। वह अब वर्तमान में आ गया था। उसने आगे कहा,"मैं मोहित को कितना चाहता था इस बात का एहसास उसके जाने के बाद अधिक हुआ। ऐसा लगा था जैसे कि सबकुछ छिन गया है। मैं सारा दिन घर में पड़ा रोता रहता था। स्कूल भी नहीं ...और पढ़े

11

वो माया है.... - 11

(11)पुष्कर भी समझ रहा था कि दिशा के मन में क्या चल रहा है‌। दरअसल समय बीतने के बाद वह शांत हुआ था तो उसके मन में भी आया था कि भाभी और मोहित को ऐसा क्या हो गया था कि दोनों खून की उल्टियां करने लगे और मर गए ? डॉक्टरों का कहना था कि उनके खाने में ज़हर रहा होगा जिसने कुछ देर में असर किया होगा। जिसके कारण उनकी मौत हो गई। पुष्कर के मन में आया था कि जब सबने वही खाना खाया तो भाभी और मोहित के खाने में ज़हर कैसे आ गया ? ...और पढ़े

12

वो माया है.... - 12

(12)पुष्कर के रोकने पर उमा रुक गईं। पुष्कर ने उन्हें बैठने को कहा। वह समझ रही थीं कि वह कहना चाहता है। वह बैठ गईं। पुष्कर सोच रहा था कि बात शुरू कैसे करे। उमा ने कहा,"जो भी कहना चाहते हो कह दो। हमें नीचे जाकर नाश्ते की व्यवस्था देखनी है।"पुष्कर ने कहा,"मम्मी दिशा अलग माहौल में पली बढ़ी है। यहाँ का माहौल अलग है। उसे बहुत सारी बातें नहीं पता हैं।"उमा ने गंभीर आवाज़ में कहा,"पुष्कर दिशा पहली औरत नहीं है जो अपना घर छोड़कर ससुराल आई हो। सभी औरतें ऐसा ही करती हैं। हर किसी को अपने ...और पढ़े

13

वो माया है.... - 13

(13)मनोहर नीलम को लेने आए थे। नीलम ने कल सुंदरकाण्ड का पाठ हेने से पहले फिर उन्हें फोन करके जाने के लिए कहा था। इसलिए मनोहर छुट्टी लेकर आ थे। दोपहर के खाने के बाद नीलम अपना सामान समेट रही थी। मनोहर ने कहा,"इतनी जल्दी लौटना था तो उस दिन हमारे साथ ही चली होती। कल एकदम पीछे पड़ गई कि आकर ले जाओ।"नीलम ने कहा,"हमें क्या पता था कि यहाँ विदा होकर आई बहू अगले दिन ही बवाल कर देगी।"यह बात सुनकर मनोहर ने अश्चर्य से कहा,"क्यों क्या हो गया ?"नीलम दरवाज़े तक गई‌। बाहर झांक कर देखा ...और पढ़े

14

वो माया है.... - 14

(14)अपनी मम्मी से बात करते हुए दिशा यह दिखाने की कोशिश कर रही थी कि सब ठीक है। पर आवाज़ से उसकी मम्मी को ऐसा लग रहा था कि जैसे वह कुछ छुपा रही है। उन्होंने दिशा से वीडियो कॉल करने को कहा। दिशा जानती थी कि उसकी मम्मी उसका चेहरा देखकर समझ जाएंगी कि कुछ समस्या है। उसने बहाना बनाया कि यहाँ इंटरनेट ठीक से काम नहीं कर रहा है। पर उसकी मम्मी ने फोन काटकर उसे वीडियो कॉल की। दिशा ने फोन उठाने से पहले खुद को संभाला। उसने तय किया था कि अपनी मम्मी से बात ...और पढ़े

15

वो माया है.... - 15

(15)तय हुआ था कि कल सुबह पुष्कर और दिशा नहाकर पूजाघर में जाएंगे। किशोरी उन्हें ताबीज़ देंगी। दोनों ताबीज़ लेंगे। पुष्कर और दिशा अपने कमरे में जाने के लिए आंगन में आए तो रसोईघर की बत्ती जल रही थी। पुष्कर ने कहा,"दिशा तुम ऊपर जाओ। मम्मी किचन में होंगी। मैं उनसे मिल लेता हूँ।""तो मैं भी मिल लेती हूँ पुष्कर।"दोनों रसोई में गए। उमा अकेले खाना बना रही थीं। पुष्कर ने चप्पलें बाहर उतार दीं। अंदर जाकर उमा के पैर छू लिए। उमा ने उसकी तरफ देखा। पुष्कर ने कहा,"मम्मी मुझे माफ कर दीजिए। मुझे मालूम है। आपको मेरी ...और पढ़े

16

वो माया है.... - 16

(16)माया रविवार छोड़कर हर रोजं विशाल से गणित पढ़ने आती थी। अब वह बहुत खुल गई थी। उमा के खूब बातें करती थी। किशोरी को भी वह अच्छी लगती थी। इसलिए पढ़ाई पूरी होने के बाद भी देर तक वहीं रहती थी। मनोरमा अक्सर कहती थीं कि माया को यहाँ इतना अच्छा लगता है कि अगर उसका बस चले तो यहीं रहने लगे। उमा भी अगर कुछ खास बनाती थीं तो माया के लिए बचाकर रखती थीं।माया सिर्फ उमा और किशोरी के साथ ही नहीं खुली थी। जब बद्रीनाथ घर पर होते थे तो उनसे भी हंसकर बात करती ...और पढ़े

17

वो माया है.... - 17

(17)सन्नाटे में झींगुरों की आवाज़ें सुनाई पड़ रही थीं। खिड़की खुली हुई थी। उससे हवा आ रही थी। दिशा ठंड लग रही थी। पुष्कर ने उठकर खिड़की बंद कर दी। उसे शॉल ओढ़ा दिया। अपने और उसके पैरों पर कंबल डाल लिया। दिशा के दिमाग में माया और विशाल की प्रेम कहानी घूम रही थी। पुष्कर के हिसाब से वह उस प्रेम कहानी का प्रमुख पात्र था। जिसके कारण माया और विशाल की प्रेम कहानी आगे बढ़ी थी। उसने पुष्कर से कहा,"तुमने तो भइया और माया के प्रेम को बढ़ते देखा था। तुम्हें क्या लगता था ? भइया माया ...और पढ़े

18

वो माया है.... - 18

(18) पुष्कर ने माया से कहा कि विशाल उससे मिलकर बहुत ज़रूरी बात करना चाहता है। माया भी एकबार से मिलना चाहती थी।‌ उसने कहा कि आने वाले रविवार को उसके पापा मम्मी कहीं जाने वाले हैं। विशाल दोपहर तीन बजे के करीब उसे तालाब के किनारे मिले। पुष्कर ने यह संदेश विशाल को दे दिया। माया का संदेश सुनकर विशाल बहुत खुश हो गया था। उसने धीरे धीरे इस बात की तैयारी शुरू कर दी थी कि माया से शादी कर सके। उसने अपने एक दोस्त की मदद से रहने के लिए किराए की जगह भी देख ली ...और पढ़े

19

वो माया है.... - 19

(19)कहानी सुनते हुए दिशा को लग रहा था कि उमा को उस समय अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए थी। हिम्मत बद्रीनाथ को समझाना चाहिए था कि अगर विशाल और माया की शादी करा दें तो सब ठीक हो जाएगा। लेकिन उनके चुप रहने का परिणाम आज विशाल भुगत रहा था। उसने कहा,"सोच रही हूँ तो अजीब लग रहा है। विशाल भइया के मामले में मम्मी कुछ नहीं बोलीं। पर तुम कह रहे थे कि हमारी शादी के लिए उन्होंने ही पापा को मनाया।""मुझे भी तब ऐसे ही आश्चर्य हुआ था। पर जल्दी ही समझ गया। उनकी चुप्पी से भइया की ...और पढ़े

20

वो माया है.... - 20

(20)पुष्कर उस दिन माया के रूप को याद कर कुछ परेशान हो गया था। जिस तरह से उसने सारी बताई थी उसे सुनकर दिशा भी उस दिन माया के रूप के बारे में सोचने लगी थी। पुष्कर ने कहा,"दिशा माया का वह रूप दहलाने वाला था। माया ने जो किया उससे सब स्तब्ध थे। इसी बात से अंदाजा लगा लो कि सबके जाने के बाद भी पूरा परिवार कुछ देर तक चुपचाप आंगन में खड़ा रहा था। उसके बाद बिना कुछ बोले सब अपने अपने कमरे में चले गए।""मैं भी माया के उस रूप की कल्पना कर रही हूँ ...और पढ़े

21

वो माया है.... - 21

(21)बद्रीनाथ बैठक में बैठे थे। वह एक कॉपी में लिखा हिसाब देख रहे थे। हिसाब पुष्कर की शादी पर खर्च का था। उन्होंने सोचा था कि वैसे तो पुष्कर घर में कोई मदद नहीं करता है। अपनी कमाई का एक पैसा भी उसने कभी हाथ में नहीं रखा। इसलिए उससे कहेंगे कि कम से कम शादी पर जो भी खर्च हुआ है उसकी भरपाई करे। लेकिन विदाई के अगले दिन से ही हंगामा हो गया। कल शाम तो और भी अधिक कहा सुनी हुई। पुष्कर ने उमा के लिए जो कहा वह अपरोक्ष रूप से उन पर निशाना था। ...और पढ़े

22

वो माया है.... - 22

(22)पुष्कर और दिशा ढाबे पर चाय पी रहे थे। दिशा की मम्मी का फोन आ गया था। वह उनसे कर रही थी। बात करते हुए विशाल की कॉल आई। उसने अपनी मम्मी की कॉल को होल्ड पर रखकर पुष्कर से कहा,"भइया का फोन आ रहा है।""तुम्हारे फोन पर ?"यह कहते हुए उसने अपनी जेबें टटोलीं। उसका फोन नहीं था। उसे याद आया कि जब टैक्सी रुकी थी तो ताबीज़ ढूढ़ने के लिए उसने मोबाइल सीट पर रख दिया था। उसके बाद भूल गया। उसने कहा,"तुम मम्मी से बात करो। मेरा फोन टैक्सी में छूट गया है। मैं उसे लेकर ...और पढ़े

23

वो माया है.... - 23

(23)अपनी बेटी दिशा की खबर सुनकर मनीषा कुछ पलों तक सन्न रह गई थीं। वह समझ नहीं पा रही कि अचानक यह क्या हो गया ? कुछ देर पहले उन्होंने दिशा से बात की थी। उसने बताया था कि वह और पुष्कर घर आ रहे हैं। रास्ते में एक ढाबे पर चाय नाश्ते के लिए रुके हैं। वह बहुत खुश थीं। अपनी बेटी और दामाद के स्वागत की तैयारियां करने लगी थीं कि खबर मिली कि पुष्कर की लाश ढाबे के पास झाड़ियों के पीछे से मिली। दिशा की तबीयत खराब है। उसे वहीं पास के अस्पताल में भर्ती ...और पढ़े

24

वो माया है.... - 24

(24) दिशा की आँखें खुलीं। अपने आसपास को समझने में उसे कुछ क्षण लगे। जैसे ही सबकुछ याद आया दिल दर्द से तड़प उठा। उसने पुकार का नाम लिया और रोने लगी। मनीषा वॉशरूम में मुंह धो रही थीं। दिशा की आवाज़ सुनकर बाहर आईं। दिशा उठकर कमरे के दरवाज़े तक चली गई थी। मनीषा ने उसे पकड़ लिया। अपनी मम्मी को सामने देखकर दिशा उनके गले लगकर रोने लगी। तब तक नर्स आ गई थी। उसने दिशा को ले जाकर बिस्तर पर बैठाया। उसकी मम्मी उसके पास ही बैठ गईं। दिशा ने रोते हुए कहा,"मम्मी....मेरा पुष्कर चला गया। ...और पढ़े

25

वो माया है.... - 25

(25) दिशा को डॉक्टर ने आराम करने के लिए कहा था। वह सो रही थी‌। शांतनु मनीषा को पास एक भोजनालय में खाना खिलाने ले गए थे। खाना खाते हुए शांतनु ने कहा,"फोन किया था। पुष्कर की बॉडी कल सुबह उसके घरवालों को दी जाएगी। इसका मतलब है कि आज रात यहीं रहना होगा।"मनीषा कुछ सोचकर बोलीं,"मैं दिशा के कमरे में रात गुज़ार लूँगी। मेरी मानो तो तुम वापस चले जाओ। मैं संभाल लूँगी।"शांतनु ने मनीषा की तरफ देखकर कहा,"मालूम है तुम सब संभाल लोगी। पर मैं डिम्पी के लिए यहाँ हूँ। उसे मेरी ज़रूरत पड़ेगी।"मानीषा को एहसास हुआ ...और पढ़े

26

वो माया है.... - 26

(26) इस समय सभी सो रहे थे। बहुत देर तक अकेली सिसकने के बाद उमा भी उस चटाई पर रही थीं जिस पर दिनभर बैठी रही थीं। सोनम और अनुपमा के बीच लेटी मीनू भी सो गई थी। सारे घर में अजीब सा सन्नाटा पसरा था। सोती हुई मीनू की आँख खुली। उसे पेशाब करने जाने की ज़रूरत महसूस हो रही थी। वह उठकर बैठ गई। कमरे में ज़ीरो पावर का बल्ब जल रहा था। उसकी हल्की पीली रोशनी और डरावना माहौल पैदा कर रही थी। मीनू ने देखा कि उसके आसपास सब गहरी नींद में सोए हुए थे। ...और पढ़े

27

वो माया है.... - 27

(27) पुष्कर की लाश बाहर दालान में रखी थी। उसे शमशान ले जाने की तैयारी चल रही थी। बद्रीनाथ तबीयत के बारे में सुनकर सभी और परेशान हो गए थे। बात कर रहे थे कि कितनी बड़ी विपदा आई है। बाप को बेटे की अंतिम यात्रा में शामिल होना भी नसीब नहीं हुआ। रविप्रकाश और दीनदयाल एक तरफ खड़े थे। रविप्रकाश ने कहा,"बाबू जी बड़ी दुखद बात है। अरे अभी शादी को एक हफ्ता भी नहीं हुआ। पुष्कर दुनिया छोड़कर चला गया।"दीनदयाल ने इधर उधर देखा। फिर धीरे से बोले,"तुम्हें बताया था ना श्राप वाली बात। वही सच हो ...और पढ़े

28

वो माया है.... - 28

(28) खबर रोज़ाना अखबार की रिपोर्टर अदीबा सिद्दीकी लकी ढाबे पर आई थी। अदीबा खबर रोज़ाना के लिए शहर उसके आसपास हुए हादसों को कवर करती थी। उसे शाहखुर्द पुलिस स्टेशन से पुष्कर की हत्या के मामले के बारे में पता चला था। यह ढाबा शाहखुर्द पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आता था।अदीबा ने इंस्पेक्टर हरीश यादव से केस के बारे में बात की थी। उन्होंने बताया था कि पुष्कर की लाश ढाबे के सामने सड़क के दूसरी तरफ मिली थी। उस तरफ खाली मैदान है जिस पर झाड़ियां और पेड़ उगे हुए हैं। लाश झाड़ियों से कुछ दूर एक ...और पढ़े

29

वो माया है.... - 29

(29) दीनदयाल और रविप्रकाश दाह संस्कार के दिन शाम को चले गए थे। मनोहर भी अगले दिन सुबह अपने के साथ चले गए थे। घर में अब केदारनाथ और उनका परिवार ही था। दसवें के बाद जब शुद्धि हो गई तो माहौल कुछ सामान्य हुआ था। उमा की हालत में भी बहुत सुधार आया था। वह दुखी थीं पर इस बात को स्वीकार कर लिया था कि अब जीवन इसी दुख के सहारे काटना है। किशोरी भी दुख को भुलाने की कोशिश कर रही थीं। तांत्रिक ने कहा था कि अब घर में रक्षा कवच की आवश्यकता नहीं है। ...और पढ़े

30

वो माया है.... - 30

(30) अदीबा ऑफिस पहुँची तो पता चला कि अखलाक ने उसे अपने केबिन में बुलाया है। अपना सामान डेस्क रखकर वह अखलाक के केबिन में चली गई। उसे देखकर अखलाक ने कहा,"आओ अदीबा तुम्हारा इंतज़ार कर रहा था मैं।"अदीबा ने गौर किया कि अखलाक बहुत खुश नज़र आ रहा है। उसने बैठते हुए कहा,"क्या बात है सर ? किसी बड़ी कंपनी का फुल पेज ऐड मिल गया।"अखलाक ने मुस्कुरा कर कहा,"वह दिन भी आएगा। हमारे अखबार का सर्क्यूलेशन बढ़ेगा तो वह भी मिलेगा।""सर्कुलेशन बढ़ाने वाला ऐसा कौन सा कारनामा हो गया। बहुत दिनों से तो कोई स्कैंडल भी नहीं ...और पढ़े

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वो माया है.... - 31

(31) बिजली चले जाने से घुप अंधेरा हो गया था। आज वैसे भी बहुत सर्दी थी। इस अंधेरे में को एक सिहरन सी हो रही थी। उन्हें और अधिक सर्दी लगने लगी। वह कांपने लगीं। अंधेरे में किशोरी का मन भी घबरा रहा था। उन्हें अनुभव हुआ कि पास बैठी उमा कांप रही हैं। वह और डर गईं। उन्होंने डरते हुए पूछा,"क्या बात है उमा ? कांप क्यों रही हो ? तुमने तो शॉल ओढ़ रखा है।"उमा ने कहा,"पता नहीं जिज्जी अजीब सा लग रहा है। ऐसा लग रहा है कि कुछ ठीक नहीं है।"यह सुनकर किशोरी और भी ...और पढ़े

32

वो माया है.... - 32

(32) बद्रीनाथ और उमा को विशाल की चिंता हो रही थी। उमा ने बद्रीनाथ से कहा,"बेवजह ज़िद करके ऊपर गया। हमें उसकी बहुत फिक्र हो रही है। ऊपर अकेला है।"बद्रीनाथ ने कहा,"हमें भी उसकी चिंता हो रही है। जाकर उसे नीचे लाने का प्रयास करते हैं।"किशोरी ने भी इस बात का समर्थन किया। बद्रीनाथ उठे और छत की तरफ चल दिए। जब वह सबसे ऊपर की सीढ़ी पर पहुँचे तो उनकी नज़र विशाल पर पड़ी। वह सर्दी की रात में छत पर बैठा शून्य में जाने क्या देख रहा था। उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ। जब तक वह कुछ कहते ...और पढ़े

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वो माया है.... - 33

(33)शांतनु दिशा को समझा रहे थे कि ज़िंदगी में सुख दुख आते जाते रहते हैं। ना ही सुख को कर रखने की कोशिश करनी चाहिए और ना ही किसी दुख के कारण जीना छोड़ना चाहिए। जीवन हर हाल में आगे बढ़ते रहना चाहिए। उन्होंने मनीषा का उदाहरण देते हुए कहा,"अपनी मम्मी को ही देख लो। वह भी तो अकेली रह गई थी। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। संघर्ष किया और अपनी ज़िंदगी को पटरी पर ले आई।"दिशा ने मुस्कुरा कर कहा,"मैं भी ले आऊँगी काकू। जो प्यारा दोस्त मम्मी के पास था वह मेरे पास भी है। अब इतने ...और पढ़े

34

वो माया है.... - 34

(34) इंस्पेक्टर हरीश ने फुटेज को उस जगह फ्रीज़ किया जहाँ उस आदमी का चेहरा दिखाई पड़ रहा था। कांस्टेबल शिवचरन से कहा,"टेबल पर जो स्केच रखा है उसे उठाओ और इस आदमी के चेहरे से मिलाओ।"कांस्टेबल शिवचरन ने स्केच उठाकर मॉनीटर पर दिख रहे चेहरे से मिलाना शुरू किया। कुछ देर बाद वह बोला,"सर स्केच तो इसी आदमी का मालूम पड़ रहा है। यह किसका स्केच है ?""यही तो पता करना है शिवचरन।""सर यह स्केच आपको कहाँ से मिला ?""पुष्कर की पत्नी दिशा ने आज मुझसे फोन पर बात की थी। उसने बताया कि कत्ल वाले दिन यह ...और पढ़े

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वो माया है.... - 35

(35)खबर रोज़ाना में छपी पुष्कर मर्डर केस की स्टोरी एकबार फिर लोगों को बहुत पसंद आई थी। इस स्टोरी लोगों की दिलचस्पी इस केस में बढ़ा दी थी। अदीबा ने अब तक इस केस के संबंध में दो रिपोर्ट तैयार की थीं। दोनों के ज़रिए उसने केस के बारे में जानकारी देने के साथ साथ कुछ महत्वपूर्ण सवाल भी उठाए थे। इनमें सबसे प्रमुख सवाल यही था कि दिशा और पुष्कर कहीं जाते हुए ढाबे पर चाय नाश्ते के लिए रुके थे। तो फिर पुष्कर की हत्या क्यों और किसने की ? क्या यह किसी पुरानी रंजिश का मामला ...और पढ़े

36

वो माया है.... - 36

(36) सूरज से मिलने वाले अपमान ने चेतन के मन में उसके लिए एक घृणा पैदा कर दी थी। अक्सर सोचता था कि उसे सबक सिखाए लेकिन उसकी हिम्मत नहीं पड़ती थी। वह अपनी स्थिति को समझता था। दुनिया में उसका कोई नहीं था। कोई ऐसा ठिकाना नहीं था जहाँ वह जा सके। वह इतना पढ़ा लिखा था नहीं कि कहीं कोई अच्छी नौकरी ढूंढ़ लेता। सूरज ने उसे काम दिया था। बासी ही सही पर पेट भरने के लिए खाना मिल जाता था। रात में सड़क पर नहीं सोना पड़ता था। यही सोचकर वह चुपचाप सब सहन कर ...और पढ़े

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वो माया है.... - 37

(37) खबर सुनकर सूरज स्तब्ध था। वह सोच रहा था कि यह तो बड़ी मुसीबत हो गई। इंस्पेक्टर हरीश कांस्टेबल शिवचरन को लेकर उस जगह के लिए निकल गया जहाँ चेतन की लाश मिली थी। वहाँ पहुँच कर इंस्पेक्टर हरीश के सामने जो दृश्य था वह चौंकाने वाला था। उसने कांस्टेबल शिवचरन की तरफ देखा। शिवचरन ने कहा,"सर इसके शरीर पर तो बिल्कुल वैसे ही निशान हैं जैसे पुष्कर के शरीर पर थे।"इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,"हाँ....दूसरी बात यह है कि लाश झाड़ियों से कुछ दूर दीवार के पीछे है। पिछली बार पेड़ के पीछे थी।"वह चेतन की लाश के ...और पढ़े

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वो माया है.... - 38

(38) चेतन की लाश का पोस्टमार्टम हो चुका था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार उसकी गर्दन पर भी वार करने का निशान था। छाती पर पंजेनुमा धारदार हथियार से वार किया गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार चेतन के शरीर पर पिटाई के भी निशान थे। चेतन के शव का सरकारी खर्चे पर दाह संस्कार कर दिया गया था।खबर रोज़ाना में छपी रिपोर्ट में दोनों हत्याओं के बीच समानता की बात करते हुए सवाल उठाया गया था कि उन दोनों हत्याओं को आपस में जोड़ने वाला सूत्र क्या हो सकता है ? लोगों में अब पुष्कर की हत्या के साथ ...और पढ़े

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वो माया है.... - 39

(39) सूरज‌ बहुत परेशान था। चेतन के ना होने से उसे बहुत दिक्कत हो रही थी। अब उसे खुद ग्राहकों की टेबल पर जाकर उनसे ऑर्डर लेना पड़ रहा था। पुलिस स्टेशन से लौटकर वह काम में लग गया था। अभी अभी वह एक ग्राहक का ऑर्डर लेकर आया था। उसने ढाबे पर काम करने वाले रामदीन को वह ऑर्डर बताकर कहा कि टेबल पर पहुँचा दे। वह कुछ देर अपने कमरे में आराम करने जा रहा है। अपने कमरे में आकर वह बिस्तर पर लेट गया।‌ लेटे हुए उसने बिस्तर पर पड़ा खबर रोज़ाना उठा लिया। वह उस ...और पढ़े

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वो माया है.... - 40

(40) सूरज रो रहा था। बार बार कह रहा था कि अब उसका भी अंजाम वही होगा जो चेतन हुआ है। इंस्पेक्टर हरीश और सब इंस्पेक्टर कमाल उसे समझाने की कोशिश कर रहे थे कि ऐसा कुछ नहीं होगा। सूरज बार बार ताबीज़ वाली बात का ज़िक्र करते हुए कह रहा था कि यह शैतानी शक्ति का काम है। उसकी बात सुनकर सब इंस्पेक्टर कमाल ने कहा,"सर अखबारवाले भी बिना सोचे समझे कुछ भी लिख देते हैं। अब बताइए यह ताबीज़ वाली बात लिखने की क्या ज़रूरत थी। केवल सूरज ही नहीं। बाकी खबर पढ़ने वाले लोगों के मन ...और पढ़े

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वो माया है.... - 41

(41) विशाल जब घर पहुँचा तब बद्रीनाथ घर के दालान में पड़ोस के तिवारी के साथ बात कर रहे विशाल उनसे नज़रें बचाकर अंदर जाने लगा तो तिवारी ने कहा,"अरे विशाल जरा यहाँ आओ।"आवाज़ सुनकर विशाल रुक गया। वह तिवारी के पास गया। हाथ जोड़कर बोला,"नमस्ते चाचा जी।"तिवारी ने खाली पड़ी कुर्सी की तरफ इशारा करते हुए कहा,"बैठो यहाँ..... कुछ बात करनी है।"विशाल कुर्सी पर बैठ गया। अखबार उसने अपनी पीठ के पीछे दबा दिया। तिवारी ने कहा,"अब कब तक इस तरह ज़िंदगी बिताओगे। भूल जाओ सब। नए सिरे से जीवन शुरू करो।"विशाल सर झुकाए बैठा था। उसे इस ...और पढ़े

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वो माया है.... - 42

(42) शंकरलाल भटनागर की बेटी कुसुम से विशाल की शादी तय हो गई थी। विशाल उस समय ऐसी स्थिति था कि वह ना रिश्ते के लिए मना कर सकता था और ना ही उसे स्वीकार कर सकता था। उसने अपने आप को पूरी तरह नियति के हवाले कर दिया था। वह सोचता था कि उसकी किस्मत में जो भी होगा उसे चुपचाप सह लेगा। उसने कुसुम से शादी कर ली। शादी के शुरुआती दो महीनों में विशाल कुसुम से खिंचा खिंचा रहता था। कुसुम इसका कारण समझ नहीं पाती थी। अपनी तरफ से विशाल का दिल जीतने की पूरी ...और पढ़े

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वो माया है.... - 43

(43) बद्रीनाथ ने नीचे से आवाज़ लगाकर विशाल को बैठक में आने के लिए कहा। उसे लगा कि तिवारी सामने उसने जो कुछ कहा था उसके लिए ही बुला रहे होंगे। कुछ देर बाद वह नीचे उतर कर बैठक में आया। बैठक में बद्रीनाथ के साथ साथ उमा और किशोरी भी थीं। बद्रीनाथ ने बिना कुछ कहे अखबार उसकी तरफ बढ़ा दिया।‌ विशाल अपनी परेशानी में अखबार के बारे में भूल गया था।‌ सब लोग जैसे उसकी तरफ देख रहे थे उससे उसे समझ आ रहा था कि अखबार की खबर के बारे में उन्हें पता है। बद्रीनाथ ने ...और पढ़े

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वो माया है.... - 44

(44) इंस्पेक्टर हरीश को ताबीज़ के पीछे की कहानी बताने के बाद दिशा सोच रही थी कि इसका कोई भी होगा या नहीं। चेतन की हत्या के बारे में उसने सुना था। उसकी और पुष्कर की हत्या का तरीका एक जैसा था। यह आश्चर्यजनक बात थी। उसने दोनों केस के संबंध में उड़ाई जा रही अफवाहों के बारे में भी सुना था। इसलिए उसे लग रहा था कि यह नई बात कहीं केस को और अधिक उलझा ना दे। वह जानती थी कि पुष्कर की हत्या का संबंध माया से नहीं है। अक्सर पुष्कर की रहस्यमई मौत उसे परेशान ...और पढ़े

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वो माया है.... - 45

(45) इंस्पेक्टर हरीश से हुई बहस के बाद अदीबा अब उसके पास नहीं जाना चाहती थी। लेकिन उसे दिशा बारे में पता करना था। अखलाक उस पर ज़ोर डाल रहा था कि कोई और मीडिया वाला दिशा तक पहुँचे। उससे पहले वह उस तक पहुँच कर उसकी और पुष्कर की कहानी लोगों के सामने लाए। अदीबा खुद‌ भी चाहती थी कि ताबीज़ वाली बात सामने लाकर जो बातें उसने शुरू की हैं उन्हें सही रास्ते पर ले जाए। इसका एक ही तरीका हो सकता था। वह पुष्कर और दिशा की सही कहानी लोगों के सामने लाए। इंस्पेक्टर हरीश से ...और पढ़े

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वो माया है.... - 46

(46)कुछ दिनों पहले भवानीगंज थाने के एसएचओ सुमेर सिंह के पास एक फरार अपराधी की तस्वीर आई थी।‌ बताया रहा था कि लगभग डेढ़ साल से यह अपराधी फरार है। उस अपराधी का नाम महिपाल बताया जा रहा था। उस पर अपनी प्रेमिका की हत्या का आरोप था जो उसके साथ लिव इन रिलेशनशिप में थी। खबर के अनुसार उसके भवानीगंज के आसपास होने की संभावना थी। सुमेर सिंह ने एक टीम को भवानीगंज के आसपास के इलाके में नज़र रखने को कहा था। उनकी टीम ने अच्छी तरह से खोजबीन करके पता किया था कि महिपाल भवानीगंज के ...और पढ़े

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वो माया है.... - 47

(47) बद्रीनाथ ने सबको बैठक में ले जाकर बैठा दिया। वह समझ नहीं पा रहे थे कि पुलिस अचानक क्यों आई है ? विशाल ने तो फोन करके ताबीज़ वाली बात बता दी थी। उन्होंने इंस्पेक्टर हरीश से कहा,"इंस्पेक्टर साहब हमारे बेटे विशाल ने तो आपके सवाल का जवाब दे दिया था। अब आपको क्या पूछना है ?"इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,"विशाल कहाँ है ?""वह किसी काम से बाहर गया है। हमने उसे आप लोगों के बारे में बता दिया था। आता ही होगा।"इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,"घर में और लोग भी तो होंगे ?"बद्रीनाथ ने कहा,"हाँ हमारी पत्नी और बड़ी ...और पढ़े

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वो माया है.... - 48

(48)आधी रात का समय था। विशाल धीरे धीरे सीढ़ियां उतरते हुए आंगन में आया।‌ एकबार चारों तरफ देखा। पूरी सन्नाटा था। उसने अपनी जैकेट का हुड ऊपर किया। दरवाज़ा खोला। बाहर जाकर धीरे से भेड़ दिया। एकबार फिर इधर उधर देखा और चल दिया।शाम को उसकी कौशल से बात हुई थी। वह उससे मिलना चाहता था। विशाल ने उससे कहा था कि रात बारह बजे के बाद पुराने शिव मंदिर के पीछे आकर मिले। फरवरी शुरू हो गई थी पर आज ठंडी हवा चल रही थी। विशाल ने चलते हुए अपनी जैकेट की चेन ऊपर तक चढ़ा ली।‌ वह ...और पढ़े

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वो माया है.... - 49

(49) अदीबा ने इंस्पेक्टर हरीश द्वारा दी गई रिपोर्ट अखलाक के सामने रख दी। उसे पढ़ने के बाद वह इस रिपोर्ट को ऐसे ही छाप दिया तो जो पाठक हमसे जुड़े हैं दूर हो जाएंगे।‌ इसमें लिखा है कि तंत्र मंत्र सब बेकार की बातें हैं। इनका पुष्कर की हत्या से कोई लेना देना नहीं है। यह पढ़कर तो पाठकों की सारी दिलचस्पी खत्म हो जाएगी।"अदीबा जानती थी कि अखलाक की यही प्रतिक्रिया होगी। उसने कहा,"सर अब पुलिस ने कहा है तो छापना पड़ेगा ही।""ऐसे कैसे छापना पड़ेगा। हमें अखबार भी चलाना है।""सर मैंने पहले ही कहा था कि ...और पढ़े

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वो माया है.... - 50

(50) विशाल बैंक आया था। उसे कौशल को देने के लिए पैसे निकालने थे।‌ अभी तक वह कौशल को चाह रहा था। उसके ससुर‌ के ईंट के भट्टे वाली ज़मीन पर अब बटाई पर खेती होती थी। उससे हुई आमदनी का एक हिस्सा विशाल को ही मिलता था। विशाल सोच रहा था कि गेंहूँ की फसल कटने तक कौशल को टाल दे पर वह मानने को तैयार नहीं था। इसलिए विशाल अपनी जमा पूंजी से पैसे निकालने आया था। इस बैंक अकाउंट का बद्रीनाथ को पता नहीं था।‌ इस बैंक अकाउंट का एटीएम कार्ड नहीं था। ना ही डेबिट ...और पढ़े

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वो माया है.... - 51

(51) मोहल्ले में एक घर पर अखंड रामायण का पाठ हो रहा था। किशोरी वहीं गई हुई थीं। उमा भी वहाँ जाना था। पर वह बद्रीनाथ के इंतज़ार में रुक गई थीं। बद्रीनाथ सामान लेकर घर पहुँचे। उमा ने उन्हें पानी लाकर दिया। बद्रीनाथ ने पानी पी लिया। उमा ने उनसे कहा,"विशाल को खाना खिला दिया है। वह अपने कमरे में आराम कर रहा है। आप भी खाना खा लीजिए। फिर हम कुछ देर के लिए रामायण में चले जाएं।""बाजार में शिवराज मिल गया था। उसके साथ समोसा खा लिया था। भूख नहीं है। तुम रसोई समेट कर चली ...और पढ़े

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वो माया है.... - 52

(52)अपनी बेटी कुसुम की शादी के बाद शंकरलाल ने अपना सारा व्यापार विशाल पर छोड़ दिया था। वह बस और अपनी पत्नी के खर्च के लायक रकम लेते थे। उसके बाद किसी तरह का हिसाब किताब नहीं मांगते थे। विशाल ने भी सबकुछ बहुत अच्छी तरह से संभाल‌ लिया था। ईंट के भट्टे और बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन मैटीरियल के बिज़नेस से अच्छी कमाई हो जाती थी। साथ में विशाल ठेकेदारी का काम भी करने लगा था। उस समय वह अपनी कमाई में से कुछ पैसे घर खर्च के लिए बद्रीनाथ को देता था। बाकी के पैसे भवानीगंज के सरकारी बैंक ...और पढ़े

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वो माया है.... - 53

(53) शाहखुर्द से पाँच किलोमीटर दूर एक गेस्टहाऊस था। इस गेस्टहाऊस में साइमन मरांडी के ठहरने की व्यवस्था थी। देखभाल के लिए उसका खास आदमी मनोज महतो उसके साथ आया था। मनोज कई सालों से साइमन के साथ था। जहाँ भी साइमन जाता था मनोज उसके साथ जाता था। अपनी आदत के अनुसार साइमन सुबह जल्दी उठ गया था। उसने कुछ देर गेस्ट हाउस के बागीचे में कसरत की। प्राणायाम किया उसके बाद अपने काम पर जाने के लिए तैयार हो गया। काम पर जाने से पहले उसने वह प्रार्थना की जो रोज़ दिन की शुरुआत करते हुए करता ...और पढ़े

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वो माया है.... - 54

(54)इंस्पेक्टर हरीश साइमन मरांडी के आदेश पर भवानीगंज पहुँचा।‌ उसने सुमेर सिंह को सारी बातें बताईं। सुमेर सिंह ने की तस्वीर के साथ कुछ पुलिस वालों को भवानीगंज और उसके आसपास के इलाकों में उसका पता लगाने के लिए भेजा। इसके अलावा कांस्टेबल अरुण वर्मा को विशाल पर नज़र रखने का काम सौंपा। विशाल की पत्नी कुसुम और बच्चे मोहित की अचानक हुई मौत के बारे में कुछ भी पता नहीं चल सका था। सुमेर सिंह का कहना था कि उन्होंने अपने एक आदमी को उस अस्पताल का पता लगाने के लिए भेजा था जहाँ विशाल के अनुसार उसकी ...और पढ़े

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वो माया है.... - 55

(55) अदीबा अखलाक के केबिन में बैठी थी। अखलाक कुछ चिंता में था। पाँच मिनट हो गए थे पर अभी तक कुछ बोला नहीं था। अदीबा इंतज़ार कर रही थी कि वह कुछ कहे। कुछ देर बाद उसने अदीबा से कहा,"अखबार के सर्कुलेशन में कमी आई है। हमने जो साइमन मरांडी के बारे में छापा है वह सभी अखबारों में छपा है। इस बार लोगों को हमसे कुछ नया नहीं मिला।"यह कहकर वह अदीबा की तरफ देखने लगा। अदीबा ने कहा,"सर अब केस में जो नया मोड़ आएगा हम उसकी जानकारी ही तो लोगों तक पहुँचाएंगे।"अखलाक यह सुनकर हंस ...और पढ़े

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वो माया है.... - 56

(56)इंस्पेक्टर हरीश ने कल रात ही केशव द्विवेदी से बात करके पता कर लिया था कि उससे पहले उस का मालिक कौन था। केशव द्विवेदी ने उसका नाम बता दिया था लेकिन बाकी डीटेल देने के लिए कुछ समय मांगा था। इंस्पेक्टर हरीश अभी कुछ समय पहले ही भवानीगंज पुलिस स्टेशन पहुँचा था। वह और सुमेर सिंह केस के बारे में बात कर रहे थे। इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,"सुमेर अभी तक उस आदमी के बारे में कोई सुराग नहीं मिला।""मिल जाएगा हरीश.....आज‌ तुम्हें आए तीसरा दिन ही हुआ है। भवानीगंज कस्बा है पर इतना छोटा नहीं है। मुझे उम्मीद ...और पढ़े

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वो माया है.... - 57

(57) विशाल बद्रीनाथ से लिपट कर बच्चे की तरह रो रहा था। वह पहले ही विशाल का बड़बड़ाना सुनकर थे। अब उसके इस तरह रोने से उन्हें घबराहट हो रही थी। वह विशाल के सर पर हाथ फेर रहे थे। उसे चुप हो जाने के लिए कह रहे थे। बहुत मुश्किल से विशाल कुछ शांत हुआ। बद्रीनाथ ने कमरे में रखे जग से उसे पानी पिलाया। जब वह पूरी तरह शांत हो गया तो उन्होंने पूछा, "इस तरह क्यों रो रहे थे ?" उनके इस सवाल पर विशाल ने परेशान होकर उनकी तरफ देखा।‌ बद्रीनाथ ने कहा, "तुम पुष्कर ...और पढ़े

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वो माया है.... - 58

(58) जगदीश नारायण के साथ बद्रीनाथ भवानीगंज पुलिस स्टेशन पहुँचे थे। जगदीश नारायण ने इंस्पेक्टर हरीश से बात की। कहा कि वह विशाल के वकील हैं। वह उस बयान की कॉपी चाहते हैं जो पूछताछ के दौरान विशाल ने दिया है। इंस्पेक्टर हरीश ने बताया कि पुष्कर केस के लिए क्राइम ब्रांच द्वारा विशेष जांच अधिकारी साइमन मरांडी नियुक्त किए गए हैं। वह कुछ समय में पहुँचने वाले हैं। उसके बाद ही पूछताछ होगी।जगदीश नारायण ने कहा कि वह और बद्रीनाथ विशाल से मिलना चाहते हैं। इंस्पेक्टर हरीश ने उन्हें मिलने की इजाज़त दे दी। बद्रीनाथ को देखकर विशाल ...और पढ़े

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वो माया है.... - 59

(59) मनीषा कुछ समय पहले ही ऑफिस से लौटकर आई थीं। चेंज करके वह अपने लिए चाय बना रही उनके फोन की घंटी बजी। उन्होंने देखा तो स्क्रीन पर रिपोर्टर लिखकर आ रहा था। अदीबा का नंबर उन्होंने इसी नाम से सेव किया था। उन्होंने फोन को साइलेंट कर दिया। दो दिनों में उसकी तीसरी कॉल थी जो उन्होंने नहीं उठाई थी। वह चाय बनाने लगीं। अदीबा अपने ऑफिस में थी। अखलाक ने उससे कहा था कि किसी भी तरह से दिशा से संपर्क करे और कुछ नया अपने पाठकों के सामने लाए। उसने भी कह दिया था कि ...और पढ़े

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वो माया है.... - 60

(60) साइमन मरांडी ने कौशल और उसके दोस्त पवन को एक कमरे में रखा था। विशाल को पूछताछ के अलग कमरे में बैठाया गया था। उसके पास कांस्टेबल अरुण और सुमेर सिंह थे। विशाल नज़रें झुकाए बैठा था। उसने बद्रीनाथ के सामने सब सच बताया था। उसके सच को जानकर उनके चेहरे पर छलक आई पीड़ा उसे परेशान कर रही थी। उसने अपना सर अपने हाथों में लेकर कहा,"पापा हमें माफ कर दीजिएगा। हमने आपको बहुत तकलीफ दी है।"सुमेर सिंह ने कहा,"करते समय नहीं पता था कि एकदिन बात सामने आएगी। तब नहीं सोचा था। अब रो रहे हो।"विशाल ...और पढ़े

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वो माया है.... - 61

(61) साइमन पर नज़र पड़ते ही दोनों दोस्त चुप हो गए। एक दूसरे की तरफ देखने लगे। साइमन और हरीश उनके सामने जाकर बैठ गए। साइमन ने कहा,"दोनों दोस्तों के बीच कोई बहस चल रही थी।"पवन ने कहा,"सर हमको जबसे गिरफ्तार करके लाया गया है तबसे हम लोगों ने पानी भी नहीं पिया है। हमें भी थकावट महसूस हो रही है।""हमारे सवालों के जवाब दे दो। उसके बाद खाने पीने को मिल जाएगा।"कौशल ने कहा,"सर अब हम दोनों के अंदर इतनी ताकत नहीं रह गई है कि और बातें कर सकें।"साइमन ने उसे घूरकर देखा। उसके बाद बोला,"इस जगह ...और पढ़े

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वो माया है.... - 62

(62) साइमन और इंस्पेक्टर हरीश कमरे से बाहर आए तो सुमेर सिंह ने सूचना दी कि विशाल के घर उसके पापा और चाचा आए हैं। वह उसके लिए खाना लाए हैं जो उसे खिलाना चाहते हैं। साइमन सुमेर सिंह के साथ वहाँ गया जहाँ बद्रीनाथ अपने भाई के साथ खड़े थे। इंस्पेक्टर हरीश भी उनके साथ था। बद्रीनाथ के हाथ में खाने का डब्बा था। इंस्पेक्टर हरीश को देखकर बद्रीनाथ ने कहा,"इंस्पेक्टर साहब हम अपने बेटे विशाल से मिलकर उसे खाना खिलाना चाहते हैं।"इंस्पेक्टर हरीश ने साइमन की तरफ इशारा करके कहा,"आप साइमन मरांडी हैं। आपके बेटे पुष्कर की ...और पढ़े

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वो माया है.... - 63

(63) बद्रीनाथ विशाल को लेकर परेशान थे। घर आए तो उमा के बारे में यह खबर मिली। वह उमा पास गए। उनके सर पर हाथ रखकर बोले,"उमा....हम विशाल से मिलकर आए हैं। वह ठीक है। तुम्हारा भेजा हुआ खाना भी खाया। तुम परेशान मत हो सब ठीक हो जाएगा।"उमा ने आँखें खोलीं। बद्रीनाथ को देखकर बोलीं,"माया आई थी। ज़ोर ज़ोर से हंस रही थी। उसे बहुत अच्छा लग रहा है यह सब करके। वह हमें कभी माफ नहीं करेगी।""उमा.... तुम परेशान मत हो। ऐसा कुछ नहीं है।""हमारी बात पर विश्वास कीजिए। वह मेरे सामने खड़ी थी। ज़ोर ज़ोर से ...और पढ़े

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वो माया है.... - 64

(64) पुष्कर‌ की बरीक्षा हो गई। विशाल भी अपने परिवार के साथ उसमें शामिल हुआ था।‌ सबको दिखाने के खुश भी हो रहा था। लेकिन अंदर ही अंदर गुस्से में था। हर पल बस उसे एक बात का खयाल आ रहा था। क्या उसकी खुशियों का कोई मोल नहीं था ‌? उसके परिवार वालों ने उसकी खुशियों को कितनी आसानी से आग लगा दी थी। आज‌ सबकुछ भूलकर जश्न मना रहे हैं।बरीक्षा के तीन दिन बाद परिवार की गाय मंगला की अचानक मौत हो गई। परिवार में डर पैदा हो गया। एकबार फिर सबको माया का श्राप याद आ ...और पढ़े

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वो माया है.... - 65

(65) कौशल नर्वस था। साइमन उसके चेहरे को देखकर समझने की कोशिश कर रहा था कि उसके नर्वस होने कारण क्या है ? ऐसा कुछ है जो बताने में उसे घबराहट हो रही है। उसके मन में फिर वही सवाल उठ रहा था कि उस ढाबे पर टैक्सी रुकेगी क्या यह बात पहले से प्लान में थी ? उसने कौशल से कहा,"तो तुम उस काम को करने के लिए अकेले गए थे। तुम्हारा प्लान क्या था ? कैसे मारने वाले थे तुम पुष्कर को ?"कौशल ने कहा,"मैंने तो सोचा था कि रास्ते में किसी जगह मौका देखकर अपनी गन ...और पढ़े

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वो माया है.... - 66

(66) कौशल दूर खड़ा हुआ टैक्सी को देख रहा था। उसने देखा कि दिशा और पुष्कर टैक्सी में कुछ कर रहे हैं। दोनों कुछ परेशान लग रहें थे। वह सोच रहा था कि दोनों ढाबे में जाएं तो वह इस्माइल से मिले। कुछ देर बाद पुष्कर और दिशा ढाबे में चले गए। तब उसने इस्माइल को फोन किया। उसे बताया कि वह कहाँ खड़ा है। इस्माइल उसके पास गया। कौशल ने उससे पूछा कि पुष्कर और दिशा इतनी देर से कर क्या रहे थे ? इस्माइल ने उसे ताबीज़ वाली बात बताई। उसने कहा कि पुष्कर का ताबीज़ नहीं ...और पढ़े

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वो माया है.... - 67

(67) कौशल शिकायत भरी नज़रों से पवन को देख रहा था। उसके इस तरह से देखने से ऐसा लग था कि जैसे जो हुआ उसके लिए वह पवन को दोष दे रहा था। उसका इस तरह देखना पवन को अच्छा नहीं लग रहा था। उसने कहा,"मुझे इस तरह देखने का क्या मतलब है ? जो हुआ उसके लिए क्या मैं ज़िम्मेदार हूँ ?"साइमन ने पवन को डांटते हुए कहा,"यह मत भूलो कि तुम दोनों पुलिस स्टेशन में हो। तुम लोगों से पूछताछ हो रही है।"उसके बाद कौशल की तरफ देखकर बोला,"वैसे इससे पहले भी जब हम लोग चाय पीने ...और पढ़े

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वो माया है.... - 68

(68)बद्रीनाथ आज जो कुछ उमा ने महसूस किया उस पर विचार कर रहे थे। मनोहर ने बताया था कि छत पर खड़ी चिल्ला रही थीं। कह रही थीं कि माया उनके सामने खड़ी हंस रही है। उसके बाद वह बेहोश हो गईं। इससे पहले भी उन्हें दो बार माया के आसपास होने का एहसास हुआ था। सोनम और मीनू को भी माया के होने का अनुभव हुआ था। बद्रीनाथ ने कभी उन लोगों के अनुभव पर संदेह नहीं किया था। उन्हें विश्वास था कि माया का बदला पूरा नहीं हुआ है। इसलिए वह उनके घर के आसपास मंडराती रहती ...और पढ़े

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वो माया है.... - 69

(69)साइमन पूरे समय विशाल की फितरत को समझने की कोशिश करता रहा था। इसलिए उसने खुद विशाल से अधिक नहीं की थी। उसने इंस्पेक्टर हरीश को यह काम सौंप दिया था। जब कभी साइमन को कुछ पूछने की ज़रूरत‌ महसूस होती थी तब बोलता था। अब तक विशाल के बारे में उसने जो समझा था वह बहुत उलझा हुआ था। एक नज़र से देखा जाए तो ऐसा लग रहा था कि उससे जो कुछ पूछा जा रहा है वह उसका सही और सीधा जवाब दे रहा है। विशाल ने जो किया है उसका उसे अफसोस भी है। पर उसे ...और पढ़े

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वो माया है.... - 70

(70) इंस्पेक्टर हरीश खबर रोज़ाना में छपी रिपोर्ट पढ़ रहा था। उसके कहने पर सब इंस्पेक्टर कमाल ने रिपोर्ट स्कैन करके ईमेल पर भेजा था। रिपोर्ट में लिखा था कि विश्वसत्र सूत्र से पता चला है कि पुलिस को लकी ढाबे के सीसीटीवी कैमरे से एक शख्स की तस्वीर मिली थी। मरहूम पुष्कर की पत्नी दिशा ने बताया था कि उसने कत्ल वाले दिन ढाबे पर उस शख्स को देखा था जो उसे और पुष्कर को घूर रहा था। उस शख्स का नाम कौशल है और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है। कौशल का संबंध मृतक पुष्कर के ...और पढ़े

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वो माया है.... - 71

(71) केदारनाथ अपने भाई के चेहरे को देख रहे थे। उन्हें लग रहा था कि इतने कम समय में जैसे उनके भाई की उम्र कई साल बढ़ गई है। कुछ देर पहले उन्होंने कहा भी था कि वह टूट गए हैं। अखबार में जो छपा था वह किसी बहुत ही गंभीर बात की तरफ इशारा कर रहा था। वह जानना चाहते थे पर बद्रीनाथ की हालत देखकर पूछ नहीं पा रहे थे। उन्हें लगा कि सही बात जाने बिना वह कोई मदद भी नहीं कर पाएंगे। उन्होंने हिम्मत करके कहा,"भइया इसमें लिखा है कि विशाल का कौशल से संबंध ...और पढ़े

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वो माया है.... - 72

(72) मनीषा और दिशा दोनों किचन में थीं। दोनों मिलकर खाना बना रही थीं। मनीषा आज शांतनु की मनपसंद बना रही थीं। डोरबेल बजी तो दिशा ने कहा,"लगता है काकू आ गए....."यह कहकर वह दरवाज़ा खोलने चली गई। शांतनु ने अंदर आते हुए कहा,"लो भाई डिम्पी....तुम्हारी फेवरेट आइसक्रीम ले आया।"आइसक्रीम का टब पकड़ते हुए दिशा ने कहा,"थैंक्यू काकू....."उसने आइसक्रीम ले जाकर फ्रिज में रख दी। शांतनु भी किचन में आ गए थे। उन्होंने मनीषा से कहा,"वाह मनीषा तुम बिल्कुल किसी बंगालन की तरह माछ पकाती हो।"मनीषा ने हंसकर कहा,"मेरा एक बंगाली दोस्त था। उसने ही माछ बनाना सिखाया था।"यह ...और पढ़े

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वो माया है.... - 73

(73) अदीबा कुछ समय पहले ही दिल्ली से लौटकर आई थी। अपना सामान रखकर वह सोफे पर लेट गई उसकी देखभाल के लिए उसके साथ रहने वाली अमीरन चाची ने उसे पानी लाकर दिया। उसने लेटे लेटे ही पी लिया। अमीरन ने कहा,"कितना थक गई हो कि बैठकर पानी भी नहीं पी सकती। ट्रेन में बैठकर आई हो या पीछे पीछे भागकर।"अमीरन की बात सुनकर अदीबा हंसकर बोली,"बैठकर ही आई हूँ चाची। पर बैठे बैठे थक गई।""बैठी क्यों रही ? रिजरवेसन नहीं कराया था।"अदीबा ने मुस्कुरा कर कहा,"चाची अब यह सब छोड़ो। अच्छी सी चाय बना दो। तुम्हारे हाथ ...और पढ़े

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वो माया है.... - 74

(74) बिस्तर पर लेटी उमा छत को ताक रही थीं। उनकी दोनों आँखों के पोर पर आंसू टिके हुए उनके मुंह से एक आह निकली। दोनों आंसू लुढ़क गए। इसबार दोनों तरफ से आंसुओं की धारा बहने लगी। ऊपर से शांत उमा के अंदर एक तूफान मचा था। यह तूफान एक पल के लिए भी उन्हें चैन नहीं लेने दे रहा था। हर समय उन्हें ऐसा लगता था जैसे कि कोई उनके दिल को मुठ्ठी में भींचकर निचोड़े दे रहा है।वह जबरन अपना मन काम में लगाती थीं। पूरी कोशिश करती थीं कि कुछ पलों के लिए ही सही ...और पढ़े

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वो माया है.... - 75

(75) कांस्टेबल अरुण सादे कपड़ों में युसुफ ट्रैवेल्स के दफ्तर पर नज़र रखे हुए था। सुमेर सिंह ने उससे था कि हो सकता है कि इस्माइल अपने चाचा से मिलने आए। अगर ऐसा होता है तो वह फौरन थाने में खबर दे। कांस्टेबल अरुण अपनी पैनी नज़र बनाए हुए था चार दिन हो गए थे लेकिन अभी तक इस्माइल अपने चाचा से मिलने नहीं आया था। उसने पुलिस स्टेशन सुमेर सिंह को फोन किया। उनसे कहा कि वह नज़र रखे है पर ना तो इस्माइल आया और ना ही कोई ऐसी गतिविधि हुई है जिससे कोई शक पैदा हो। ...और पढ़े

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वो माया है.... - 76

(76) साइमन और इंस्पेक्टर हरीश इस्माइल के सामने बैठे थे। दोनों उसे घूर रहे थे। वह समझ गया था दोनों उससे पुष्कर के कत्ल के संबंध में पूछताछ करेंगे। उसने कहा,"आप लोगों को जो भी पूछना है पूछ लीजिएगा। पर मुझे प्यास लगी है। पानी पिला दीजिए।"इंस्पेक्टर हरीश उठकर बाहर चला गया। कुछ देर बाद पानी की बोतल लेकर लौटा। उसके सामने रखते हुए बोला,"पानी पी लो। उसके बाद जो हम पूछें उसका सही सही जवाब देना।"इस्माइल ने पानी की बोतल उठाई।‌ ढक्कन खोलकर आधी बोतल खाली कर दी। बोतल का ढक्कन वापस लगाकर बोला,"मैं जो जानता हूँ सब ...और पढ़े

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(77) आज विशाल का साइकोलॉजिकल टेस्ट था। उसके साइकोलॉजिकल टेस्ट के लिए एक अलग कमरे की व्यवस्था की गई टेस्ट की प्रक्रिया की वीडियोग्राफी के इंतज़ाम थे। कमरे में विशाल एक कुर्सी पर बैठा था। बीच में एक मेज़ थी। उसके दूसरी तरफ डॉ. हिना सैयद बैठी थीं। उन्होंने प्रक्रिया शुरू करने का इशारा किया। उसके बाद विशाल से बोलीं,"मेरा नाम हिना सैयद है। मैं एक साइकोलॉजिस्ट हूँ। मैं तुमसे कुछ सवाल करूँगी। तुम्हें उसके जवाब देने होंगे। तुम तैयार हो।"विशाल ने कहा,"जी हम तैयार हैं.......""गुड....."डॉ. हिना ने उसे आश्वासन दिया कि उसे परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। ...और पढ़े

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(78) विशाल इस समय बिल्कुल सामान्य था। ठीक उसी तरह जैसे इस टेस्ट की शुरुआत में था। वह बता था कि उसे माया के आत्महत्या कर लेने का दुख था। पर वह कुसुम को वह प्यार देना चाहता था जिस पर पत्नी होने के नाते उसका हक था। डॉ. हिना उससे कुसुम और मोहित की अचानक हुई मौत के बारे में जानना चाहती थीं। उन्होंने कहा,"तुम अपनी पत्नी कुसुम और बेटे मोहित के साथ बहुत खुश थे। सबकुछ अच्छा चल रहा था। फिर तुम्हारी पत्नी और बच्चे की मौत हो जाती है। उनकी मौत पर क्या बीती थी तुम ...और पढ़े

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वो माया है.... - 79

(79) विशाल की आँखों में एक नफरत दिखाई पड़ रही थी। यह नफरत उसके लिए उसके ही दूसरे हिस्से थी। डॉ. हिना के सामने एक पैड रखा था। जिस पर वह कुछ प्वाइंट्स लिख रही थीं। उन्होंने पैड पर लिखा। डिसोसिएटिव पर्सनालिटी डिसऑर्डर उसके आगे उन्होंने लिखा।‌ विशाल के व्यक्तित्व का एक और हिस्सा है। जिसके बारे में विशाल को पता नहीं है। जो कुछ खास स्थितियों में सक्रिय होता है। प्वाइंट्स नोट करने के बाद अब उनके लिए यह जानना ज़रूरी था कि वास्तव में मोहित के जन्मदिन वाले दिन हुआ क्या था ? कुसुम और मोहित के ...और पढ़े

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वो माया है.... - 80

(80) डॉ. हिना ने अपने सामने रखा पानी पिया। उन्हें कुछ देर के ब्रेक की आवश्यक्ता महसूस हो रही उन्होंने विशाल से कहा,"कुछ देर का ब्रेक लेते हैं। उसके बाद बातचीत आगे बढ़ाएंगे। तुमको कुछ चाहिए ?"विशाल भी थकावट महसूस कर रहा था। उसने कहा,"डॉक्टर मैडम अगर चाय मिल जाती तो अच्छा होता।"डॉ. हिना ने अपने लिए कॉफी और कुकीज़ मंगाईं। विशाल के लिए एक कप चाय लाने को कहा। उसके बाद वह वॉशरूम इस्तेमाल करने चली गईं। कुछ देर बाद उनकी कॉफी और विशाल की चाय आ गई। उन्होंने कुकीज़ की प्लेट विशाल की तरफ बढ़ाई। उसने एक ...और पढ़े

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वो माया है.... - 81

(81) अदीबा ने अपनी रिपोर्ट्स की सीरीज़ से अब तक पाठकों को बांध कर रखा था। उसने अपनी सीरीज़ पुष्कर और दिशा की प्रेम कहानी, उनकी शादी में आई दिक्कतों, माया के श्राप के कारण पुष्कर के घर के माहौल के बारे में बताया था। उसने लिखा था कि इस सबके बीच पुष्कर ने किस तरह दिशा का साथ दिया था। उसके बाद पुष्कर की दुखद हत्या और उसके कारण दिशा के जीवन के खालीपन के बारे में लिखा था। बहुत से लोग इन रिपोर्ट्स को पढ़ने के बाद दिशा के लिए हमदर्दी महसूस कर रहे थे। दिशा और ...और पढ़े

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वो माया है.... - 82

(82) बद्रीनाथ ने घर से निकलना लगभग बंद ही कर दिया था। बाहर निकलते थे तो लोग बेवजह की दिखाते थे। जिसमें उनके दुख को लेकर अफसोस तो प्रकट करते थे पर साथ ही ऐसा कुछ बोल देते थे जो उनकी परवरिश पर सवाल खड़े कर देता था। वह बहुत दुखी रहते थे। उन्होंने अब सबकुछ किस्मत पर छोड़ दिया था। किशोरी ने एक दो बार उनसे बाबा कालूराम के पास जाने के लिए कहा भी तो उन्होंने टाल दिया।आज जगदीश नारायण से उनकी बात हुई थी। उन्होंने कहा था कि विशाल का केस अब आसान नहीं रह गया ...और पढ़े

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वो माया है.... - 83

(83)सुनंदा ने चाय बनाई थी। केदारनाथ चाहते थे कि सब एकसाथ बैठकर पिएं। इसलिए किशोरी और उमा को भी में बुला लिया था। सब चाय पी रहे थे। लेकिन एकदम शांति थी। सबको यहाँ बुलाने का मकसद यह था कि केदारनाथ उन्हें समझाना चाहते थे कि इन हालातों में निराश होकर बैठने से काम नहीं चलेगा। उन लोगों को अपने दुख से बाहर आना पड़ेगा। उन्होंने बद्रीनाथ से कहा,"भइया हम आप लोगों का दुख समझते हैं। जो कुछ हुआ उससे हम खुद बहुत दुखी हैं। पर अब जो है उसे स्वीकार करना पड़ेगा।‌ इसलिए हम चाहते हैं कि आप ...और पढ़े

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वो माया है.... - 84

(84) दिशा दिल्ली वापस आ गई थी। शांतनु की कोशिश से उसके और मनीषा के बीच जो मतभेद था खत्म हो गया था। मनीषा को दिशा का नज़रिया समझ आ गया था। दिशा भी समझ गई थी कि उसकी मम्मी ने जो कुछ किया था वह उसके बारे में सोचकर किया था। गाज़ियाबाद से चलते समय दिशा ने अपनी मम्मी को समझाया था कि वह उसे लेकर परेशान ना हों। उसे बस कुछ समय चाहिए। उसके बाद वह वही करेगी जो वह चाहती हैं। मनीषा ने भी उससे कहा था कि अपनी ज़िंदगी का फैसला वह अच्छी तरह से ...और पढ़े

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वो माया है.... - 85

(85) खोपड़ी वाला स्टिकर लगी बाइक की जानकारी इस्माइल, कौशल और दिशा तीनों को दी गई थी। दिशा ने कि टैक्सी से उतर कर वह सीधे ढाबे में चली गई थी। तब उसने आसपास के माहौल पर ध्यान ही नहीं दिया था। जब वह ढाबे से बाहर आई तो पुष्कर को लेकर परेशान थी। उसके बाद पुष्कर की लाश मिलने से वह इस हालत में ही नहीं रह गई थी कि कुछ देख समझ सके। इस्माइल और कौशल ने भी यही कहा कि उन्होंने ऐसी कोई बाइक नहीं देखी। पुलिस को अपने खबरियों से इस संबंध में कोई पुख्ता ...और पढ़े

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वो माया है.... - 86

(86) साइमन ने उन चारों हत्याओं के बारे में कुछ और बातें पता की थीं। उन चारों हत्याओं में वाले गरीब तबके के लोग थे। ऐसे लोग जो छोटे छोटे काम करके अपना जीवन चला रहे थे। यदि हत्या के पैटर्न को छोड़ दिया जाए तो उनका आपस में कोई संबंध नहीं था। प्राप्त जानकारी को जोड़ने पर साइमन को एक बात समझ आई थी कि कातिल ऐसे लोगों को मार रहा था जो गरीब थे और उनके घरवाले उनके केस को लेकर अधिक दबाव नहीं बना सकते थे। पुष्कर को छोड़ दिया जाए तो छह में से बाकी ...और पढ़े

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वो माया है.... - 87

(87) मीडिया में पुष्कर और चेतन की हत्या इस समय चर्चा में थी। लोग जानना चाहते थे कि उन की हत्या किसने और क्यों की ? हर तरफ अलग अलग बातें हो रही थीं। सबको उम्मीद थी कि पुलिस जल्दी ही कुछ करेगी। लेकिन पुलिस को अभी तक कोई सफलता नहीं मिली थी‌। साइमन पर अब उसके सीनियर्स का दबाव था। उसने इंस्पेक्टर हरीश और सब इंस्पेक्टर कमाल के साथ मिलकर कुछ खबरियों की एक टीम बनाई थी। उन सभी को सारी बातें बताकर काम पर लग जाने को कहा था। उसने कहा था कि कोई भी बात हो ...और पढ़े

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वो माया है.... - 88

(88) नैंसी ने केक कटिंग के समय वीडियो कॉल करने को कहा था। साइमन ने केक काटने से पहले वीडियो कॉल किया। मनोज फोन पकड़ कर उसे केक कटिंग दिखा रहा था। साइमन ने केक काटा। नैंसी और मनोज ने हैप्पी बर्थडे गाना गाया। केक काटने के बाद साइमन ने एक टुकड़ा फोन की तरफ करके कहा,"यह तुम्हारे लिए है। मैं खा लेता हूँ।"यह कहकर उसने वह टुकड़ा अपने मुंह में डाल लिया। नैंसी ने कहा,"डैडी अब एक पीस मेरी तरफ से खाइए।"साइमन ने उसकी बात मानते हुए एक और टुकड़ा अपने मुंह में डाला। नैंसी ने कहा,"डैडी मैंने ...और पढ़े

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वो माया है.... - 89

(89) साइमन बेसब्री से कुलभूषण के मैसेज का इंतज़ार कर रहा था। पैंतालीस मिनट हो गए थे। पर मैसेज आया था। उसने सोचा कि पाँच मिनट और देख लेता है। पाँच मिनट पूरे होने के बाद भी मैसेज नहीं आया तो उसने कुलभूषण के फोन पर कॉल की। फोन उठा नहीं। वह समझ गया कि कुलभूषण मुश्किल में है। उसने फौरन कंट्रोल रूम को आदेश दिया कि हुसैनपुर के थाने को उस लोकेशन पर टीम भेजने को कहे। उसने यह भी कहा कि टीम का लीडर उससे संपर्क करे। उसके बाद उसने अपने ड्राइवर को फोन किया। उससे कहा ...और पढ़े

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वो माया है.... - 90

(90) साइमन और उसके साथियों को देखकर ललित और पुनीत फिर चुप हो गए। साइमन, इंस्पेक्टर हरीश और सब कमाल उन दोनों के सामने पड़ी कुर्सियों पर बैठ गए। तीनों कुछ पल खामोश रहे। साइमन की नज़र उन दोनों के चेहरों पर टिकी थी। उसने पूछा,"तुम दोनों उस मकान में क्या कर रहे थे ?"ललित ने पुनीत की तरफ देखा। उसने इशारा किया कि जवाब वह देगा। उसने साइमन की तरफ देखकर कहा,"हम दोनों वहाँ रहते थे। पुलिस ने अचानक धावा बोल दिया। हमें गिरफ्तार कर लिया। आप लोग हमें यहाँ ले आए। पूछना तो हम चाहते हैं कि ...और पढ़े

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वो माया है.... - 91

(91) कांस्टेबल ललित और पुनीत को उनकी सेल में छोड़ गया था। दोनों अपनी सेल में बैठे थे। कल उन्हें गिरफ्तार किया गया था आराम नहीं कर पाए थे। दोनों ही थके हुए थे। पर इस समय पुलिस की पूछताछ का डर उनके दिमाग में था। पुनीत ने इधर उधर देखा। उसके बाद धीरे से ललित से बोला,"यार मैं तो बुरी तरह डर गया था। तुम ना होते तो मैं डरकर सब कुबूल कर लेता।"ललित ने उसकी तरफ देखा। गंभीर आवाज़ में उससे कहा,"जब तक कुछ ठोस सबूत सामने नहीं रखा जाता है तब तक पुलिस कितना भी दबाव ...और पढ़े

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वो माया है.... - 92

(92) बद्रीनाथ बाहर से लौटकर आए थे। थके हुए थे। आजकल वह बिना कुछ किए भी थके हुए लगते इस समय तो बाहर से आए थे इसलिए सचमुच थक गए थे। वह आंगन में पड़ी चारपाई पर बैठ गए। उमा ने उन्हें पानी लाकर दिया। उन्होंने पानी पीकर गिलास वापस कर दिया। उनके आने की आहट पाकर किशोरी भी आंगन में आ गई थीं। वह उनके पास ही चारपाई पर बैठ गईं। उन्होंने कहा,"बद्री.....विशाल से मुलाकात हुई। क्या कहा उसने ?"उमा भी जानने को उत्सुक थीं कि विशाल ने क्या कहा। बद्रीनाथ कुछ देर चुप रहने के बाद बोले,"उसने ...और पढ़े

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वो माया है.... - 93

(93) अदीबा को पता चला था कि पुलिस ने हुसैनपुर से दो आदमियों को गिरफ्तार किया है जो पुष्कर चेतन की हत्या के केस में संदिग्ध हैं। पुलिस ने अभी तक इस विषय में कोई सूचना नहीं दी थी। अदीबा मिली हुई सूचना के साथ अखलाक के केबिन में गई। उसे सारी बात बताई। अखलाक ने उस पर विचार करने के बाद कहा,"अदीबा इधर पुष्कर और चेतन की हत्या को लेकर हमारे पास बताने लायक कुछ नहीं बचा था। हमने दूसरे केस पर ध्यान देना शुरू कर दिया था। लेकिन दिशा और पुष्कर पर लिखी तुम्हारी सीरीज़ ने लोगों ...और पढ़े

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वो माया है.... - 94

(94) पिछली चार हत्याओं की जांच कर रहे अधिकारियों के साथ साइमन की मीटिंग हुई थी। शाहखुर्द की तरह हत्याएं एक ही पुलिस स्टेशन के दायरे में हुई थीं। बाकी दो हत्याएं अलग अलग पुलिस स्टेशन के क्षेत्र में हुई थीं। साइमन ने तीनों जांच अधिकारियों से बात की थी। मीटिंग में वही बातें सामने आईं जो फाइल में लिखी थीं। साइमन ने उन लोगों को इन हत्याओं के पीछे तंत्र मंत्र का कोण रखकर सोचने के लिए कहा। उसने कहा कि जांच के दौरान क्या उन लोगों को कुछ ऐसा समझ आया जिसे उसके दृष्टिकोण से जोड़ा जा ...और पढ़े

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वो माया है.... - 95

(95) खबर रोज़ाना में छपी गिरफ्तारी की रिपोर्ट के बाद लोगों की उत्सुकता यह जानने में थी कि क्या पुष्कर और चेतन की हत्या का केस सुलझाने के करीब है। शाहखुर्द पुलिस स्टेशन के बाहर कुछ स्थानीय अखबारों के रिपोर्टर जमा हुए थे। वह चाहते थे कि पुलिस इस विषय में उनके सवालों के जवाब दे। साइमन ने तय किया था कि वह खुद उन पत्रकारों से बात करेगा। उनके मन में उठ रहे सवालों को शांत करेगा। क्या कहना है इसकी रूपरेखा तैयार करने के बाद वह पत्रकारों से बातचीत करने पुलिस स्टेशन के बाहर आया। उसने कहा,"आप ...और पढ़े

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वो माया है.... - 96

(96)सेल में अकेले बैठे हुए ललित बीते हुए दिनों को याद कर रहा था। अपने पिता की मौत होने बाद उसने उनकी जमा पूंजी भी लुटा दी थी। पर अपनी किस्मत में लिखे राजयोग की राह अभी तक उसे नहीं मिली थी। अब वह बहुत हताश था। जो वह चाहता था हो नहीं पाया था। पर वह अभी भी अपनी किस्मत में लिखे राजयोग को सच मानता था। उसका सोचना था कि कोई ना कोई ऐसा रास्ता ज़रूर होगा जो उसे वह सब दिला देगा जिसकी उसे चाह है। लेकिन वह रास्ता उसे मिल नहीं रहा था। वह इस ...और पढ़े

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वो माया है.... - 97

(97) ललित के पहुँचने पर पुनीत ने उसकी तरफ देखा। ललित ने शिकायत भरी नज़रें उस पर डालीं। उसकी को समझ कर पुनीत ने अपनी आँखें फिर से झुका लीं। कांस्टेबल ललित को पुनीत के बगल में बैठाकर चला गया। ललित ने देखा कि साइमन और उसके दोनों साथियों की निगाहें उसके ऊपर ही जमी हुई हैं। उसे डर लगा पर उसने अपनी हिम्मत को बचाए रखने की कोशिश की। साइमन ने कहा,"जो मूर्ति तुम लोगों के पास मिली थी वह तुम्हारे समाज के देवता मुराबंध की है।"ललित ने पुनीत की तरफ देखा। वह उसी तरह नज़रें झुकाए बैठा ...और पढ़े

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वो माया है.... - 98

(98) इंस्पेक्टर हरीश ने सब इंस्पेक्टर कमाल को समझाया कि वह पुलिस में है। अभी उसने शुरूआत‌ की है। ऐसे ना जाने कितने केस उसके सामने आएंगे। उसके लिए आवश्यक है कि अपनी भावनाओं पर काबू रखे। तभी वह सही तरीके से काम कर पाएगा। वह समझाकर उसे कमरे में ले गया। जब दोनों कमरे में आए तो सब शांत थे। ललित अपने सामने रखी बोतल से पानी पी रहा था।जब इंस्पेक्टर हरीश और सब इंस्पेक्टर कमाल कमरे में आए तो साइमन ने उन दोनों की तरफ देखा पर कुछ कहा नहीं। दोनों वापस अपनी जगह पर बैठ गए। ...और पढ़े

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वो माया है.... - 99

(99) ललित खबर रोज़ाना में छप रही पुष्कर की हत्या से संबंधित सारी रिपोर्ट्स पढ़ता था। खबर रोज़ाना में रिपोर्ट में लकी ढाबे के मालिक और वहाँ काम करने वाले लड़के चेतन के बारे में छपा था। रिपोर्ट में लिखा था कि चेतन ने ही दिशा और पुष्कर की टेबल पर जाकर ऑर्डर लिया था। ललित को याद आया कि उसी लड़के ने उसका ऑर्डर भी लिया था। वह वहीं आसपास ही घूम रहा था। पुष्कर के निकलने के समय चेतना ने उसका बिल लिया था और उसे बाहर जाते देखा था। ललित के मन में डर आ गया ...और पढ़े

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वो माया है.... - 100 (अंतिम भाग)

(100) केस सॉल्व हो जाने पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई गई थी। अदीबा खबर रोज़ाना की तरफ से उस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुई थी। मीडिया के सभी लोग एक बड़े से कमरे में उपस्थित थे। सबके मन में यह जानने की जिज्ञासा थी कि आखिर पुष्कर और चेतन की हत्या किसने की थी ? हत्या करने के पीछे उसका मकसद क्या था ? अदीबा भी इन सवालों का जवाब जानने को उत्सुक थी। इस केस से वह सिर्फ प्रोफेशनल रूप से ही नहीं बल्की व्यक्तिगत रूप से भी जुड़ी हुई थी। दिशा और उसके बीच एक दोस्ती का रिश्ता ...और पढ़े

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