वो माया है.... - 87 Ashish Kumar Trivedi द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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वो माया है.... - 87



(87)

मीडिया में पुष्कर और चेतन की हत्या इस समय चर्चा में थी। लोग जानना चाहते थे कि उन दोनों की हत्या किसने और क्यों की ? हर तरफ अलग अलग बातें हो रही थीं। सबको उम्मीद थी कि पुलिस जल्दी ही कुछ करेगी। लेकिन पुलिस को अभी तक कोई सफलता नहीं मिली थी‌। साइमन पर अब उसके सीनियर्स का दबाव था। उसने इंस्पेक्टर हरीश और सब इंस्पेक्टर कमाल के साथ मिलकर कुछ खबरियों की एक टीम बनाई थी। उन सभी को सारी बातें बताकर काम पर लग जाने को कहा था। उसने कहा था कि कोई भी बात हो तो सीधे उससे संपर्क करें। एक हफ्ता हो गया था पर अभी तक कोई अच्छी खबर नहीं मिली थी।

कुलभूषण खबरियों की टीम का एक हिस्सा था। कई सालों से वह पुलिस के खबरी के तौर पर काम कर रहा था। उसे अपने काम में महारत हासिल थी। उसके पिता चाहते थे कि वह पुलिस में भर्ती हो। लेकिन छोटी उम्र में ही पिता का साया उसके सर से उठ गया था। घर पर आर्थिक संकट आ गया। वह अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख सका। घर की ज़िम्मेदारी संभालने के लिए उसे काम करना पड़ा। पर पुलिस में भर्ती ना हो सकने का उसे बहुत अफसोस था।
अपनी अजीविका के लिए कुलभूषण टेंपो चलाने का काम करता था। वह दूर दूर तक सामान पहुँचाने जाता था। एकबार वह एक ढाबे में बैठा था। वहाँ उसकी निगाह एक आदमी पर पड़ी। उसके दिमाग में आया कि इसे कहीं देखा है। दिमाग पर ज़ोर डाला तो याद आया कि उसके टेंपो का छोटा सा एक्सीडेंट हो गया था। दूसरे वाहन के ड्राइवर से उसकी झड़प हो गई। उसे और दूसरे ड्राइवर को थाने जाना पड़ा था। पुलिस ने समझा कर मामला सुलझा दिया था। उसने उसी पुलिस स्टेशन में उस आदमी की तस्वीर देखी थी। वह किसी हत्या के अपराध में वांटेड था।
उस दिन ना जाने क्यों कुलभूषण को लगा कि यह मौका है कि वह पुलिस में ना रहते हुए भी पुलिस के काम आ सकता है। उसने सावधानी बरतते हुए उस आदमी का पीछा किया। वह आदमी ढाबे से कुछ दूर ही एक मकान में ठहरा था। उसके ठिकाने का अच्छी तरह पता करने के बाद कुलभूषण अपना टेंपो लेकर पच्चीस किलोमीटर दूर उस थाने पर गया जहाँ उसने उस अपराधी की तस्वीर देखी थी। उसने पुलिस को सारी बात बताई। उसकी सूचना पर पुलिस ने अपराधी को पकड़ लिया।
पुलिस ने कुलभूषण की तारीफ करने के साथ साथ उसे ईनाम भी दिया। उसके बाद कुलभूषण जब भी मौका मिलता पुलिस की मदद करता था। धीरे धीरे वह पुलिस का प्रमुख खबरी बन गया। हर बार जब वह कोई केस सॉल्व करने में पुलिस की मदद करता था तो उसे ऐसा लगता था कि उसके पिता की आत्मा इस बात से बहुत खुश हो रही होगी। कुलभूषण बहुत पढ़ा लिखा नहीं था। पर सोचने समझने और विश्लेषण करने की उसमें पूरी क्षमता थी। जब भी पुलिस की तरफ से उसे किसी केस की ज़िम्मेदारी दी जाती थी तब वह सिर्फ एक साधारण खबरी की तरह ही काम नहीं करता था। वह किसी पुलिस ऑफिसर की तरह सोचता था।
कुलभूषण की ख्याति पूरे पुलिस डिपार्टमेंट में थी। इंस्पेक्टर हरीश को भी उसके बारे में पता चला था। साइमन ने जब खबरियों की टीम बनाने की बात की तो इंस्पेक्टर हरीश ने सबसे पहला नाम उसी का सुझाया था। यह जानकर कि उसे एक महत्वपूर्ण केस के लिए क्राइम ब्रांच के माने हुए ऑफिसर साइमन मरांडी ने बुलाया है वह बहुत खुश हुआ था। उसने तय कर लिया था कि इस केस में वह अपनी पूरी क्षमता से काम करेगा। केस सॉल्व करने में पुलिस की पूरी मदद करेगा। अपना काम करते हुए उसका ध्यान पूरी तरह से इस केस पर लगा हुआ था।
साइमन से मिली जानकारी के आधार पर उसने भी अपने मन में इस केस की एक रूपरेखा तैयार की थी। उसके अनुसार यदि सारी हत्याएं किसी इच्छापूर्ति के लिए की गई थीं तो ज़रूर कातिल किसी ऐसे समूह से जुड़ा होगा जो नरबलि के द्वारा अपनी मनोकामनाएं पूरी करने में यकीन रखते हों। पर वह नरबलि के लिए कोई विशेष अनुष्ठान नहीं करते हैं। बस लोगों की हत्या करके ही अपनी इच्छा पूरी करना चाहते हैं। उसे खोपड़ी वाले स्टिकर की भी तलाश थी। उसकी निगाह वाहनों पर लगे स्टिकर्स पर रहती थी। खासकर बाइक पर लगे स्टिकर्स को वह ध्यान से देखता था।
पिछले एक हफ्ते से कुलभूषण को कोई भी सफलता नहीं मिली थी। लेकिन उसने अपना हौसला गिरने नहीं दिया था।‌ उसे पूरा यकीन था कि वह इस महत्वपूर्ण केस में पुलिस की मदद कर पाएगा। कुलभूषण अपना टेंपो लेकर अलग अलग इलाकों में जा रहा था। इस समय वह शाहखुर्द से कोई तीस किलोमीटर दूर हुसैनपुर नाम की जगह पर आया था‌‌। यह भवानीगंज की तरह ही एक कस्बा था। यहाँ वह किसी का सामान डिलीवर करने आया था। पर बहुत देर हो गई थी। उसने सोचा कि आज रात यहीं रुक जाता है। सुबह जल्दी निकल जाएगा। वह एक भोजनालय में खाना खाने बैठा था। खाना खाते हुए अपने आसपास की चीज़ों पर नज़र रख रहा था। उसकी नज़र अपनी टेबल से आगे बाईं तरफ की टेबल पर बैठे एक शख्स पर पड़ी। वह चुपचाप खा रहा था। पर उसके हावभाव कुलभूषण को संदिग्ध लग रहे थे। खबरी के तौर पर अब तक उसने जितनी जासूसी की थी उसके आधार पर वह कह सकता था कि इस आदमी के साथ कुछ तो गलत है।
कुलभूषण खाना खत्म करके भोजनालय के बाहर आ गया। वह इंतज़ार करने लगा कि कब वह दूसरा आदमी बाहर निकले। वह बाहर इधर उधर देखने लगा। उसकी निगाह एक एक ऑटो पर पड़ी। ऑटो में जिस चीज़ पर उसकी निगाह टिकी थी वह था उस पर लगा खोपड़ी वाला स्टिकर। वह सोच रहा था कि उसके पास जाकर नज़दीक से देखे। पर उसी वक्त वह आदमी भोजनालय से बाहर आया जिस पर वह नज़र रखे था। वह आदमी उसी ऑटो पर जाकर बैठ गया। उसने ऑटो स्टार्ट किया और उसे लेकर चला गया। कुलभूषण बिना देर किए अपने टेंपो पर जाकर बैठ गया। वह उस ऑटो का पीछा करने लगा।
ऑटो का पीछा करते हुए कुलभूषण इस बात का ध्यान रख रहा था कि ऑटो वाले को कोई शक ना हो। इसलिए उसने कुछ दूरी बना रखी थी। कुछ दूर आगे जाने पर ऑटो वाले ने अपना ऑटो मुख्य सड़क से एक गली में मोड़ दिया।‌ कुलभूषण भी अपना टेंपो लेकर गली में घुस गया। कुछ आगे जाने पर एक पुराना मकान था। ऑटो वाले ने उसके सामने अपना ऑटो रोका। कुलभूषण ने अपना टेंपो कुछ पहले ही रोक दिया था। उसने देखा कि ऑटो वाले ने मकान के बाहर लगा गेट खोला। उसके बाद ऑटो लेकर अंदर चला गया। कुलभूषण ने अपना टेंपो साइड में लगाया। उससे उतर कर मकान की तरफ बढ़ गया।
मकान गली के अंत में था। उसके बाद एक खाली मैदान था। कुलभूषण को पहले ही उस आदमी पर शक था। उसके ऑटो पर लगे खोपड़ी वाले स्टिकर ने उसके शक को और मज़बूत कर दिया था। कुलभूषण चाहता था कि मकान के भीतर घुसकर कुछ और बातें पता करे। वह गेट तक गया। उसने गेट की ग्रिल वाली जाली से अंदर झांका। मकान के आहते में ऑटो खड़ा दिखाई पड़ा। उसने गेट खोलने की कोशिश की। पर गेट पर इंटरलॉक था। कुलभूषण ने देखा कि गेट फांदकर अंदर जाया जा सकता है। कुलभूषण गेट पर चढ़ने जा रहा था तभी उसके मन में एक खयाल आया। उसने सोचा कि अगर अंदर और भी लोग हुए, वह पकड़ा गया तो वह किसी को सूचना नहीं दे पाएगा। वह उस मकान से अलग हटकर सोचने लगा कि क्या किया जाए।
कुछ देर सोचने के बाद उसके मन में एक विचार आया। उसने उस पर अमल करने के बारे में सोचा।

साइमन और उसकी टीम को अभी तक कोई सफलता नहीं मिली थी। यह बात साइमन को परेशान कर रही थी। बहुत रात हो गई थी। पर परेशानी में उसे नींद नहीं आ रही थी। वह अपने कमरे से निकल कर गेस्टहाऊस के गार्डन में टहल रहा था। वह सोच रहा था कि क्या वह और उसकी टीम गलत दिशा में बढ़ रहे हैं ? वह चेतन और पुष्कर की हत्या को उन चार हत्याओं से जोड़ रहा था। पर ऐसा भी हो सकता है कि यह मामला ही अलग हो। कुछ तो कमी है‌। नहीं तो अब तक कोई सफलता तो मिलनी चाहिए थी। टहलते हुए वह बेंच पर बैठ गया। शांत होकर सोचने लगा कि उसकी सोच में कहाँ गलती है। कुछ देर सोचने के बाद उसे लगा कि वह गलती पर नहीं है। उन चारों हत्याओं का पुष्कर और चेतन की हत्या से संबंध है। बस समय की बात है। एक बार कोई सुराग मिलेगा तो सारी पहेली सुलझ जाएगी। उसने मन ही मन प्रार्थना की कि जल्दी ही उसे सफलता मिले।
प्रार्थना करने के बाद उसे कुछ अच्छा लग रहा था।‌ उसने सोचा कि कुछ देर और बेंच पर बैठता है। दिमाग में एक तसल्ली आ गई थी। ठंडी ठंडी हवा उसे अच्छी लगने लगी थी। वह ठंडी हवा का आनंद लेने लगा। उसके मोबाइल पर मैसेज अलर्ट आया। उसने मैसेज देखा। उसकी बेटी नैंसी का मैसेज था। उसने जन्मदिन की बधाई दी थी। साइमन ने वक्त देखा। बारह बजकर पाँच मिनट हुए थे। तारीख बदल गई थी। उसका जन्मदिन शुरू हो गया था। उसे याद नहीं था। नैंसी के मैसेज ने याद दिलाया। उसी समय मनोज ने आकर कहा,
"हैप्पी बर्थडे सर...."
"थैंक्यू.... तुम्हें भी याद था।"
"कैसे भूल सकता हूँ सर। अंदर चलिए। केक काटिए। नैंसी बेबी ने सरप्राइज़ देने के लिए मुझसे केक लाने को कहा था। मैं शाम को ही आया था। गेस्टहाऊस के किचन में फ्रिज में रखवा दिया था।"
साइमन अंदर गया तो मनोज ने केक कटिंग का इंतज़ाम करके रखा था।