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पुष्कर भी समझ रहा था कि दिशा के मन में क्या चल रहा है। दरअसल समय बीतने के बाद जब वह शांत हुआ था तो उसके मन में भी आया था कि भाभी और मोहित को ऐसा क्या हो गया था कि दोनों खून की उल्टियां करने लगे और मर गए ? डॉक्टरों का कहना था कि उनके खाने में ज़हर रहा होगा जिसने कुछ देर में असर किया होगा। जिसके कारण उनकी मौत हो गई। पुष्कर के मन में आया था कि जब सबने वही खाना खाया तो भाभी और मोहित के खाने में ज़हर कैसे आ गया ? घरवालों ने इन सवालों पर विचार क्यों नहीं किया ?
वह इन सवालों से जूझा था। उसने दिशा को कहानी बताई.....
कुसुम और मोहित के सारे संस्कार हो जाने के बाद भी घर का माहौल उदासी भरा था। विशाल टूट गया था। ऊपर वाले कमरे से बाहर ही नहीं निकलता था। अपना सारा काम छोड़ दिया था। उमा और बद्रीनाथ भी दुखी रहते थे। किशोरी भी पूजाघर में ही पड़ी रहती थीं। इस माहौल में पुष्कर और अधिक अकेला पड़ गया था। वह भी स्कूल नहीं जा रहा था। बस घर में पड़ा मोहित को याद करके रोता था। उसके मन में कुसुम और मोहित की मौत को लेकर कई सवाल आते थे। वह उनके जवाब जानना चाहता था। एक दिन यह सोचकर वह अपनी मम्मी के पास गया था कि उनसे बात करेगा। जब वह कमरे के दरवाज़े पर पहुँचा तो उसने बद्रीनाथ को उमा से बात करते सुना। उमा उनसे पूछ रही थीं कि उस दिन अस्पताल में हुआ क्या था। पुष्कर आड़ में खड़े होकर सुनने लगा। बद्रीनाथ ने कहा,
"हमें तो रास्ते में ही एहसास हो गया था कि बहू और मोहित चल बसे हैं। फिर भी हम लोग इस उम्मीद से उन्हें अस्पताल ले गए थे कि शायद डॉक्टर कुछ कर सकें। पर डॉक्टर ने जाँच करते ही कहा कि दोनों मर चुके हैं। हमने जब उन्हें सारी बात बताई तो उन्होंने खाने में ज़हर होने की बात कही।"
उमा ने कहा,
"पर खाना तो पूरे परिवार ने खाया था। बाकी लोगों ने भी खाया था। किसी को भी कुछ नहीं हुआ। सिर्फ बहू और मोहित को ही खून की उल्टियां क्यों हुईं ? बाद में उन्होंने कुछ खाया हो ऐसा तो नहीं लगता है।"
अपनी मम्मी की बात सुनकर पुष्कर भी याद करने लगा कि भाभी और मोहित ने ऐसी कोई चीज़ भी खाई थी जो बाकी लोगों ने ना खाई हो। उसे कुछ याद नहीं आया। वह अपने पापा का जवाब सुनने लगा। बद्रीनाथ ने कहा,
"उमा हमने डॉक्टर को बताया कि जो खाना इन दोनों ने खाया था वह हम सबने भी खाया था। पर किसी को कुछ नहीं हुआ। डॉक्टर ने कहा कि उसे तो ज़हर वाली बात ही लग रही है। बाकी अब पोस्मार्टम रिपोर्ट में पता चलेगा। डॉक्टर ने कहा कि वह पुलिस को सूचना देने जा रहा है। पुलिस की बात सुनकर हमने विशाल की तरफ देखा। उसने डॉक्टर को रुकने को कहा और हमें एक तरफ ले जाकर बोला कि पापा हमने अपनी पत्नी और बच्चे को तो खो दिया। अब पुलिस के चक्कर में पड़ेंगे तो पोस्टमार्टम होगा। दोनों के शरीर की काट पीट होगी। उन्हें सही क्रियाकर्म भी नहीं मिल पाएगा।"
उमा ने कहा,
"आपने उसकी बात मान ली। वह तो सही तरह से सोच नहीं पा रहा था लेकिन आप तो सोच सकते थे। अगर पोस्टमार्टम होता तो सच सामने आता। पुलिस उसे खोजती जिसने ज़हर दिया।"
"उमा जो तुम कह रही हो वही बात हमने उससे कही थी। पर उसने हमें ऐसी बात कह दी कि हमें लगा कि वह ठीक है।"
बाहर खड़ा पुष्कर यह सुनकर सोचने लगा कि भइया ने ऐसा क्या कहा होगा। उसी समय किशोरी की आवाज़ सुनाई पड़ी। वह उससे पूछ रही थीं कि वह यहाँ खड़े होकर क्या कर रहा है। वह कोई जवाब देता तब तक बद्रीनाथ भी बाहर आ गए। उन्होंने पुष्कर से कहा,
"अभी जब काम से लौटा तो तुम्हारे स्कूल की चिट्ठी मिली। उसमें लिखा है कि तुम स्कूल नहीं जा रहे हो। देखो अब जो हो गया उसे बदल तो नहीं सकते हैं। तुम्हारा भाई वैसे भी सब कुछ छोड़कर बैठ गया है। अब तुम तो आगे बढ़ो। कल से स्कूल जाओ और पढ़ाई में मन लगाओ।"
बात बीच में रह गई थी। पुष्कर चुपचाप अपने कमरे में चला गया।
पुष्कर ने जो बताया था उसे सुनकर दिशा की उत्सुकता और बढ़ गई थी। उसने कहा,
"पुष्कर उस समय नहीं पर बाद में तो तुम्हें पता चल गया होगा कि भइया ने ऐसा क्या कहा था कि पापा उनकी बात मान गए थे।"
पुष्कर अब थकावट महसूस कर रहा था। उसने कमरे में लगी घड़ी की तरफ इशारा करते हुए कहा,
"दिशा अब बहुत रात हो गई है। मुझे नींद आने लगी है। मुझे पता है कि तुम सब जानने को बहुत उत्सुक हो। पर मैंने अभी बात आगे बढ़ाई तो लंबी चलेगी। बीच में छोड़ नहीं पाऊँगा। पूरी बात बताना मेरे लिए मुश्किल हो जाएगा।"
दिशा ने कुछ सोचकर कहा,
"उतावली तो मैं बहुत हो रही हूँ सारी बात जानने के लिए। लेकिन तुम्हारे चेहरे पर थकान साफ दिख रही है। इसलिए ज़ोर नहीं दूँगी। लेकिन कल नाश्ते के बाद आगे की कहानी सुनानी पड़ेगी।"
पुष्कर ने कुछ पल उसके चेहरे की तरफ देखा। उसके बाद बोला,
"ठीक है अब सो जाते हैं।"
बत्ती बुझाकर दोनों लेट गए। पुष्कर तो कुछ ही देर में सो गया। दिशा कुछ और देर तक लेटे हुए इन सारी बातों के बारे में सोचती रही। फिर उसे भी नींद आ गई।
दिशा की आँख खुली तो सुबह हो गई थी। पुष्कर अभी भी सोया हुआ था। दिशा वॉशरूम में गई। फ्रेश होकर ब्रश किया। उसे चाय पीने की इच्छा हो रही थी। लेकिन वह पुष्कर को जगाना नहीं चाहती थी। कुछ देर बैठे रहने के बाद उसने सोचा कि वह अब इस घर की सदस्य है। कब तक इस कमरे तक सीमित रहेगी। वह नीचे जाकर देखती है। अगर चाय बनी होगी तो मांग लेगी।
दिशा नीचे आई तो आंगन में कोई नहीं था। वह रसोई की तरफ गई। रसोई में नीलम और उमा कुछ कर रही थीं। उमा की नज़र उस पर पड़ी तो उन्होंने कहा,
"तुम नीचे आ गईं।"
दिशा ने कहा,
"मम्मी मैं अब इस घर का हिस्सा हूँ। नीचे आ गई तो क्या हुआ ?"
उमा ने पूछा,
"कोई काम था क्या ?"
दिशा ने कहा,
"मम्मी मुझे सुबह मुंह धोकर चाय पीने की आदत है। पुष्कर सो रहा था। सोचा नीचे चलकर देखती हूँ। चाय नहीं बनी होगी तो बना लूँगी।"
नीलम उसे घूरकर देख रही थी। दिशा का अपने पति का नाम लेना उसे अच्छा नहीं लगा। उसने कहा,
"पति का नाम लेने का रिवाज़ नहीं है यहाँ।"
दिशा ने जवाब दिया,
"मामी जी हम दोनों बहुत समय से एक दूसरे को जानते हैं। मैं उसे नाम लेकर ही बुलाती हूँ।"
उसने उमा की तरफ देखकर कहा,
"मम्मी मैं चाय बना रही हूँ। आप और मामी जी भी पिएंगी।"
उमा सोच रही थीं कि इस बीच अगर किशोरी यहाँ आ गईं और उन्होंने बिना नहाए दिशा को रसोई में काम करते देख लिया तो आज फिर सुबह से बवाल हो जाएगा। उन्होंने कहा,
"तुम ऊपर जाओ। हम चाय बनाकर लाते हैं।"
"नहीं मम्मी मैं बना लूँगी। आप लोग पिएंगी कि नहीं।"
नीलम ने कहा,
"हम लोग चाय नहीं पीते हैं। बिना नहाए रसोई में काम भी नहीं करते हैं।"
दिशा ने उमा की तरफ देखा। उमा ने कहा,
"तुम जाओ। पुष्कर को भी जगा लो हम चाय बनाकर लाते हैं।"
दिशा समझ गई कि उमा बिना नहाए उसे रसोई में काम नहीं करने देना चाहती हैं। वह भी नहीं चाहती थी कि आज भी कल की तरह कोई बवाल हो। उसने कहा,
"ठीक है मम्मी.... मैं ऊपर जा रही हूँ।"
दिशा वापस लौट गई। नीलम ने कहा,
"दीदी बहू को बहुत कुछ सिखाना पड़ेगा। इसकी माँ ने तो कुछ बताया ही नहीं।"
उमा ने कोई जवाब नहीं दिया। वह चाय का भगोना लेने बढ़ीं तो नीलम ने कहा,
"दीदी आप रहने दीजिए। हम बना देते हैं। आप पहुँचा दीजिएगा।"
नीलम ने भगोना लेकर चाय चढ़ा दी।
दिशा ऊपर पहुँची तो पुष्कर जाग गया था। उसने कहा,
"कहाँ गईं थीं ?"
पुष्कर का सवाल सुनकर दिशा चिढ़कर बोली,
"कहाँ जाऊँगी भला। नीचे गई थी। मैं तुम्हारे साथ शादी करके इस घर का हिस्सा हो गई हूँ। फिर भी मुझे नीचे देखकर मम्मी भी ऐसे ही चौंक गई थीं। मैं क्या सारा वक्त इसी कमरे में रहूँगी।"
यह कहकर वह अपने सामान से कपड़े निकालने लगी। पुष्कर ने कहा,
"क्या नहाने जा रही हो ?"
"तुम्हारे घर में बिना नहाए कोई काम नहीं होता है। मैं रसोई में अपने लिए चाय नहीं बना सकती हूँ। मम्मी चाय लेकर आ रही होंगी। उससे पहले नहा लेती हूँ।"
वह कपड़े लेकर वॉशरूम में चली गई। पुष्कर कहना चाहता था कि अंदर ठंडा पानी है। पर उससे पहले दिशा ने दरवाज़ा बंद कर लिया। पुष्कर चुपचाप बिस्तर पर बैठ गया। वह सोच रहा था कि यही सही रहेगा कि आज अपनी मम्मी से बात कर ले। दोनों यहाँ रहेंगे तो घर में कुछ ना कुछ होता रहेगा।
कुछ देर में उमा दो कप चाय लेकर ऊपर आईं। उन्होंने दिशा के बारे में पूछा। पुष्कर ने बताया कि वह नहा रही है। उमा समझ गईं कि उसे बुरा लग गया है। उन्होंने कहा,
"चाय ढक कर रख दो नहीं तो ठंडी हो जाएगी।"
वह जाने लगीं तो पुष्कर ने उन्हें रोक लिया।