वो माया है.... - 66 Ashish Kumar Trivedi द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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वो माया है.... - 66



(66)

कौशल दूर खड़ा हुआ टैक्सी को देख रहा था। उसने देखा कि दिशा और पुष्कर टैक्सी में कुछ तलाश कर रहे हैं। दोनों कुछ परेशान लग रहें थे। वह सोच रहा था कि दोनों ढाबे में जाएं तो वह इस्माइल से मिले। कुछ देर बाद पुष्कर और दिशा ढाबे में चले गए। तब उसने इस्माइल को फोन किया। उसे बताया कि वह कहाँ खड़ा है। इस्माइल उसके पास गया। कौशल ने उससे पूछा कि पुष्कर और दिशा इतनी देर से कर क्या रहे थे ? इस्माइल ने उसे ताबीज़ वाली बात बताई। उसने कहा कि पुष्कर का ताबीज़ नहीं मिल रहा था। उसने सुझाव दिया था कि रास्ते में एक ढाबे पर रोकेगा। तब दोनों ताबीज़ ढूंढ़ लें। इसलिए दोनों ताबीज़ ढूंढ़ रहे थे पर वह मिला नहीं। विशाल ने ताबीज़ वाली बात बताई थी। कौशल जानता था कि उनके घर में झगड़ा ताबीज़ के लिए ही हुआ था। वह सोचने लगा कि पहले तो पहनने से मना कर दिया था और अब उसके लिए परेशान हो रहे हैं। उसने इस्माइल को डाइवर्ज़न वाली बात समझा‌ कर पूछा कि अभी भी कुछ हो सकता है क्या ? सब सुनकर इस्माइल ने कहा कि वैसे तो जो जगह उसने सोची थी इस डाईवर्ज़न की वजह से अब उसके आगे से टैक्सी हाइवे पर जाएगी। पर एक और जगह है जहाँ चांस लिया जा सकता है। इस्माइल ने बताया कि हाइवे पर गाज़ियाबाद से कोई दस किलोमीटर पहले एक कच्चा रास्ता है। वह शार्टकट कहकर उस रास्ते पर ले जाएगा। पेशाब जाने के बहाने टैक्सी रोकेगा। तब कौशल के पास मौका हो सकता है। कौशल तैयार हो गया।
कौशल अपनी बात बताकर चुप हो गया। साइमन ने पूछा,
"तुम इस्माइल से मिले थे। नया प्लान बनाया था। फिर तुम दिशा और पुष्कर की टेबल के पास कैसे पहुँच गए। वहाँ खड़े होकर उन्हें देख क्यों रहे थे ?‌ अगर तुम पुष्कर को मारने वाले थे तो विशाल ने पहले ही तुम्हें उसकी तस्वीर दिखाई होगी।"
कौशल ने सर झुकाकर कहा,
"सर अब इसे अपनी बेवकूफी ही कहूँगा जिसके कारण आज यहाँ हूँ। ना जाने मुझे क्या सूझी थी कि मैं उन लोगों की टेबल के पास खड़े होकर चाय पीने लगा। मैं पुष्कर और दिशा को देख रहा था। अंदाज़ लगा रहा था कि क्या उनकी तरफ से कोई प्रतिरोध हो सकता है। उन्हें देखकर मुझे लगा कि गन प्वाइंट पर आसानी से उन पर काबू पाया जा सकता है।‌ खासकर मुझे पुष्कर कुछ कमज़ोर लगा।"
साइमन ने कहा,
"पकड़े तो तुम हर हाल में जाते। खैर मुझे यह बताओ कि वहाँ हुआ क्या ? पुष्कर की हत्या कैसे हुई ‌?"
इस सवाल से कौशल एकबार फिर नर्वस दिखाई पड़ने लगा। साइमन ने कहा कि वह सब सच सच बताए।‌ अब कुछ छिपाने का कोई फायदा नहीं है।
कौशल ने आगे बताया......
बात करने के बाद इस्माइल वहाँ से चला गया। कौशल को चाय की तलब लग रही थी। वह ढाबे में गया। उसने अपने लिए चाय ली। वह चाय पी रहा था तभी उसकी नज़र उस टेबल पर पड़ी जहाँ पुष्कर और दिशा बैठे थे। वह उन लोगों की तरफ देखने लगा। चाय पीते हुए वह सोच रहा था कि किसी तरह वह अपना काम कर पाए तो इतनी मेहनत सफल हो जाएगी। वह मन ही मन इस बात का अंदाजा लगा रहा था कि इन दोनों से कैसे निपटा जा सकता है। यह सोचते हुए उसने देखा कि दिशा उसकी तरफ ही देख रही है। उसने दूसरी तरफ मुंह घुमा लिया। चाय पूरी खत्म किए बिना ही पैसे देकर वहाँ से निकल गया।
कौशल ढाबे से निकल रहा था तो उसने टैक्सी की तरफ देखा। उसे इस्माइल टैक्सी के अंदर दिखाई नहीं दिया। उसने सोचा कि आसपास कहीं होगा। वह अपनी मोटरसाइकिल के पास जाकर खड़ा हो गया। वह प्लान बनाने लगा कि जब इस्माइल कच्चे रास्ते पर ले जाकर टैक्सी रोकेगा तो वह किस तरह अपना काम करेगा। कुछ देर बाद उसने देखा कि पुष्कर ढाबे से निकला और टैक्सी के पास गया। उसने दरवाज़ा खोलने की कोशिश की पर टैक्सी लॉक थी। कौशल सोच रहा था कि वह करने क्या आया है, तभी पुष्कर उसे झाड़ियों की तरफ बढ़ता दिखा। उसे आश्चर्य हुआ कि वह उधर क्यों जा रहा है ? उसी समय उसकी निगाह इस्माइल पर पड़ी जो टैक्सी के अंदर बैठ रहा था। वह कुछ करता तभी पवन की कॉल आ गई। वह जानना चाहता था कि क्या हुआ।‌ उससे बात करने के बाद कौशल ने टैक्सी की तरफ देखा तो दिशा इस्माइल से कुछ बात कर रही थी। वह कुछ परेशान थी। उसके बाद उसने दिशा को पुष्कर का नाम पुकारते सुना। फिर कुछ लोग मिलकर पुष्कर को तलाश करने लगे। कौशल समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे। उसी समय एक आदमी ने कहा कि पुष्कर झाड़ियों के पीछे ज़मीन में गिरा पड़ा है। सब उधर भागे। कौशल भी उनके साथ गया। पेड़ के पीछे पुष्कर खून से सना हुआ पड़ा था।‌ कुछ ही देर में हल्ला होने लगा कि पुष्कर की लाश मिली है। कौशल घबरा गया था। परेशान था कि पुष्कर को किसने मार दिया।‌ वह भागकर ढाबे के पास आ गया। उसकी नज़र इस्माइल पर पड़ी। इस्माइल ने उसे इशारे से वहाँ से निकल जाने को कहा। वह मोटरसाइकिल की तरफ बढ़ गया। तभी विशाल का फोन आया। उसने उसे बताया कि क्या हुआ।‌ उसने ध्यान नहीं दिया कि चेतन वहीं मौजूद था।
सब बताने के बाद कौशल चुप हो गया। साइमन पूरे समय उसके चेहरे पर नज़रें गड़ाए हुए था। उसने कहा,
"तुम्हारे हिसाब से तुमने पुष्कर को झाड़ियों की तरफ बढ़ते देखा था। क्या उस तरफ कोई खड़ा था जिसने उसे बुलाया हो ?"
कौशल ने याद करते हुए कहा,
"मुझे ऐसा तो नहीं लगता कि वहाँ कोई था।"
इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"इसका क्या मतलब है ? तुमने उसे सड़क पार झाड़ियों की तरफ बढ़ते देखा था। तो फिर यह क्यों नहीं बता सकते हो‌ कि वहाँ कोई था या नहीं ?"
"सर मैं जिस जगह खड़ा था वहाँ से टैक्सी दिख रही थी। मैंने उसे सड़क पार झाड़ियों की तरफ बढ़ते देखा। उस तरफ घनी झाड़ियां थीं। उनके पीछे से किसी ने उसे इशारा करके बुलाया हो कह नहीं सकता।"
साइमन ने अबतक उसके चेहरे के हर हावभाव को अच्छी तरह देखा था। उसे ऐसा नहीं लगा था कि कौशल ने हत्या की होगी। पर उसे ऐसा लग रहा था कि शायद उसने किसी को देखा हो। लेकिन कौशल इस बात से इंकार कर रहा था। साइमन ने उसे घूरते हुए कहा,
"तुम सही बोल रहे हो। तुमने सचमुच किसी को नहीं देखा था।"
"सर आप सोचकर देखिए। अगर मैंने देखा होता तो छिपाने से मेरा क्या फायदा होता। मैं उसके बारे में सब बता देता। पर मैंने किसी को नहीं देखा था।"
इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"तुमने किसी को देखा नहीं। पर पुष्कर का कत्ल हुआ था। तो क्या तुमने ऐसा किया था ?"
यह सुनकर कौशल कुछ गुस्से में बोला,
"सर अगर मैंने झूठ बोला होता कि मैंने किसी को देखा था और एक झूठा हुलिया बता देता तो आपको यकीन हो जाता कि कत्ल मैंने नहीं किया है। लेकिन मैंने किसी को नहीं देखा था। ना ही मैंने कत्ल किया है। आपने पुष्कर की लाश देखी होगी। वह जिस हालत में थी उसके लिए किसी बहुत तेज़ धार वाले हथियार की ज़रूरत पड़ती। मेरे पास गन थी। तो मैं ऐसा हथियार कहाँ से लाता ?"
साइमन को उसकी बात सही लगी। वह सोच रहा था कि कौशल ने कत्ल नहीं किया। कत्ल पंजेनुमा धारदार हथियार से हुआ था। पर वह तो गन लेकर चला था। उसका प्लान भी दूसरा था। साइमन को लग रहा था कि शायद पुष्कर की जान का कोई और दुश्मन भी था। लेकिन एक बात वह समझ नहीं पा रहा था कि अगर उसने कत्ल नहीं किया था तो फिर विशाल ने उसे पैसे क्यों दिए थे ? उसने कौशल से पूछा,
"तुम्हारे हिसाब से तुमने पुष्कर को नहीं मारा। फिर भी विशाल ने तुम्हें पैसे दिए थे। जिस कमरे से तुम और पवन गिरफ्तार हुए वहाँ पैसों से भरा एक बैग मिला था। तुमने कुबूल किया था कि पैसे विशाल ने दिए हैं।"
कौशल ने कहा,
"सर मैंने माना था कि वह पैसे विशाल ने दिए थे। पर कत्ल के लिए नहीं दिए थे। सर उस दिन मैंने फोन पर विशाल को बता दिया कि कोई और काम करके चला गया। उसके बाद मैं भवानीगंज आ गया। मुझे लगा कि अभी यहाँ रहना ठीक नहीं है। मैं अगले दिन सुबह मेरठ के लिए निकल गया।‌ वहाँ अपने एक दोस्त के साथ रह रहा था। एक हफ्ते बाद इस्माइल का फोन आया कि उसे पैसे चाहिए। मैंने कहा कि काम तो हुआ नहीं फिर पैसे किस बात के। उसने कहा कि जो भी हो उसे पैसे चाहिए। उसका कहना था कि तुमने कुछ एडवांस लिया होगा उसमें से दो। विशाल ने कोई एडवांस नहीं दिया था। मैंने उसे समझाया पर वह मान नहीं रहा था। बार बार फोन कर रहा था। मैंने उसे ब्लॉक कर दिया तो वह भवानीगंज पवन के पास पहुँच गया। मुझे भी लग रहा था कि इतनी मेहनत की और कुछ भी हाथ नहीं लगा। मैंने विशाल को फोन करके कहा कि आधा पैसा देना होगा।‌ टैक्सी ड्राइवर ब्लैकमेल कर रहा है। पुलिस उससे पूछताछ कर रही है। उसका कहना है कि अगर पैसे ना मिले तो अपने हिसाब से पुलिस को कहानी बताकर सबको फंसा देगा। तब विशाल ने पछत्तर हज़ार यह कहकर दिए थे कि बाकी पैसे बाद में देगा। मैंने इस्माइल को तीस हज़ार देकर कहा कि बाकी पैसा तब मिलेगा जब पूरे पैसे मिल जाएंगे। पंजाब से मेरा साथी फोन कर रहा था कि अब और इंतज़ार नहीं कर सकता है। अगर मैं जल्दी नहीं आया तो वह किसी और को पार्टनर बना लेगा। उसने कहा कि फिलहाल दो लाख से भी काम चल जाएगा। मैंने पहले कुछ बचत की थी। अगर विशाल बाकी पैसे दे देता तो मेरा काम शुरू करने लायक पैसे हो जाते। इधर विशाल बार बार बहाना करके टाल रहा था। इसलिए मुझे भवानीगंज आना पड़ा। मैंने दबाव डालकर विशाल से पैसे लिए। उसके बाद जो हुआ आप लोगों को पता है।"
यह कहकर कौशल एकबार फिर चुप हो गया। वह पवन की तरफ शिकायत भरी नज़रों से देख रहा था।