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वर्दी वाली बीवी - उपन्यास
Arpan Kumar
द्वारा
हिंदी लघुकथा
तेलंगाना एक्सप्रेस लेट हो गई है। पौने दस बजे की जगह अब पौने बारह में चलेगी। मैं वेटिंग रूम में बैठा हुआ था। सहसा, एक चिर-परिचित चेहरे पर मेरी नज़र गई। क्षणांश में मैं जान पाया कि ये त्रिलोकी साहू थे। उनके पास पहुँचते हुए मैंने धीरे से उनके कंधे पर हाथ रखा। वे पीछे पलटे और अचानक मुझे अपने सामने पा कुछ भाव-विह्वल हो आए। उनके चेहरे पर कई तरह के भाव आए और हर भाव अपने साथ किसी न किसी विशिष्ट रंग को समेटे हुए था। अगर किसी के चेहरे के आकाश पर आपको कभी कोई इंद्रधनुष खिलाना है, तो उससे सहसा मिलिए, आपको ऐसा ही अनुभव होगा।
तेलंगाना एक्सप्रेस लेट हो गई है। पौने दस बजे की जगह अब पौने बारह में चलेगी। मैं वेटिंग रूम में बैठा हुआ था। सहसा, एक चिर-परिचित चेहरे पर मेरी नज़र गई। क्षणांश में मैं जान पाया कि ये त्रिलोकी ...और पढ़ेथे। उनके पास पहुँचते हुए मैंने धीरे से उनके कंधे पर हाथ रखा। वे पीछे पलटे और अचानक मुझे अपने सामने पा कुछ भाव-विह्वल हो आए। उनके चेहरे पर कई तरह के भाव आए और हर भाव अपने साथ किसी न किसी विशिष्ट रंग को समेटे हुए था। अगर किसी के चेहरे के आकाश पर आपको कभी कोई इंद्रधनुष खिलाना है, तो उससे सहसा मिलिए, आपको ऐसा ही अनुभव होगा।
‘सेवाग्राम’ नाम सुनते ही मैं लिखना छोड़ बाहर देखने लगा। इस जगह से देश का इतिहास और मेरे बचपन की यादें दोनों जुड़ी हुई हैं। जब जब इस जगह से गुजरना होता है, मन अपने राष्ट्रपिता को याद करके ...और पढ़ेहो जाता है। मैं त्रिलोकी से कहने लगा, “ देखिए, बातों ही बातों में हमलोग लगभग 80 किलोमीटर की यात्रा कर चुके। आपको बताऊँ त्रिलोकी साहब, मेरे दादाजी ने इस सेवाग्राम आश्रम में बापू के साथ कुछ दिन गुजारे थे। साबरमती के बाद महात्मा गाँधी द्वारा स्थापित यह दूसरा महत्वपूर्ण आश्रम है ।
तीन बजकर पचास मिनट पर ‘सिरपूर कागज नगर’ आया। अब आंध्रप्रदेश आ चुका है। स्टेशनों के नाम तेलगू में लिखे जाने दिखने लगे। ‘सिरपूर कागज नगर’ आंध्रप्रदेश के अदीलाबाद जिले में है।
नेवी में कार्यरत पवन के दो और साथी ...और पढ़ेगए हैं। तीनो हरियाणवी में बात कर रहे हैं। पोस्टिंग, असाइनमेंट आदि को लेकर।एक रोहतक का और दूसरा झज्जर का है।
दाएँ बाएँ दोनो तरफ साउथ सेंट्रल रेलवे (एस.सी.आर.) के खंभे खेतों में गड़े हैं। ऊपर नीचे लाल और बीच मे सफेद। रेलवे का सीमांकन बताते हुए।