Karoge kitne aur tukde book and story is written by Pradeep Shrivastava in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Karoge kitne aur tukde is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
करोगे कितने और टुकड़े - उपन्यास
Pradeep Shrivastava
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
जिस विकट अंतर्द्वंद से आज गुजर रहा हूं, अपनी अब तक की पचहत्तर साल की उम्र में पहले कभी नहीं गुजरा था। तब भी नहीं जब देश में आपातकाल लगाया गया। और तब भी नहीं जब उन्नीस सौ चौरासी के सिख दंगों के बाद एक एकेडेमी का अध्यक्ष होने के नाते एक लेखिका को पुरस्कार देने से मना किया। क्यों कि वह उस पुरस्कार के योग्य नहीं थी। और कई प्रभावशाली नेताओं से बराबर दबाव डलवा रही थी। मैं उन सबसे बेहिचक एक पल गंवाए बिना कहता था कि उसकी किताब इस योग्य भी नहीं कि किसी छोटी-मोटी एकेडेमी का उसे सांत्वना पुरस्कार भी दिया जाए।
जिस विकट अंतर्द्वंद से आज गुजर रहा हूं, अपनी अब तक की पचहत्तर साल की उम्र में पहले कभी नहीं गुजरा था। तब भी नहीं जब देश में आपातकाल लगाया गया। और तब भी नहीं जब उन्नीस सौ चौरासी ...और पढ़ेसिख दंगों के बाद एक एकेडेमी का अध्यक्ष होने के नाते एक लेखिका को पुरस्कार देने से मना किया। क्यों कि वह उस पुरस्कार के योग्य नहीं थी। और कई प्रभावशाली नेताओं से बराबर दबाव डलवा रही थी। मैं उन सबसे बेहिचक एक पल गंवाए बिना कहता था कि उसकी किताब इस योग्य भी नहीं कि किसी छोटी-मोटी एकेडेमी का उसे सांत्वना पुरस्कार भी दिया जाए।
सही मायने में यह आजादी से पहले जब धर्मांधता के वशीभूत कुछ लोगों ने खिलाफत के लिए आंदोलन शुरू किया तो तब की सर्वेसर्वा बड़ी पार्टी, इससे देश को होने वाले नुकसान को लेकर आंखें मूंदे रही। उसे अपने ...और पढ़ेकी संख्या बढ़ाने, सर्वेसर्वा बने रहने का जुनून था। लेकिन तब तक के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति जो धर्मांधता, सांप्रदायिकता के कट्टर विरोधी थे पता नहीं किस कारण से शांत रहने की बात छोड़िए बराबर इस आंदोलन की शुरुआत करने वाले अली बंधुओं को समर्थन देते रहे।