सुरासुर द्वारा  Sorry zone in Hindi Novels
रात्रि के अंधकार में सुनसानी सड़क पर कंधे लटकाए हाथ झुलाए कर्ण आहिस्ता-आहिस्ता चल रहा है। 'राजू नाई' के दूकान को...
सुरासुर द्वारा  Sorry zone in Hindi Novels
"क्या मैं मर गया पर मुझे तो कोई दर्द महसूस नहीं हुआ मैं जिंदा भी हूँ कि नहीं मफ्फ इतना समय क्यों लग रहा है"? दाईं पलक खो...