Kishanlal Sharma लिखित उपन्यास प्रतिशोध..

प्रतिशोध.. द्वारा  Kishanlal Sharma in Hindi Novels
शाम होने को थी।रानी हड़बड़ाकर उठी।।उसने कपडे निकाले औऱ आदमकद शीशे के सामने आकर खड़ी हो गयी।उसने मैक्सी पहन रखी थी।उसने मेकश...
प्रतिशोध.. द्वारा  Kishanlal Sharma in Hindi Novels
उस मर्द के घर पहुंचते ही वह छुई मुई और मितभाषी का चोला उतारकर फेंक देती और वाचाल हो जाती"अरे मैं तुम्हे अपने साथ घर तो ल...