प्रतिशोध - 5 Kishanlal Sharma द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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प्रतिशोध - 5

रानी
"क्या प्यारा नाम है।जैसा नामसचमुच तुम रानी ही हो
"नौकरानी से भी बदतर जिंदगी है मेरी
"क्यो
"मैं अनाथ हूँ
"अनाथ।मतलब यहा
"मेरे मा बाप बचपन मे ही जब में बहुत छोटी थी।एक दुर्घटना में चल बसे थे।कोई नाते रिश्तेदार जिससे खून का रिश्ता ही हमारा इस दुनिया मे नही था
"फिर तुम यहाँ किसके पास रह रही हों?"उमेश ने रानी से पूछा था
"माँ ने अपने गांव के ही एक आदमी को अपना भाई बना रखा था।वह मेरी माँ को बहुत मानते थे।जब उन्हें इस दुर्घटना के बारे में पता चला तो वह दौडे चले गए।मुझे लेने के लिए
"ऊपर वाले कि मेहरबानी है।वरना इस हालत में तो तुम्हारा बचपन अनाथालय मे गुजरता"उमेश ने कहा था
"दूर के ही सही।मेरे मामा न होते तो भगवान ही जाने मेरा क्या होता
"मामा तुम्हे यहाँ ले आये
"मामा मुझे बहुत प्यार करते थे।वह मुझे अपनी बेटी ही मानते थे।वह । मुझे। डॉक्टर बनना चाहते थे।जब भी वह इस बात का जिक्र करते।मामी गुस्सा हो जाती थी।मामा मुझे बहुत चाहते थे।लेकिन । मामी को मैं बिल्कुल पसंद नही थी।।शायद मेरे नसीब में दुख ही लिखे हैं।इसीलिए भगवान ने साल भर पहले अपने पास बुला लिया।मामा के गुजरते ही मेरे बुरे दिन शुरू हो गए।मामी ने मेरी पढ़ाई छुड़ा दी और मुझे नौकरानी बनाकर रख दिया है।सुबह से रात तक
रानी की कहानी सुनकर उमेश द्रवित हो गया।रानी तो दुखी थी।उमेश के दो बोल ही मरहम सा काम करते थे।
दोपहर में रानी जब कपडे सुखाने के लिए छत पर जाती तब उमेश उसका ििनत जार करता हुआ मिलता।रानी ज्यादा देर तक छत पर नही रह पाती थी।अगर जरा भी देर हो जाती तो मामी की आवाज आ जाती।मामी पैरों में र
परेशानी की वजह से छत पर नही जा पाती थी।
उमेश से बातें थोड़ी देर ही हो पाती थी।समय गुजरने के साथ रानी उमेश को दिल ही दिल मे चाहने लगीं।उससे प्यार करने लगी।उसका प्यार एक तरफा था।उमेश छः महीने के लिए आया था।एक दिन वह बोला
मेरा यह कोर्स खत्म हो रहा है
तो तुम चले जाओगे
नही।अभी नही।मैने एक कोर्स में और प्रवेश ले लिया है।यह कोर्स तीन महीने का है
मतलब अभी तीन महीने औऱ रहोगे
हां" उमेश बोला,"तुम्हारे दीदार का मौका मिलेगा
मामी रोज किसी ने किसी बहाने से उसे तंग करती थी।मामा के मरने के बाद मामी अपने बच्चों को रानी से बात नही करने देती थी।उसने रानी को अलग कोठरी दे दी थी वह रानी को घर से बाहर नही निकलने देती थी।मामी को डर था अगर रानी घर से बाहर जाएगी तो घर की बाते बताएगा।
चाहे कमाल रानी को घर से बाहर न निकलने दे।लेकिन कहते हैं।दीवारों के भी कान होते हैं।लोग सब समझते हैं।जब रानी के मामा जिन्दे थे।रानी स्कूल भी जाती थी और घर से बाहर भी।लेकिन मामा के गुजरते ही उसका स्कूल बंद हो गया था।और एक दिन उमेश बोला,"मेरा कोर्स पूरा हो गया है।मैं दो तीन दिन में चला जाऊंगा
कंहा?गांव
"गांव में क्या रखा है।एक मा थी।वह भी नही रही
"तो फिर कहा जाओगे
"मुम्बई जाऊंगा"उमेश बोला,"मुम्बई मे मैं नौकरी की तलाश करूंगा।
"सही बात है।नौकरी तो करनी पड़ेगी।पेट भरने को नौकरी तो चाहिए
"तुम भी चलो
"मैं
"इस नरक की जिंदगी से छुटकारा चाहती हो तो मेरे साथ चलो