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मेरा भाई - उपन्यास
Naaz Zehra
द्वारा
हिंदी महिला विशेष
मेरी यह कहानी में एक बहन आपने भाई के खातिर अपनी पुरी जिंदगी कुर्बान कर देती है तो शुरू करते हैंएक छोटा सा गांव जिसका नाम है ( सोन पुर ) वही एक घर है जो मिट्टी से बना हुआ था उसी घर एक औरत और एक आदीम पलंग पर बैठ बातें कर रहे थे इतने मे वह पे चार लड़की आई उनमें से एक लड़की बोली बाबा मुझे कुछ नही सुना बस मुझे एक भाई चाहिये मेरी सब दोस्तो के पास भाई है बस मेरे पास नही है आप केसे भी करके एक भाई ला कर दो आदमी जिनका
मेरी यह कहानी में एक बहन आपने भाई के खातिर अपनी पुरी जिंदगी कुर्बान कर देती है तो शुरू करते हैंएक छोटा सा गांव जिसका नाम है ( सोन पुर ) वही एक घर है जो मिट्टी से बना ...और पढ़ेथा उसी घर एक औरत और एक आदीम पलंग पर बैठ बातें कर रहे थे इतने मे वह पे चार लड़की आई उनमें से एक लड़की बोली बाबा मुझे कुछ नही सुना बस मुझे एक भाई चाहिये मेरी सब दोस्तो के पास भाई है बस मेरे पास नही है आप केसे भी करके एक भाई ला कर दो आदमी जिनका
अगर तुम ऐसे ही जिद करोगी तो भगवान जी तुम्हारे भाई को वापस ले लेंगे इसलिए मेरी बात समझो करना रमन की बात सुनकर चुप हो गई और फिर बोली ठीक है बाबा मैं भाई का इंतजार करूंगी कान्हा ...और पढ़ेने मेरे भाई को दिया है इसलिए मैं उनसे जाकर धन्यवाद करके आती हूं और उनसे यह भी कहूंगी कि वह मुझे मेरा भाई नहीं छीन मैं जिद नहीं करूंगी मैं अभी उनसे बात करके आती हूं (कनक बहुत खुश रहने लगी थी क्योंकि अब छोटा भाई आ गया था ••••! हर वक्त उसके साथ रहते थी उसका पूरा ध्यान
अब आगे थोड़ी देर बाद कनक गुड्डू से अलग हुई और बोली तुम ठीक हो तुम्हें कुछ हुआ तो नहीं है•••! और तुम यह क्या कर रहे थे तुम्हें पता है वो सांप है अगर वो तुम्हें काट लेता ...और पढ़ेगुड्डू कनक की बात सुनकर उदास हो गया•••! और इशारा करते हुए बोला वह बच्चे मुझे खेलने नहीं दे रहे कह रहा है मैं पागल हूं इसलिए मैं आम की गुठली ढूंढने गया था•••! और मुझे यह मिल गया मैं समझा यही है कनक वो खुद ही पागल तुम पागल नहीं हो तुम तो सही हो और हां•••! दोबारा तुम