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भय - उपन्यास
नंदलाल मणि त्रिपाठी
द्वारा
हिंदी मनोविज्ञान
भय अन्तर्मन कि गहराई से उतपन्न वह विचार है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व को झकझोर देता है और विचारों को अशांत उद्वेलित करता है विचारो कि उतपत्ति मनुष्य कि कल्पनाशीलता कि योग्यता है जो उसे अपने परिवेश परिस्थितियों के कारण उसे विवश करती है जाग्रत करती है एव उसके विचारों के सृजन के लिए प्रेरित करती है ।
विचारो के सृजन का धरातल मूल रूप से मस्तिष्क है जिसे संवेदनाओं का संचार हृदय द्वारा प्राप्त होता है हृदय का नियंत्रण व्यक्ति कि मूल प्रबृत्ति के चरित्र द्वारा किया जाता है ।
व्यक्ति के मूल चरित्र का निर्माण अन्तर मन चेतना द्वारा किया जाता है जिसे सांस्कार कहते है ।
भय- भाग-1भय अन्तर्मन कि गहराई से उतपन्न वह विचार है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व को झकझोर देता है और विचारों को अशांत उद्वेलित करता है विचारो कि उतपत्ति मनुष्य कि कल्पनाशीलता कि योग्यता है जो उसे अपने परिवेश परिस्थितियों ...और पढ़ेकारण उसे विवश करती है जाग्रत करती है एव उसके विचारों के सृजन के लिए प्रेरित करती है ।विचारो के सृजन का धरातल मूल रूप से मस्तिष्क है जिसे संवेदनाओं का संचार हृदय द्वारा प्राप्त होता है हृदय का नियंत्रण व्यक्ति कि मूल प्रबृत्ति के चरित्र द्वारा किया जाता है ।व्यक्ति के मूल चरित्र का निर्माण अन्तर मन चेतना द्वारा