Koi Apna sa Apne Jisa book and story is written by Ashish Dalal in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Koi Apna sa Apne Jisa is also popular in नाटक in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
कोई अपना सा अपने जैसा - उपन्यास
Ashish Dalal
द्वारा
हिंदी नाटक
उम्र चाहे कोई भी हो, हर किसी के अपने सपने होते है । उम्र कॉलेज जाने वाली हो या जिन्दगी के सुख दुख का हिसाब करने की ...हर किसी को अपना छोटा सा सपना भी बड़ा ही प्यारा लगता है । अफ़सोस की बात तो ये है कि जिन्दगी का खास लगने वाला सपना हर बार पूरा नहीं हो पाता और अधूरे सपनों के साथ जी जाने वाली जिन्दगी कभी कभी इस कदर बोझ लगने लगती कि कोई एक फैसला ले ही लेना पड़ता है ।
अब वो फैसला मजबूरीवश लिया गया हो या ख़ुशी से ....उसका असर फैसला लेने वाले इंसान के साथ उससे जड़ी जिंदगियो पर भी जरुर पड़ता है ।
कहा जाता है जिन्दगी में प्यार ही सबकुछ होता है लेकिन यदि ये प्यार किसी गलत तरीके से हासिल होता है या किया जाता है तो वो प्यार जिन्दगी की जरूरत होने पर भी बदचलन कहलाने लगता है । जिन्दगी में सही या गलत का फैसला केवल इंसान के नजरिये पर ही तो निर्भर करता है और जिन्दगी को देखने का ये नजरिया उम्र और अनुभव के साथ बदलता रहता है । कहने को बहुत कुछ है लेकिन कहानी के पात्र ही आगे बातें आपसे करेंगे ... मैं तो बस एक जरिया हूँ ....आपके और कहानी के पात्रों के बीच एक रिश्ता जोड़ने का ...
उम्र चाहे कोई भी हो, हर किसी के अपने सपने होते है । उम्र कॉलेज जाने वाली हो या जिन्दगी के सुख दुख का हिसाब करने की ...हर किसी को अपना छोटा सा सपना भी बड़ा ही प्यारा लगता ...और पढ़े। अफ़सोस की बात तो ये है कि जिन्दगी का खास लगने वाला सपना हर बार पूरा नहीं हो पाता और अधूरे सपनों के साथ जी जाने वाली जिन्दगी कभी कभी इस कदर बोझ लगने लगती कि कोई एक फैसला ले ही लेना पड़ता है। अब वो फैसला मजबूरीवश लिया गया हो या ख़ुशी से ....उसका असर फैसला लेने वाले
कॉलेज कैम्पस में गॉगल्स को हीरो की अदा से सिर पर चढ़ाते हुए सीनियर्स के पाँच लड़को के समूह में से लीडर ने लाइन में लगे फर्स्ट इयर के विद्यार्थियों में से अंश से पूछा, “अच्छा चल बता इंजीनियरिंग ...और पढ़ेहिन्दी में क्या कहते है ?” अपने सामने बैठे सीनियर की बात सुनकर धीमे से बुदबुदाते हुए अंश का हाथ अपने जींस के जेब में रखे मोबाइल तक पहुँच गया । “इंजिनियरिंग इन हिन्दी..” तभी उसके सामने बैठे उसके सीनियर्स में से एक ने उसे टोका, “ऐ चूजे ! नो मोबाइल, नो गूगल ।” अंश ने कुछ देर इधर उधर
अंश के आगे पूछने पर शुचि ने उसे कहा, “देअर इज वन नताशा शर्मा – अवर लाइब्रेरियन । गो देअर एण्ड प्रपोज हर।”अंश को जवाब देकर दोनों वहाँ से जाने लगी।अंश अभी भी कन्फ्यूज्ड था । उसने फिर से ...और पढ़ेसे पूछा, “आर यू श्योर ? कॉलेज में एक ही नताशा शर्मा है ?”“मेन ! गो देअर एण्ड आस्क हर । वी डोन्ट नो।” वहाँ से आगे जाते हुए शुचि ने उसे जोर से जवाब दिया।शुचि के साथ चलते हुए निधि उससे कह रही थी,“ये रोनित रॉय कहाँ मिलेगा ? अगर कल तक न मिला तो पूरे एक हफ्ते तक
अचानक से अपने सामने अंश और मनन को खड़ा पाकर मिस शर्मा ने अपने हाथ में पकड़ रखी किताब से नजर हटाकर उन दोनों की तरफ देखा और बोली, “यस ?” अंश अपनी बात कहने को पूरी तरह से ...और पढ़ेथा । वो बोला, “आप ही मिस नताशा शर्मा है न ?” नताशा शर्मा ने अंश और मनन को घूरते हुए कहा, “हाँ, काम क्या है बोलो ?” अंश कुछ कहने की हिम्मत करते हुए बोला, “जी ...जी... मेम वो...” नताशा शर्मा ने अंश की तरफ मुस्कुराकर कहा, “क्या कहना है साफ साफ कहो।” “आप ....आ... आप बहुत ही खूबसूरत