Tumhara hi Khoon Hai book and story is written by S Sinha in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Tumhara hi Khoon Hai is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
तुम्हारा ही खून है - उपन्यास
S Sinha
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
नोट - यह कहानी एक औरत की है जो निर्दोष होते हुए भी गलती से चरित्रहीन समझ ली जाती है .
मनीष और दीपा दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे . मनीष 12 वीं कक्षा में था और दीपा उस से एक साल नीचे 11 वीं कक्षा में . दोनों एक दूसरे को पसंद करते थे और भविष्य में अपना घर बसाने के सपने संजोए थे . दोनों एक ही जाति के थे और दोनों के परिवार में दोस्ती थी . इसलिए उन्हें उनके सपने साकार होने में संदेह नहीं था .
अगले सप्ताह मनीष नेशनल डिफेंस अकादमी का टेस्ट देने वाला था , दीपा ने कहा “ इसका मतलब तुम सेना में जाना चाहते हो ? “
“ मेरे सोचने से क्या होगा ? अभी तो दिल्ली बहुत दूर है . पहले टेस्ट में कम्पीट करना होगा फिर सिलेक्शन बहुत टफ है उसके बाद तीन साल की पढ़ाई और एक साल की ट्रेनिंग . तब जाकर पास आउट करने का सौभाग्य मिलेगा . “
“ अगर कम्पीट कर गए तब अकादमी जाओगे ? “
तुम्हारा ही खून है नोट - यह कहानी एक औरत की है जो निर्दोष होते हुए भी गलती से चरित्रहीन समझ ली जाती है . ...और पढ़े भाग 1 - तुम्हारा ही खून है मनीष
भाग 2 - तुम्हारा ही खून है नोट - अभी तक आपने पढ़ा है कि दीपा और मनीष की शादी होती है . किसी को बिना बताये दीपा ने मनीष के स्पर्म्स फ्रीज़ करवा रखा था . मनीष ...और पढ़ेमें था और बहुत दिनों से पत्नी से दूर था . मात्र मनीष के आने की खर सुन कर दीपा ने फ्रोजेन स्पर्म से गर्भ धारण किया . पर अचानक किसी दुर्घटना के चलते मनीष आ नहीं सका . जब दीपा की प्रेगनेंसी का पता चला तब उसकी सास और पति दोनों ने चरित्रहीन समझ कर उसे घर से निकाल
भाग 3 - तुम्हारा ही खून है नोट - अभी तक आपने पढ़ा है कि दीपा की सास और पति दोनों ने उसे चरित्रहीन समझ कर उसे घर से निकाल दिया . दीपा अपनी पुरानी सहेली सीमा के ...और पढ़ेरहने लगती है . दोनों के बच्चे बड़े हो कर नौकरी करने लगते हैं फिर . कुछ साल बाद दोनों परिवार अलग हो जाते हैं , आगे पढ़ें …. शायद उस समय दीपा की जिव्हा पर सरस्वती