तुम्हारा ही खून है
नोट - यह कहानी एक औरत की है जो निर्दोष होते हुए भी गलती से चरित्रहीन समझ ली जाती है .
भाग 1 - तुम्हारा ही खून है
मनीष और दीपा दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे . मनीष 12 वीं कक्षा में था और दीपा उस से एक साल नीचे 11 वीं कक्षा में . दोनों एक दूसरे को पसंद करते थे और भविष्य में अपना घर बसाने के सपने संजोए थे . दोनों एक ही जाति के थे और दोनों के परिवार में दोस्ती थी . इसलिए उन्हें उनके सपने साकार होने में संदेह नहीं था .
अगले सप्ताह मनीष नेशनल डिफेंस अकादमी का टेस्ट देने वाला था , दीपा ने कहा “ इसका मतलब तुम सेना में जाना चाहते हो ? “
“ मेरे सोचने से क्या होगा ? अभी तो दिल्ली बहुत दूर है . पहले टेस्ट में कम्पीट करना होगा फिर सिलेक्शन बहुत टफ है उसके बाद तीन साल की पढ़ाई और एक साल की ट्रेनिंग . तब जाकर पास आउट करने का सौभाग्य मिलेगा . “
“ अगर कम्पीट कर गए तब अकादमी जाओगे ? “
“ हाँ , क्यों नहीं जाऊँगा ? “ मनीष बोला
“ मुझे सेना की नौकरी से बहुत डर लगता है . मैं नहीं चाहती तुम वहां जाओ . “ दीपा ने कहा
“ सभी यही सोच कर सेना में नहीं जाएँ तो देश की सीमाओं की रक्षा कौन करेगा ? मैं तो इसे अपना सौभाग्य समझता हूँ . “
कुछ देर दोनों चुप रहे फिर मनीष ने पूछा “ अगर मैं अकादमी में गया तो क्या तुम मेरा साथ नहीं दोगी ? “
दीपा ने गंभीर होकर कहा “ नहीं ऐसी बात नहीं है पर जितने दिन तुम मुझ से दूर रहोगे मन में सदा एक डर बना रहेगा . “
“ डरने की कोई बात नहीं है . मैं तो कहूंगा तुम भी डिफेंस ज्वाइन करो , आजकल लड़कियां भी राफेल फाइटर उड़ाने लगीं हैं . “
“ ना बाबा , मुझसे नहीं होगा . और मैं प्लेन उड़ाने लगी तब तुम्हारे और हमारे बच्चों के लिए रोटियां कौन पकायेगा . “ बोल कर दीपा कुछ शरमा गयी और मनीष मुस्कुरा कर रह गया
समय का पंछी तेज गति से उड़ रहा था . मनीष एन डी ए में कंपीट कर अकादमी में तीन साल का कोर्स कर रहा था और दीपा ग्रेजुएशन कर रही थी . छुट्टियों में कुछ दिनों के लिए मनीष आता तब दोनों काफी समय साथ बिताते . दोनों के माता पिता को भी इस बात की जानकारी थी और उनकी सहमति भी थी .
दीपा ग्रेजुएशन पूरी कर चुकी थी पर मनीष की एक साल की ट्रेनिंग चल रही थी . ट्रेनिंग के दौरान शादी की अनुमति नहीं होती है इसलिए दोनों को शादी के लिए कुछ महीने इंतजार करना पड़ा . आखिर उनका इंतजार जल्द ही समाप्त होने वाला था . मनीष का पास आउट परेड था और दोनों परिवार के लोग इस अवसर पर अकादमी गए थे . पास आउट के बाद मनीष भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गया .
मनीष और दीपा की शादी बहुत धूमधाम से हुई . फिलहाल मनीष की पोस्टिंग पीस ज़ोन में थी इसलिए वह दीपा को अपने साथ ही ले गया . शादी हुए करीब दो साल हो गया था मगर अभी तक उन्हें कोई संतान नहीं हुई थी . इधर मनीष को ऊपर से निर्देश आया कि जल्द ही उसे फॉरवर्ड पोस्ट या किसी अन्य जरूरी मिशन पर जाना होगा .यह सुनकर दीपा बहुत घबरा गयी . मनीष ने उसे बहुत समझाया और दीपा को अपने माता पिता के पास छोड़ने गया . मनीष ने अपने माता पिता को कहा “ मैं जिस पोस्टिंग पर जा रहा हूँ वहां से जल्दी छुट्टी नहीं मिलती है . इधर उनके माता पिता और सास ससुर दोनों चिंतित थे कि अभी तक दीपा माँ नहीं बन सकी है . उनलोगों ने मनीष और दीपा दोनों को डॉक्टर से मिलने के लिए भेजा .
हालांकि अभी शादी हुए ज्यादा दिन नहीं हुए थे , वे दोनों खास चिंतित नहीं थे फिर भी बड़ों के कहने पर दोनों डॉक्टर से मिलने गए . डॉक्टर ने चेक कर उन्हें यही कहा कि अभी कोई खास विलंब नहीं हुआ है और फ़िलहाल किसी ट्रीटमेंट की आवश्यकता नहीं है क्योंकि दोनों संतान पैदा करने में सक्षम हैं . पर दीपा ने बड़ी चालाकी से गुप्त रूप से मनीष के स्पर्म फ्रीज़ करवा कर क्लिनिक में रखवा लिया .
कुछ दिनों के बाद मनीष की पोस्टिंग जम्मू कश्मीर से लगी सीमा पर हुई . उसके जाने के समय परिवार के सभी लोग चिंतित थे जो स्वाभाविक भी था . मनीष ने सभी को समझाया और वह अपनी पोस्टिंग पर चला गया . अब मनीष का दीपा का सम्पर्क मुश्किल से हो पाता था . अक्सर फॉरवर्ड एरिया में उसे मोबाइल फोन यूज करने की छूट नहीं थी और सेना के कम्युनिकेशन सिस्टम और चिट्ठी पर निर्भर करना पड़ता था .
इस तरह करीब एक साल से ज्यादा हो गया और मनीष का सामना अक्सर दुश्मनों और आतंकवादियों से होता था . कभी तो आमने सामने मुठभेड़ भी होती . अभी तक वह बहादुरी से उनसे मुक़ाबला करता रहा था . उधर दीपा की चिंता बढ़ती जा रही थी . उसने मनीष को छुट्टी ले कर आने को कहा पर मनीष ने कहा “ निकट भविष्य में छुट्टी की संभावना नहीं है . “
दीपा ने कहा “ मैं माँ बनना चाहती हूँ . कम से कम तुम नहीं तो तुम्हारा बच्चा तो मेरे साथ होता . “
“ भगवान ने चाहा तो वह भी हो जाएगा , कुछ दिन और संयम रखो . “
“ नहीं अब मैं और संयम नहीं रख सकती हूँ . तुम नहीं आ सकते तो मैं ही वहां आ जाती हूँ . “
“ पागल मत बनो , यहाँ फैमिली नहीं रख सकते हैं . “
दीपा ने गुस्से में फोन डिस्कनेक्ट कर दिया . उसका मन उदास रहता . इस बीच करीब दो महीने बाद अचानक मनीष का फोन आया “ मेरी छुट्टी मंजूर हो गयी है , आज से ठीक दो सप्ताह के बाद तुम्हारे पास रहूँगा . कहने को दो सप्ताह की छुट्टी है पर कुछ काम हेडक्वार्टर में करना है . फिर भी तुम्हारे साथ 10 दिन रहने का मौका मिलेगा . “
यह सुन कर दीपा ख़ुशी से झूम उठी , उसने कहा “ लगता है भगवान ने मेरी सुन ली है और अब मैं माँ बनने के लिए और ज्यादा इंतजार नहीं कर सकती हूँ . मेरा धैर्य अब समाप्त हो रहा है , जल्दी से आ जाओ . “
“ बस अब चंद दिन रह गए हैं , भगवान ने चाहा तो इस बार तुम्हारी इच्छा पूरी होगी . “
दीपा ने सोचा कि अब कुछ ही दिनों में मनीष आने वाला है . दो दिन बाद वह क्लिनिक गयी जहाँ मनीष का फ्रोजेन स्पर्म था . डॉक्टर ने दीपा से उसके पीरियड आदि की जानकारी लेने और चेक करने के बाद कहा “ मेरे ख्याल से तुम्हें जल्द ही यह काम कर लेना चाहिए क्योंकि मनीष सिर्फ दो सप्ताह के लिए आ रहा है और तुम्हारा अभी ओव्यूलेशन चल रहा है . तुम जब चाहो अपने पति का स्पर्म आज या कल तुम्हारे यूट्रस में स्थापित कर सकती हूँ . यह काम बस कुछ मिनटों का है , IUI ( इंट्रायूटरिन इनसेमिनेशन ) क्रिया द्वारा और इस में जरा भी दर्द या कष्ट नहीं होता है . “
“ फिर शुभ काम में विलंब क्यों , आज ही कर दें . “
IUI के कुछ घंटों के बाद दीपा ख़ुशी ख़ुशी अपने घर वापस आयी . अब वह मनीष के आने के दिन गिन रही थी . उसके आने में सिर्फ तीन दिन ही रह गए थे कि अचानक मनीष का फोन आया “ सॉरी दीपा मेरी छुट्टी कैंसिल हो गयी है . इमरजेंसी है , ऐसे में मैं अभी नहीं आ सकता हूँ . “
“ क्यों , ऐसा क्या हो गया अचानक ? “
“ हमारे काफिले पर आतंकियों ने घात लगाकर हमला किया . मैं और कुछ अफसर आगे आगे जीप में थे . हमारी जीप तो बाल बाल बच गयी पर पीछे ट्रक में सवार हमारे कुछ जवान इस हमले में घायल हो गए हैं . इसलिए अब मुझे उन्हें ले कर अस्पताल जाना है और उस के बाद आतंकवादियों की खोज और धरपकड़ करनी है . समझो फ़िलहाल आना सम्भव नहीं है , आई एम सॉरी दीपा . इस से ज्यादा मैं कुछ नहीं बता सकता हूँ और तुम पूछना भी नहीं . “
दीपा यह सुनकर स्तब्ध रह गयी . कुछ देर तक उसकी आवाज नहीं सुनने पर मनीष ने फिर कहा “ तुम सुन रही हो न ? इस में उदास होने की बात नहीं है . मैं फिर जल्द से जल्द आने का प्रयास करूंगा . “
“ ठीक है . “ बोल कर दीपा ने फोन रख दिया
इधर दीपा आने वाले दिनों में संकट को सोच कर चिंतित रहने लगी . स्पर्म फ्रीजिंग की बात उसने किसी को नहीं बतायी थी और न ही अपने गर्भधारण की बात ही बतायी थी . दो महीने के बाद उसकी तबीयत खराब रहने लगी और उसे बार बार डॉक्टर के यहाँ जाना पड़ता था . उसने डॉक्टर से एबॉर्शन की बात कही तो डॉक्टर ने एबॉर्शन नहीं कराने की सलाह दी क्योंकि उसमें दीपा की जान को खतरा था .
जैसे जैसे दिन बीतते उसकी परेशानी बढ़ती गयी . अब किसी को बताये तो किस मुंह से और कौन उसकी बात मानेगा या नहीं . पर यह भी ज्यादा दिनों तक छिपा नहीं रह सकता था . उसकी सास को जब दीपा की प्रेगनेंसी की बात पता चली तब उसने दीपा को फटकारते हुए कहा “ हमने सपने में भी नहीं सोचा था कि हमारी बहू कुलटा और चरित्रहीन होगी . मेरा बेटा अपनी जान की बाजी लगा कर दुश्मनों से लड़ रहा है और तुम पराये मर्दों के साथ रंगरेलियां मनाती रही हो . “
“ नहीं माँ जी , आपने जैसा सोचा वैसा कुछ भी नहीं है . मेरी कोख में आप ही बेटे का खून है . आप मेरी बात पर विश्वास करें . “
“ खबरदार जो मेरे बेटे का नाम लिया . अब तुम इस घर में रहने योग्य नहीं रही . मनीष को मैं खबर करती हूँ . “ जब मनीष को अपनी माँ से दीपा के बारे में पता चला तब वह भी गुस्से से लाल हो कर बोला - उस कलंकिनी के लिए हमारे घर में कोई जगह नहीं है . उसे घर से निकाल फेंको . “
क्रमशः
नोट - कहानी पूर्णतः काल्पनिक है .