तुम्हारा ही खून है - 2 S Sinha द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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तुम्हारा ही खून है - 2

भाग 2  -   तुम्हारा ही खून है  


नोट - अभी तक आपने पढ़ा है कि दीपा और मनीष की शादी होती है  . किसी को बिना बताये दीपा ने मनीष के स्पर्म्स फ्रीज़ करवा रखा था  . मनीष आर्मी में था और बहुत दिनों से पत्नी से दूर था  . मात्र मनीष के आने की खर सुन कर दीपा ने  फ्रोजेन स्पर्म से गर्भ धारण किया  . पर अचानक किसी दुर्घटना के चलते मनीष आ नहीं सका  . जब दीपा की प्रेगनेंसी का पता चला तब उसकी सास और पति दोनों ने चरित्रहीन समझ कर उसे घर से निकाल दिया , अब आगे पढ़ें  …. 


दीपा ने भी मनीष को समझाने की कोशिश की और कहा “ तुम आओगे तब तुम्हें मैं अपनी  सच्चाई का प्रमाण भी दूँगी  . मेरी बात पर भरोसा करो  . “ 

“ भरोसा और तुम पर , अब मेरा तुमसे कोई रिश्ता नहीं रहा और तुम घर से निकल जाओ  . मैं अब घर वापस तब तक नहीं आने वाला हूँ  जब तक तुम हमारे घर में हो  . “   बोल कर मनीष ने फोन काट दिया 

दीपा ने अपनी सास को बहुत समझाया पर उसकी एक नहीं सुनी  . 

दीपा ससुराल छोड़ कर अपने मायके गयी  . कुछ दिनों तक जब मनीष या ससुराल से किसी ने उसकी कोई खबर नहीं ली तब  दीपा ने अपने ससुराल में एक पत्र  भेज दिया और साथ में साइन किया तलाकनामा कि अगर मनीष तलाक चाहे तो वह ले सकता है  .दीपा के माता पिता दोनों  गुजर चुके थे  . मायके में सिर्फ उसके भाई भाभी थे  . वहां भी दीपा की बात पर भरोसा किसी को नहीं हुआ , ख़ास कर भाभी को  .शुरू में भाई ने दीपा के प्रति सहानुभूति दिखाई पर पत्नी के आगे उसकी एक नहीं चली  .  दो तीन महीने किसी तरह गुजारने के बाद दीपा को लगा उसके  वहां रहने से घर में भाई को रोज अशांति झेलनी पड़ेगी , यह सोच कर उसने स्वयं घर छोड़ने का निश्चय किया  .  उसने किसी को नहीं बताया कि वह कहाँ जा रही है और बताती भी कैसे , उसे खुद ही पता नहीं था कि कहाँ  बसने जा रही थी   . दीपा की एक सहेली थी सीमा जो किसी अन्य शहर में रहती थी  . दीपा ने अपनी  कहानी सीमा को बता दिया था और कहा था कि कुछ दिनों के लिए उसे अपने घर में पनाह दे  . सीमा इसके लिए सहर्ष तैयार हो गयी  . 

सीमा उम्र में दीपा  से  कुछ बड़ी थी और वह एक सिंगल मदर थी   . वह एक प्राइवेट बैंक में क्लर्क थी  .  पति से तलाक के बाद वह अपने चार  साल के  बेटे के साथ रह रही थी  .  उसे देख कर सीमा ने ख़ुशी से गले लगाया और कहा “ बहुत अच्छा है तुम यहाँ आ गयी  . मुझे भी अकेलापन खलता था , अच्छा लगेगा  एक सखी के साथ रह कर   . मेरे मुन्ने को भी जल्द ही खेलने के लिए साथी मिल जायेगा  . “ 

जब दीपा ने मुन्ने को प्यार कर गोद में उठाना चाहा तब सीमा ने उसे रोकते हुए कहा “ अरे ऐसी हालत में ये  गलती भूल कर भी नहीं करना  . “ 

“  मुन्ने का क्या नाम रखा है ? “ 

“ वैसे इसका नाम तो सोमनाथ है पर घर में मुन्ना कहते हैं और तुम भी मुन्ना कह सकती हो  . “  बोल कर सीमा ने मुन्ने से मौसी को नमस्ते करने को कहा और मुन्ने ने दीपा को नमस्ते किया   . 

दीपा ने कहा “ तुम्हारे यहाँ कुछ दिन तो रह ही सकती हूँ पर अपने और गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए कुछ काम तो करना होगा  . मैंने ग्रेजुएशन ऑनर्स के साथ किया है  . मैं खुद भी कोशिश करूंगी  पर तुम यहां काफी सालों से रह रही हो तुम भी मेरे लायक नौकरी पता करना  . उसके बाद मैं भी एक कमरा किराए पर ले लूंगी  .  “ 

“ दीपा फिलहाल डिलीवरी और उसके कुछ दिनों के बाद तक भी तुम आराम से रहो , इस बीच कोई न कोई नौकरी मिल जाएगी  . मेरा वन BHK फ्लैट इतना भी छोटा नहीं है कि तुम्हें यहाँ रहने में तकलीफ होगी  .आज के बाद  कहीं जाने की बात नहीं करना वरना मैं तुमसे बहुत नाराज हो जाऊंगी  . “ 

“ ठीक है , पर मैं घर में बैठे बैठे बोर हो जाऊंगी और सिर्फ निगेटिव बातें सोचती रहूंगी जो प्रेगनेंसी में ठीक नहीं है  इसलिए मुझे कुछ न कुछ काम करना चाहिए  . पड़ोस में अगर एक दो ट्यूशन मिल जाए तो मैं जा कर पढ़ा सकती हूँ  . “ 

सीमा ने कहा “ इस पर मैं विचार कर सकती हूँ पर तुम्हें कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है  , स्टूडेंट्स घर में आ कर पढ़ेंगे  . मैं उसकी व्यवस्था ड्राइंग रूम में कर दूँगी  . “ 

कुछ दिनों के अंदर दीपा से  तीन विद्यार्थी ट्यूशन लेने आने लगे  .  दीपा की डिलीवरी में तीन महीने रह गए थे और लगभग उसी समय समर वेकेशन भी शुरू होने जा रहा  था  . इसलिए इस ट्यूशन में दीपा और उसके स्टूडेंट्स किसी को भी दिक़्क़त नहीं होनी थी  . 

दीपा ने समय पर  एक बेटे  को जन्म दिया   . इत्तफाक से उसके बेटे  का चेहरा अपने पिता मनीष से हूबहू मिलता था , वैसी ही बड़ी बड़ी आँखें , वैसे ही घुंघराले बाल   . दीपा और सीमा दोनों ने मिलकर बच्चे का नाम नीरज रखा और घर में प्यार से उसे बंटी कहते  थे   .  

कुछ सप्ताह के बाद दीपा के विद्यार्थी भी ट्यूशन के लिए आने लगे  .  दीपा ने पड़ोस के प्राइवेट स्कूल में टीचर की नौकरी के लिए विज्ञापन देखा और बिना देर किये अर्जी भी दे दी  . कोई अनुभव नहीं होने के चलते  इंटरव्यू के समय उसे कुछ कठिनाई हुई  . उसने प्रिंसिपल से कहा “ मैं आपके स्कूल के कुछ बच्चों को पढ़ा चुकी हूँ , आप उनसे पूछ सकते हैं  . “ 

“ नहीं , हमलोग स्वयं आपका टेस्ट लेंगे  . आपको दो क्लास दो अलग अलग विषयों के लेने होंगे जो ग्रेजुएशन में आपके सब्जेक्ट्स रहे थे  . टेस्ट आप आज भी दे सकती हैं या फिर कल तैयारी कर के आ सकती हैं  . “ 

“ मुझे तैयारी की जरूरत नहीं है  . मैं आज भी टेस्ट दे सकती हूँ  . “ 

दीपा ने बतौर टेस्ट दो क्लास लिए  . उसके परफॉरमेंस से प्रिंसिपल और अन्य मेंबर बहुत प्रभावित हुए  . दीपा को उस स्कूल में टीचर की नौकरी मिल गयी  .  वह ख़ुशी ख़ुशी अपॉइंटमेंट लेटर लेकर घर आयी  . उस दिन शाम को सीमा जब ऑफिस से घर आयी तब दीपा ने उसे यह शुभ समाचार सुनाया  , तब सीमा ने ख़ुशी से झूमते हुए उसे गले से लगाया और कहा “ आज का दिन हम दोनों के लिए बहुत शुभ रहा है  , एक खुशखबरी मैं भी लायी हूँ  , “

दीपा ने कहा “ वो क्या , जल्दी से सुनाओ   .  “

“ आज मुझे भी प्रमोशन आर्डर मिला है  , मैं अब जूनियर मैनेजर हो गयी हूँ   .  “ 

“ यह तो बहुत अच्छा हुआ  , मिठाई तो बनती है  .  “

सीमा ने अपने बैग से मिठाई का पैकेट निकाल कर कहा “ ले खा ले , जितना जी चाहे   .  “ 

दीपा ने एक मिठाई पहले मुन्ने को दिया फिर एक मिठाई सीमा के मुंह में खिलाया  , सीमा ने आधी मिठाई ही खाई बाकी आधी मिठाई दीपा ने खाते हुए कहा “ हम दोनों में दोस्ती और पक्की हो गयी - दांत कटी मिठाई वाली  , “ 

दीपा ने कहा “ अभी तक तो मैं घर से ही ट्यूशन करती थी अब स्कूल जाना पड़ेगा  , दोनों बच्चों की देखभाल के लिए एक आया रखना होगा   . “ 

“  तुम सही कह रही हो  , थोड़ा चाय वाय कर लें तब बैठ कर ठीक से विचार करते हैं   .  “  

रात में दोनों सहेलियों ने मिलजुल कर फैसला लिया कि जल्द से जल्द  एक टू BHK फ्लैट लिया जाए और दिन भर के लिए एक आया रखना होगा जो बच्चों की देखभाल करेगी  . मुन्ना निकट के  नर्सरी स्कूल में  जाता था  . ऑफिस जाते समय मुन्ने को सीमा या दीपा स्कूल ड्राप कर देगी और आया उसे पिक कर लिया करेगी  . दीपा की जिंदगी पटरी पर आ गयी थी  . प्रमोशन के बाद सीमा की जिम्मेदारी भी बढ़ गयी थी  . दोनों सहेलियां  दिन भर काफी व्यस्त रहती थीं  . छुट्टी के दिन और शाम को ही एक साथ रहने का समय मिलता था  पर दोनों अपनी अपनी जिंदगी से पहले से ज्यादा खुश थीं   . 

दीपा और सीमा दोनों एक  टू BHK फ्लैट में शिफ्ट कर गयीं  , वहां से दीपा का स्कूल , सीमा का बैंक और मुन्ने का स्कूल सभी आसपास ही थे  . समय के साथ मुन्ना और बंटी दोनों बच्चे बड़े हो रहे थे  . दोनों ही पढ़ने लिखने में बहुत तेज थे  . 

लगभग पंद्रह साल बीत गए  . उधर दीपा से अलग होने के दो साल बाद मनीष ने तलाक ले लिया  . तलाक मिलने के कुछ महीने बाद उसने दूसरी शादी कर ली  . पर इस शादी के बाद अभी तक उन्हें कोई संतान नहीं थी और अब उन्होंने इसकी उम्मीद भी छोड़ दी थी  . 

मुन्ना ने ट्वेल्फ्थ के बाद पुणे के आर्म्ड फ़ोर्स मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया  . चार साल के बाद बंटी ने भी पुणे के इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिया  . दीपा  और सीमा दोनों अपने बच्चों की कामयाबी पर बहुत खुश थीं  . मुन्ने की रूचि  देश की सेना में काम करने की थी और बंटी को टीचिंग लाइन पसंद थी  . 

लगभग दस साल और गुजर गए  . बंटी  असम के जोरहाट इंजीनियरिंग कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर था  .  मुन्ना अब डॉ सोमनाथ था जिसे लोग डॉ सोम के नाम से जानते थे   . 

एक दिन बंटी ने अपनी माँ से कहा “ मम्मी , तुमने बहुत नौकरी कर ली  . अब रिजाइन करो और मेरे साथ असम में रहना  . “ 

जब दीपा ने अपने बेटे की बात सीमा को बतायी तब इतने सालों  तक साथ रहने के बाद जुदाई की बात सोच कर वह उदास हुई  . पर दीपा बेटे को भी अकेले नहीं छोड़ना चाहती थी  . कुछ दिनों के बाद दीपा असम चली गयी  . जाते समय दीपा ने सीमा से कहा “ तुम उदास मत होना  . हमारी दोस्ती सच्ची है तब भगवान ने चाहा तो हमलोग फिर एक साथ होंगे  . “ 

क्रमशः अंतिम भाग 3 में  

नोट - कहानी पूर्णतः काल्पनिक है  .