Kalavati book and story is written by भूपेंद्र सिंह in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Kalavati is also popular in डरावनी कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
कलावती - उपन्यास
भूपेंद्र सिंह
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
शाम का वक्त है। कुछ कुछ सूरज अभी नज़र आ रहा है। जबलपुर शहर की तूफानी शाम में जंगल के एक छोर पर बनी एक तीन मंजली आलीशान हवेली के सामने एक बोलेरो आकर रूकी। हवेली को अगर बाहर से देखा जाए तो ये किसी भूतिया बंगले की तरह लगती है लेकिन अंदर से ये किसी बड़े हवादार महल की तरह है। चारों और घना काला जंगल है और एक छोर पर जबलपुर शहर बसा हुआ है। जंगल के बिलकुल बीचोबीच एक बड़ा सा पुराना शिव मंदिर है जो अब पूरी तरह से खंडहर बन चुका है। शायद अब वहां पर कोई रहता हो या फिर जाता हो।
इस बोलेरो में से पांच लोग बाहर निकले और ये हैं कबीर , विराज , विनय , अवनी और मान्या। आइए एक बार इन लोगों के बारे में जान लेते हैं।
शाम का वक्त है। कुछ कुछ सूरज अभी नज़र आ रहा है। जबलपुर शहर की तूफानी शाम में जंगल के एक छोर पर बनी एक तीन मंजली आलीशान हवेली के सामने एक बोलेरो आकर रूकी। हवेली को अगर बाहर ...और पढ़ेदेखा जाए तो ये किसी भूतिया बंगले की तरह लगती है लेकिन अंदर से ये किसी बड़े हवादार महल की तरह है। चारों और घना काला जंगल है और एक छोर पर जबलपुर शहर बसा हुआ है। जंगल के बिलकुल बीचोबीच एक बड़ा सा पुराना शिव मंदिर है जो अब पूरी तरह से खंडहर बन चुका है। शायद अब वहां
पुजारी यानी की नकली ड्राइवर के बिलकुल बगल में तांत्रिक सिंघाड़ा खड़ा था जिसे देखकर वो थर थर कांपने लग गया और बदन जवाब देने लग गया था।सिंघाड़ा जिसकी उम्र लगभग दो सो साल की होगी।बेहद ही मोटा और ...और पढ़ेशरीर, बड़े बड़े जटाधारी लंबे बाल, पूरे शरीर पर राख लेपी हुई थी जिसके कारण उसका पूरा शरीर राख से सफ़ेद नज़र आ रहा था।बड़ी बड़ी ढाड़ी मूंछ और बेहद ही डरावनी सफेद आंखें जो की किसी को भी डरा दे,हाथों और पैरों के बड़े बड़े नाखून और काला लंगोट पहने हुए था। उसे देखकर पुजारी क्या? अगर कोई और
एक बेहद ही खूबसूरत औरत जो मर्दों को अपना शिकार बनाती है।।कमरे के बिल्कुल बाहर कबीर के सामने विनय खड़ा था जिसका माथा पसीने से भीगा हुआ था और उसके बदन में एक अजीब सी सिरहन दौड़ रही थी ...और पढ़ेकबीर साफ़ महसूस कर सकता था। कबीर कुछ पल रुककर डरते हुए बोला ,,"क्या हुआ?" विनय ने जल्दी से कबीर का हाथ पकड़ा और उसे कमरे से बाहर खींचकर धीरे से बोला ,,"तुझे मालूम भी है क्या? मुझे अभी अपने कमरे में वो अशोक नज़र आया था। जल्दी से एक काम कर वो अंगूठी मुझे दे दे जिसमें कलावती को