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रेवती - उपन्यास
Suresh Chaudhary
द्वारा
हिंदी प्रेरक कथा
आज फिर से रोज सुबह की तरह रेवती नहा धो कर चाय के इंतजार में अपने बिस्तर पर बैठी हुई बार बार कमरे के बाहर देखती रही। रेवती जानती है कि बहु और बेटा नौ बजे से पहले नही उठेंगे, लेकिन शायद यह रेवती का रूटीन बन गया है। खुद किचन में भी तो नहीं जा सकतीं। किचन बेटा बहू के बेडरूम से लगा हुआ है, किचन में खट पट होगी तो फिर से बहु चिलाएगी। अभी दो दिन पहले ही की तो बात है, जब आधी रात को सर मे तेज दर्द हुआ तो गर्म पानी के साथ दवा लेनी थीं, डरते डरते रेवती ने बीना कोइ आवाज किए किचन में पानी गर्म करना चाहा, न जाने कैसे बहु की आंख खुल गई और बहु चिल्लाने लगी।
,, यह क्या मां जी दिन भर हम ऑफिस में काम करते हैं और रात को तुम हमें सोने भी नहीं देती,,।
आज फिर से रोज सुबह की तरह रेवती नहा धो कर चाय के इंतजार में अपने बिस्तर पर बैठी हुई बार बार कमरे के बाहर देखती रही। रेवती जानती है कि बहु और बेटा नौ बजे से पहले नही ...और पढ़ेलेकिन शायद यह रेवती का रूटीन बन गया है। खुद किचन में भी तो नहीं जा सकतीं। किचन बेटा बहू के बेडरूम से लगा हुआ है, किचन में खट पट होगी तो फिर से बहु चिलाएगी। अभी दो दिन पहले ही की तो बात है, जब आधी रात को सर मे तेज दर्द हुआ तो गर्म पानी के साथ दवा
ओल्ड एज होम मे आ कर बहु की प्रताड़ना तो खत्म हो गई, लेकिन पति को याद कर कर के आंखो में आंसुओ ने डेरा डाल लिया। रह रह कर शादी से लेकर बहु के कड़वे शब्द तक का ...और पढ़ेआंखो के सामने घूमने लगे। पूरी पूरी रात बिना नींद के कटने लगी।कहने के लिए तीन चार हम उम्र महिलाए दोस्त बन गई। उनके समझाने पर समय पर थोड़ा थोड़ा खाना भी खाने लगी। अचानक एक रात याद करते करते पति की छेड़ छाड़ याद आ गई।,,हां उस दिन पति के ऑफिस में छुट्टी थी और मेरे पति मेरे साथ