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प्रेम नगरी देहरादून - उपन्यास
Rohan Singh
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
जैसे ही सुबह हुई अचानक फोन की रिंगटोन से स्नेहा की नींद खुल गई स्नेहा के चेहरे पर एकदम मुस्कान आ गई
कॉल रिसीव किया तभी सिद्धार्थ ने प्यारी सी आवाज में कहा गुड मॉर्निंग जान कैसी हो स्नेहा ने प्यारी सी आवाज में कहा ठीक हूं जान तुम बताओ
तभी वो फोन को लेकर अपनी छत पर चली गई और मसूरी की पहाड़ियों की तरफ देखते देखते रोमेंटिक बातें करने लगी एक घंटा कब बीत गया पता ही नहीं चला
तभी नीचे से उसकी मम्मी की आवाज आई स्नेहा नीचे आ कर नाश्ता कर ले कितनी देर से फोन में लगी हुई है स्नेहा ने ऊंची आवाज में कहा आ रही हूं मम्मी
फिर उसने सिद्धार्थ को बाय बोला और कहा बाद में बात करती हूं मम्मी बुला रही है।
जब वह नीचे आई तो देखा टेबल पर नाश्ता ठंडा हो चुका था।
नाश्ता करने के बाद प्रिया (जो स्नेहा की बड़ी बहन है ) ने पूछा किसका फोन था स्नेहा ने कहा अरे यार सिद्धार्थ की ही था।
वह अभी भी मन ही मन सिद्धार्थ को बहुत पसंद करती है और रात को बस यही सोचती रहती है कि काश सिद्धार्थ आज उसका होता तो वह कितनी खुश होती
लेकिन वह अब कुछ नहीं कर सकती क्योंकि उसका ...और पढ़ेहो चुका है और सिद्धार्थ भी उसकी बहन स्नेहा के साथ रिलेशनशिप में है
उसने अपनी इस बात को अपने आप में ही कैद कर रखा है और अपनी फिलिंग्स को किसी और के सामने जाहिर नहीं करती
सब कुछ अच्छा चल रहा था
तभी अचानक एक दिन सिद्धार्थ का फोन आ रहा था उसे समय स्नेहा घर में नहीं थी तो प्रिया ने उसका कॉल उठा लिया और सिद्धार्थ के स
सब कुछ अच्छा चल रहा थातभी अचानक एक दिन सिद्धार्थ का फोन आ रहा था उसे समय स्नेहा घर में नहीं थी तो प्रिया ने उसका कॉल उठा लिया और सिद्धार्थ के साथ बातें करने लगीदोनों अपने स्कूल के ...और पढ़ेकी बातें कर करके हंस रहे थेतभी प्रिया उसको बोलती है सिद्धार्थ क्या तुम्हें याद है मैंने एक बार तुम्हें प्रपोज किया था और तुम डर गए थेऔर तुमने मना कर दिया थातभी सिद्धार्थ बोलता है हां मुझे थोड़ा-थोड़ा याद हैतब मैं कितना बेवकूफ था। और डरपोक भीयह सब क्या होता है मुझे तो इस बारे में जरा भी मालूम